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91 हजार के लिए स्वर्गधाम जा रही पेंशन!

11:38 AM Aug 12, 2022 IST
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दिनेश भारद्वाज/ट्रिन्यू

चंडीगढ़, 11 अगस्त

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हरियाणा के सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता विभाग में बुढ़ापा, विधवा, बेसहारा महिला व दिव्यांग आदि वर्गों की पेंशन में बड़ा फर्जीवाड़ा सामने आया है। कैग द्वारा विधानसभा के मानसून सत्र के दौरान टेबल की गई रिपोर्ट में इसका खुलासा हुआ। स्थिति यह है कि 91 हजार से अधिक मृतकों के नाम पर बरसों पेंशन गयी और 98 करोड़ से अधिक का गोलमाल हुआ। इनमें 1092 लोग तो ऐसे हैं, जिनकी डेथ के बाद विभाग ने उनकी पेंशन शुरू कर दी। यही नहीं, एक ही आधार नंबर पर 25 हजार लोगों को पेंशन देने का भी खुलासा हुआ है। बेशक अब हरियाणा में ऐसी गड़बड़ी की गुजांइश नहीं है क्योंकि सरकार ने परिवार पहचान-पत्र के साथ पेंशन सहित सभी योजनाओं को लिंक कर दिया है, फिर भी इससे पहले तो कागजों की हेराफेरी से यह फर्जीवाड़ा सामने आया ही है। कैग ने जांच की सिफारिश की है। वर्ष 2017 से 2020 की अवधि में विभाग ने 1 हजार 475 ऐसे लोगों की भी पेंशन शुरू कर दी, जो पहले से ही सरकार से पेंशन योजना का लाभ ले रहे थे।

कैग ने चालीस माह तक की अवधि के लिए चयनित योजनाओं को अपने ऑडिट में शामिल किया। इस दौरान पता चला कि 91 हजार 436 मृतकों के नाम पेंशन जारी कर दी गयी। खुलासा हुआ कि 74 हजार 983 वृद्धावस्था पेंशन योजना के मृतक लाभार्थी थे और उन्हें 81 करोड़ 29 लाख रुपये का भुगतान हुआ। इसी तरह से 12 हजार 900 विधवा और निराश्रित महिलाओं को पेंशन दी गयी। अब यह विभाग ही बता पाएगा कि लाभार्थी दुनिया में हैं ही नहीं तो पेंशन मिली किसे। रिपोर्ट में सामने आया कि 3 हजार 553 दिव्यांग व्यक्ति भी अपनी मौत के बाद पेंशन लेते रहे। कैग आडिट रिपोर्ट में स्पष्ट किया गया है कि प्रदेश के छह जिलोंndash; अंबाला, कैथल, करनाल, कुरुक्षेत्र, पंचकूला और यमुनानगर में 25 हजार 861 लोगों के खातों में उनकी मृत्यु के बाद पेंशन राशि डाली गई।

नाम इनका, भुगतान उनको

कैग ने 237 करोड़ 31 लाख रुपये के फर्जीवाड़े का खुलासा किया है। इतना ही नहीं, किसी की पेंशन किसी और के खाते में डाल दी गई। जैसे पेंशन बनी ‘राधेश्याम’ की और खाते में डाल दी गई ‘हरीराम’ के। दूसरों के नाम पर पेंशन डालने में ही 54 करोड़ 53 लाख रुपये से अधिक की गड़बड़ हो गई। मामला पकड़ में अने के बाद ब्याज सहित रिकवरी के आदेश दिए गए। कैथल में ही पांच मामलों में 6 लाख 11 हजार रुपये की वसूली हो पाई।

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