पंचकूला के पवन ने 4 मरीजों को दी नयी जिंदगी
एस अग्निहोत्री/हप्र
पंचकूला, 21 मार्च
पंचकूला के सकेतड़ी के रहने वाले दयाल परिवार के 33 वर्षीय पवन इस संसार को छोड़ने के बाद भी चार लोगों को नया जीवन दे गए। यह सब उनके परिवार के अंगदान करने के साहसिक फैसले के बाद ही हो पाया है। जिन लोगों को नया जीवन मिला है वे असाध्य रोगों से लड़ रहे थे।
परिवार की सहमति के बाद पीजीआई चंडीगढ़ के डॉक्टरों ने अंग प्राप्त किए। पुनर्प्राप्त अंगों के आवंटन के बारे में विस्तार से बताते हुए पीजीआईएमईआर के चिकित्सा अधीक्षक और रोटो (उत्तर) के नोडल अधिकारी प्रो. विपिन कौशल ने बताया कि अस्पतालों में मेल खाने वाले प्राप्तकर्ताओं के लिए विकल्प तलाशे और अंततः नोटो के हस्तक्षेप के बाद एम्स दिल्ली में 18 वर्षीय युवक को पवन का दिल लगाया गया। पीजीआई चंडीगढ़ से ग्रीन कॉरिडोर बनाकर नयी दिल्ली तक दिल को पहुंचाया गया। इसके अलावा एक 34 वर्षीय पुरुष मरीज एक साथ अग्न्याशय और किडनी प्रत्यारोपण (एसपीके) पाने के लिए भाग्यशाली निकला। दूसरी किडनी 36 वर्षीय महिला को प्रत्यारोपित की गई। दोनों मरीज पीजीआईएमईआर में भर्ती थे। प्रत्यारोपण से पहले दोनों मिलान प्राप्तकर्ता गुर्दे की बीमारी के अंतिम चरण से पीड़ित थे और लंबे समय से डायलिसिस पर निर्भर थे। प्रत्यारोपण के बाद प्राप्त कॉर्निया ने पीजीआईएमईआर में दो कॉर्निया दृष्टिहीन रोगियों की दृष्टि बहाल कर दी।
अंगदान करने के लिए पीजीआई के डायरेक्टर प्रो. विवेक लाल ने परिवार का आभार जताया। उन्होंने कहा कि परिवार के साहसिक फैसले से चार लोगों को नयी जिंदगी मिली है। दाता परिवार की उदारता की विरासत धड़कते दिलों के माध्यम से गूंजती है और जीवन के उपहार और दृष्टि के उपहार से धन्य लोगों की दृष्टि बहाल करती है।
सिर में लगी थी गंभीर चोटें
यह 14 मार्च का मनहूस दिन था, जब पवन अपने घर पर अचानक गिरने के बाद सिर में गंभीर चोट लगने के कारण बेहोश हो गया, जिससे परिवार पर दुखों का पहाड़ टूट पड़ा। परिवार पहले पवन को एक स्थानीय निजी अस्पताल में ले गया, जहां से उसे पीजीआईएमईआर रेफर कर दिया गया और उसी दिन, 14 मार्च को बेहद गंभीर हालत में यहां भर्ती कराया गया। लेकिन उपस्थित मेडिकल टीम के निरंतर प्रयास इस दुखद त्रासदी को टाल नहीं सके और बाद में, टीएचओए 1994 के अनुसार प्रोटोकॉल का पालन करने के बाद, पवन को 19 मार्च को ब्रेन डेड घोषित कर दिया गया।
त्रासदी को शब्दों में बयां नहीं कर सकते
पवन की पत्नी बेबी रानी ने कहा कि उनकी त्रासदी इतनी भयानक है कि शब्दों में बयां नहीं किया जा सकता। पति मेरे लिए जीवन की किरण थे, लेकिन अब वह भी ख़त्म हो गया है और हमारी दुनिया पूरी तरह से बर्बाद हो गई है। हो सकता है भगवान ने मेरे पति को इसलिए ले लिया हो, क्योंकि अंगदान के जरिए दूसरों को उनकी वजह से जीना था। सौ साल के जीवनकाल में कई लोग जितना हासिल कर सकते हैं, पवन उससे कहीं अधिक करने में सक्षम था।