Pauranik Kathayen : उल्लू कैसे बना धन की देवी मां लक्ष्मी की सवारी? जानिए रोचक कथा
चंडीगढ़, 8 जनवरी (ट्रिन्यू)
Pauranik Kathayen : उल्लू, जिसे संस्कृत में उलूक के नाम से भी जाना जाता है, ज्ञान का प्रतीक है। इसे अक्सर मां लक्ष्मी के बगल में बैठा हुआ दर्शाया जाता है। लक्ष्मी के साथ उल्लू के जुड़ाव का गहरा आध्यात्मिक महत्व माना जाता है।
बुरी शक्तियों को दूर रखता है उल्लू
उल्लू को ज्ञान का पक्षी माना जाता है जबकि माता लक्ष्मी आध्यात्मिक ज्ञान की स्वामिनी हैं। कहा जाता है कि उल्लू बुरी शक्तियों को दूर रखता है। वहीं, उल्लू मां लक्ष्मी के भक्तों से धन और उसके वैभव के जाल में न फंसने के लिए कहता है। इसकी बजाए वह आध्यात्मिक धन की खोज करने की साधक की प्रवृत्ति को दर्शाता है।
मां लक्ष्मी ने उल्लू को ही क्यों चुना अपना वाहन?
पौराणिक कथा के अनुसार, जब सभी देवी-देवता अपने वाहन का चुनाव कर रहे थे तब माता लक्ष्मी ने धरती पर आकर पशु-पक्षी से अपने सामने प्रस्तुत होने की विनती की। माता लक्ष्मी ने कहा कि वह कार्तिक अमावस्या के दौरान धरती पर आकर अपने वाहन का चुनाव करेगी। उस समय जो पशु-पक्षी उन तक पहले पहुंच जाएगा वह उन्हें अपना वाहन बना लेगी।
यह कहकर माता लुप्त हो गई। कार्तिक अमावस्या पर दोबारा धरती पर आई लेकिन काली रात होने के कारण कोई भी उन्हें देख नहीं पाया। तब उल्लू ने अपनी तेज नजर से माता को देख लिया और उनके पास पहुंच गया। इस तरह अपने वचन अनुसार माता लक्ष्मी ने उल्लू को अपना वाहन बना लिया। इसलिए मां लक्ष्मी को उलूक वाहिनी भी कहा जाता है।
ज्ञान और धैर्य का प्रतीक
देवी लक्ष्मी ने उल्लू को अपना वाहन चुना क्योंकि उल्लू ज्ञान, धैर्य और सतही चीजों से परे देखने की क्षमता का प्रतीक है। हालांकि अन्य लोग यह भी मानते हैं कि उल्लू लक्ष्मी की बहन अलक्ष्मी का प्रतीक है, जो गरीबी और संघर्ष का प्रतीक है। यह पक्षी सांसारिक संपत्ति के आकर्षण से परे देखने और आंतरिक ज्ञान की तलाश करने के लिए कहता है। मां लक्ष्मी का उल्लू धैर्य, बुद्धि और ज्ञान का प्रतीक है।