मुख्यसमाचारदेशविदेशखेलबिज़नेसचंडीगढ़हिमाचलपंजाब
हरियाणा | गुरुग्रामरोहतककरनाल
रोहतककरनालगुरुग्रामआस्थासाहित्यलाइफस्टाइलसंपादकीयविडियोगैलरीटिप्पणीआपकीरायफीचर
Advertisement

जन संसद

07:47 AM Aug 14, 2023 IST
Advertisement

अलग विभाग खोजे

महिलाओं का लापता होना एक बहुत ही चिंता का विषय है? आंकड़े पढ़कर ही बड़ा आश्चर्य होता है कि 2019 से 2021 के मध्य 13.13 लाख महिलाएं और लड़कियां लापता हुई हैं। आखिर ऐसा क्या होता है उनके साथ कि वे लापता हैं? कहां जा रही हैं वो? इस विषय पर महिला आयोग को सख्ती से निपटने की आवश्यकता है। पुलिस विभाग और अन्य सुरक्षा विभाग में अलग से ऐसे विभाग गठित किए जाने चाहिए जिनका कार्य केवल और केवल इस गंभीर विषय पर कार्य करके सच्चाई का पता लगाने के साथ-साथ अपराधियों के विरुद्ध कड़े कदम उठाने का हो।
अशोक कुमार वर्मा, कुरुक्षेत्र

साझे प्रयास हों

महिलाओं को लापता हुए लम्बा समय गुज़र जाता है। फिर भी वे कहां हैं, यह प्रश्न अनुत्तरित ही रह जाता है। इसका एक कारण परिजनों द्वारा लापता महिलाओं की एफ़आईआर न करवाना या देर से करवाना है। पुलिस को गुमशुदगी को गम्भीरता से, प्राथमिकता के आधार पर लेना होगा। पुलिस विभाग में अधिकारियों-कर्मचारियों के सभी पद भरे हुए होने चाहिए। पुलिस बल में महिलाओं का कोटा बढ़ाया जाये। प्रशासन समय-समय पर जनता को जागरूक करता रहे। कोई संदिग्ध गतिविधि पाये जाने पर तुरंत पुलिस को सूचित करें। पुलिस और प्रशासन को महिलाओं के प्रति गम्भीर, संवेदनशील और ज़िम्मेदार बनना होगा।
तेजिंद्र पाल सिंह, कैथल

Advertisement

समाज कटघरे में

महज दो साल में 13 लाख से अधिक महिलाओं एवं नाबालिग लड़कियों के गुमशुदा होने की राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो की रिपोर्ट चौंकाने वाली है। इतनी बड़ी तादाद में महिलाओं ने परेशान हो कर घर छोड़ा या तस्करों के चुंगल में फंस गई हैं, कहा नहीं जा सकता। नि:संदेह ऐसी घटना हमारे समाज को कटघरे में खड़ा करती है। विडंबना ही है कि पुलिस भी इनकी कोई खोज-खबर नहीं ले सकी। लापता महिलाओं की वापसी के लिए न केवल पुलिस प्रशासन को सख्त होना पड़ेगा बल्कि समाज को भी आत्ममंथन करने की जरूरत है।
देवी दयाल दिसोदिया, फरीदाबाद

चिंताजनक आंकड़ा

देश में वर्ष 2019 से 2021 तक 18 साल से अधिक उम्र की लगभग 10,61,648 लड़कियां गायब हुईं। यह राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो के आंकड़े हैं। यह बहुत बड़ी चिंता का विषय भी है। इससे यह भी पता चलता है कि सरकारें लड़कियों की सुरक्षा के लिए खास गंभीर नहीं हैं। इसके लिए सरकार को गंभीर होना चाहिए। अगर इसके लिए अभी से ही गंभीरता नहीं दिखाई गई तो आने वाले समय में यह आंकड़ा और भी भयावह हो सकता है। पुलिस को इस मुद्दे पर अपडेट होना चाहिए, इसके लिए ट्रेसिंग बढ़ानी चाहिए।
राजेश कुमार चौहान, जालंधर

दायित्व बोध जगाएं

यह तथ्य विचलित करने वाला है कि मात्र तीन सालों (2019 से 2021) के अंतराल में 13.13 लाख महिलाएं लापता हो गईं। लापता महिलाओं का यह आंकड़ा महिला सुरक्षा के दावों और महिलाओं के प्रति हमारे रवैये की पोल खोलने के लिए काफ़ी है। कदम-कदम पर महिलाओं को दरपेश प्रताड़नाएं हमारी बीमार मानसिकता का आईना तो हैं ही, उनके लापता होने का कारण भी हैं। ऐसे में महिलाओं के लापता होने को गंभीरता से लेने की दरकार है। इस समस्या पर नीति-नियंताओं के साथ-साथ समाज को भी विचार करना होगा। सिर्फ सरकारों को कटघरे में खड़ा करने से कुछ नहीं होगा। हमें भी अपने दायित्व बोध को जगाना होगा।
ईश्वर चन्द गर्ग, कैथल

गंभीर पहल जरूरी

महिलाओं के प्रति नकारात्मक सोच महज सख्त कानून से नहीं बदली जा सकती। हमें सोचना होगा कि महिलाएं क्यों लापता हो रही हैं? बहुत से लोग कथित इज्जत के नाम पर रिपोर्ट लिखवाने से परहेज करते हैं, पर भारत में 13.13 लाख महिलाएं-लड़कियां लापता होने का आंकड़ा बहुत बड़ा है। इतनी भारी संख्या में महिलाओं-लड़कियों का लापता होना पुलिस प्रशासन की असफलता को दर्शाता है। जिसको लेकर समाज को गंभीर मंथन करने की आवश्यकता है। समाज में महिलाओं के लापता होने के मामले क्यों बढ़ रहे हैं, इसके लिए समाज और राजनीतिक नेतृत्व को गंभीर पहल करनी होगी।
रमेश चन्द्र पुहाल, पानीपत

Advertisement
Advertisement