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जन संसद

08:11 AM Jul 01, 2024 IST
जन संसद
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पौधारोपण करें

इन दिनों उत्तर भारत गर्मी से परेशान है। तापमान सामान्य से 6 से 8 डिग्री ज्यादा है। जलवायु परिवर्तन के कारण गर्मी बढ़ रही है। शहरों में अधिक जनसंख्या को रहने के लिए इमारतें बन रही हैं और वनस्पति कम हो रही है। वहीं वाहनों से निकलने वाली गैसें ग्लोबल वार्मिंग का कारण बन रही हैं। उद्योगों से निकलने वाला प्रदूषण गर्मी को और बढ़ा रहा है। लगातार पेड़ों की कटाई से वायुमंडल में कार्बन डाइऑक्साइड की मात्रा बढ़ रही है। लोगों को स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है। जरूरी है पौधारोपण करें, सार्वजनिक परिवहन का अधिक उपयोग करें। शरीर को गर्मी से बचाने के लिए भरपूर मात्रा में पानी पियें।
लक्ष्य, जीजेयू, हिसार

जलस्रोतों का संरक्षण

गर्मी के सारे रिकॉर्ड टूटना ग्लोबल वार्मिंग के प्रति आगाह करता है। विकास की दौड़ में प्रकृति से छेड़छाड़, तापमान सामान्य से अधिक होने से लोगों में त्राहि-त्राहि मची है। प्रभावित शहरी इलाकों के साथ ग्रामीण क्षेत्र भी अछूते नहीं रहे। असहनीय गर्मी बढ़ते वायुमंडल के तापमान से बचने के लिए अधिक से अधिक पौधे लगाकर उनका संरक्षण करें। रोपित और खड़े वृक्षों का संरक्षण करें। पर्यावरण मित्र वाहनों का प्रयोग करें। ग्रामीण क्षेत्रों में कुओं, बावड़ियों, तालाब का संरक्षण, जलस्रोतों का संरक्षण करें। शहरों में जहां तक संभव हो खाली स्थानों पर पौधारोपण करें।
अनिल कौशिक, क्योड़क, कैथल

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नवीकरणीय ऊर्जा का प्रयोग

पूरा उत्तर भारत गर्मी की मार झेल रहा है। रात काे भी राहत महूसस नहीं होती। इसके जिम्मेदार हम स्वयं हैं। बढ़ती गर्मी आवश्यकता से अधिक वन कटाव, औद्योगीकरण आदि का नतीजा है। वायुमंडल में ग्रीन हाउस गैस के उत्सर्जन से ग्लोबल वार्मिंग होती है तो तापमान बढ़ता है। घातक गैसों का उत्सर्जन, वाहन, फ्रिज और एसी जैसे उपकरणों से हो रहा है। अगर ग्लोबल वार्मिंग पर काबू न पाया गया तो भविष्य का तापमान जानलेवा साबित होगा। हमें अभी से पेड़-पौधे लगाने होंगे, पॉलिथीन व प्लास्टिक का इस्तेमाल न करें, नवीकरणीय ऊर्जा का इस्तेमाल करें। इनका पालन करने से कुछ सीमा तक ग्लोबल वार्मिंग से बचा जा सकता है।
शिवम उपाध्याय, जीजेयू, हिसार

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प्रकृति से सामंजस्य जरूरी

इस साल गर्मी ने पिछले सारे रिकॉर्ड तोड़ दिये। इसका मुख्य कारण ग्लोबल वार्मिंग है। इसका सबसे बड़ा कारण जल, जंगल और जमीन का दुरुपयोग है। आर्थिक विकास की अंधी दौड़ में वनों को धड़ाधड़ काटा जा रहा है, ऊर्जा का अधिकतम प्रयोग किया जा रहा है। पहाड़ों पर सड़कें, सुरंगें तथा उद्योग लगाये जा रहे हैं। प्रकृति से अनावश्यक छेड़छाड़ के कारण वायुमंडल में गर्मी सामान्य से कहीं अधिक हो रही है। लोगों की असामयिक मृत्यु भी हो रही है। समाधान है कि अधिक से अधिक पेड़ लगाए जाएं। पहाड़ों के साथ छेड़छाड़ नहीं की जाए, ऊर्जा का प्रयोग कम किया जाए। आवश्यकताओं को घटाया जाए। पानी को बचाया जाए। परमाणु परीक्षण तथा घातक हथियारों का प्रयोग बंद कर देना चाहिए। लोगों को खुशी के अवसर पर पौधे लगाने चाहिए।
शामलाल कौशल, रोहतक

तपिश के साथ अनुकूलन

गर्मी ने अपना विकराल रूप दिखाना शुरू कर दिया है। देश के कई हिस्सों में तापमान 45 डिग्री सेल्सियस से ऊपर पहुंच चुका है। जलवायु परिवर्तन के कारण गर्मी की तीव्रता बढ़ रही है। वाहनों और उद्योगों से निकलने वाला प्रदूषण गर्मी को और बढ़ा रहा है। वनों की कटाई से वायुमंडल में कार्बन डाइऑक्साइड का स्तर बढ़ता है। वहीं गर्मी से हीट स्ट्रोक, डिहाइड्रेशन और चक्कर आना जैसी समस्याएं आम हो रही हैं। गर्मी से बचाव के लिए अधिक से अधिक पेड़ लगाएं, भरपूर मात्रा में पानी पीएं। धूप में निकलने से बचें, हल्के रंग के कपड़े पहनें और ठंडे खाद्य पदार्थों का सेवन करें।
संगीत, जीजेयू, हिसार

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