Pauranik Kathayen : भगवान शिव ने त्रिशूल और श्रीहरि ने चक्र, आदिशक्ति को देवगण ने दिए अस्त्र...ऐसे बना मां दुर्गा का विराट रूप
चंडीगढ़, 14 जनवरी (ट्रिन्यू)
सर्वोच्च शक्ति मां दुर्गा हिंदू धर्म में परम पूजनीय है। मां दुर्गा ना केवल पालनहार हैं बल्कि वह दुनिया की रक्षक भी हैं। उन्हें शक्ति की देवी के रूप में पूजा जाता है। नवरात्रि के दौरान भक्त मां दुर्गा के नौ अवतारों की पूजा करते हैं। मां दुर्गा को भगवान शिव का दूसरा भाग माना जाता है। जहां शिव उनका रूप हैं, वहीं दुर्गा उनकी अभिव्यक्ति हैं। माता दुर्गा की 8 भुजाएं 8 दिशाओं का प्रतीक हैं।
मां दुर्गा एक योद्धा देवी और एक सुरक्षात्मक मां हैं। वैसे तो मां गाथा सभी भक्तों को पता है, क्या आप जानते हैं लेकिन मां दुर्गा को अपने हथियार कैसे मिले? उन्हें अपना नाम कैसे मिला? ऐसे कई रहस्य हैं, जिनसे अभी भी कई भक्त अनजान है।
माता दुर्गा का प्रकट होना
पौराणिक कथाओं के अनुसार, जब धरती पर असुरों के राजा महिषासुर का अत्याचार बढ़ गया तब देवताओं के तेज से एक शक्ति प्रकट हुआ, जोकि मां दुर्गा थी। ब्रह्मा जी के तेज से मां दुर्गा के दोनों चरण और सूर्य देव के तेज से उनके हाथ बनें। वसुओं के तेज से माता के हाथों की उंगलियां और कुबेर जी के तेज से नासिक (नाक) बनी। संध्या के तेज से भौहें, वायु के तेज से कान और अग्नि के तेज से उनके तीनों नेत्र बने। प्रजापति के तेज से मां दुर्गा के दांत प्रकट हुए।
माता दुर्गा के अस्त्र-शस्त्र
मां दुर्गा को त्रिशूल भगवान शिव और चक्र भगवान विष्णु से प्राप्त हुआ है। यमराज ने मां को काल दंड, वरुण ने पाश प्रदान किया। इसके अलावा अन्य देवी-देवताओं ने मां दुर्गा को शस्त्रों से सुसज्जित किया। मां दुर्गा के पास तलवार, भाला, कुल्हाड़ी, धनुष और बाण और त्रिशूल सहित कई तरह के हथियार हैं। प्रत्येक हथियार एक अलग गुण का प्रतीक है, जैसे ज्ञान, शक्ति और निडरता।
मां दुर्गा की आंखें
दुर्गा को त्रियंबके के नाम से भी जाना जाता है, जिसका अर्थ है "तीन आंखों वाली"। उनकी तीन आंखें अग्नि, सूर्य और चंद्र का प्रतीक हैं। उनकी बाईं आंख इच्छा का प्रतिनिधित्व करती है, उनकी दाईं आंख क्रिया का प्रतिनिधित्व करती है, और उनकी मध्य आंख ज्ञान का प्रतिनिधित्व करती है।
डिस्केलमनर: यह लेख/खबर धार्मिक व सामाजिक मान्यता पर आधारित है। Dainiktribuneonline.com इस तरह की बात की पुष्टि नहीं करता है।