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Pauranik Kathayen : 5000 साल से आज भी धड़क रहा श्रीकृष्ण का दिल, पांडवों ने किया था जल में प्रवाहित

06:54 PM Jan 27, 2025 IST

चंडीगढ़, 26 जनवरी (ट्रिन्यू)

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भगवान श्रीकृष्ण ने 125 साल की उम्र में मानव देह का त्याग करके बैकुंठ प्रस्थान किया था। पांडवों ने श्रीकृष्ण की मानव देह का अंतिम संस्कार किया। ऐसा कहा जाता है कि श्रीकृष्ण की देह के साथ उनका हृदय नहीं जला बल्कि उनका दिल धड़कता रहा। पांडवों ने श्रीकृष्ण के हृदय को समुद्र में प्रवाहित कर दिया, जोकि 5000 हजार सालों से आज भी जगन्नाथ पुरी मंदिर में धड़क रहा है।

कृष्ण की मृत्यु कथा

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पौराणिक कथाओं के अनुसार, भगवान होने के बावजूद श्रीकृष्ण ने मानव रूप में धरती पर जन्म लिया था इसलिए उनकी मृत्यु निश्चित थी। जब श्रीकृष्ण वन में पीपल के पेड़ के नीचे विश्राम कर रहे थे तब एक बहेलिए ने हिरण समझकर उनको तीर मार दिया, जिसके बाद उन्होंने देह त्याग दिया। पांडवों ने श्रीकृष्ण के शरीर का रीति-रिवाज से अंतिम संस्कार किया।

मृत्यु के बाद श्रीकृष्ण के शरीर का क्या हुआ?

मगर, पांडवों ने देखा कि श्रीकृष्ण का पूरा शरीर तो जल गया है, लेकिन दिल धड़क रहा है। पांडव हैरान थे। तभी आकाशवाणी हुई कि यह ब्रह्म का हृदय है, जिसका कभी विनाश नहीं हो सकता। इसके बाद पांडवों ने श्रीकृष्ण के दिल को समुद्र में प्रवाहित कर दिया। कहा जाता है कि वह एक लट्ठे के रूप में तैरते-तैरते उड़ीसा पहुंच गया, जिसे अब ओडिशा के नाम से जाना जाता है।

राजा के सपने में आए श्रीकृष्ण

श्रीकृष्ण उसी रात उड़ीसा के राजा इंद्रद्युमन के सपने में आए और लकड़ी के लट्ठे के रूप में मौजूद दिल का निर्माण करवाने के लिए कहा। सुबह जब राजा समुद्र तट पहुंचे तो उन्हें वहां लकड़ी का लट्ठा नजर आया, जिसके बाद उन्होंने विश्वकर्मा की मदद से भगवान जगन्नाथ, बलभद्र और सुभद्रा की मूर्तियां तैयार करवाकर पुरी के मंदिर की स्थापना की। इस मंदिर को आज जगन्नाथ पुरी के नाम से जाना जाता है।

मूर्ति में धड़क रहा श्रीकृष्ण का दिल

आज भी भगवान जगन्नाथ की मूर्ति में श्रीकृष्ण का हृदय धड़क रहा है इसलिए हर 12 साल में मूर्ति का आवरण बदला जाता है। साल में एक बाद पूरे मंदिर में अंधेरा करके पुजारी आवरण बदलते हैं। पुजारियों की आंखों में भी पट्टी बंधी रहती है। ऐसी मान्यता है कि अगर कोई उस दिल में से निकल रहे तेज को कोई देख लेगा तो उसकी मृत्यु हो जाएगी।

डिस्केलमनर: यह लेख/खबर धार्मिक व सामाजिक मान्यता पर आधारित है। dainiktribneonline.com इस तरह की बात की पुष्टि नहीं करता है।

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