Gyan Ki Baat : गुरुवार को खिचड़ी और केला खाने के लिए क्यों मना करती हैं दादी-नानी?
चंडीगढ़ , 9 जनवरी (ट्रिन्यू)
Gyan Ki Baat : सनातम धर्म में गुरुवार का दिन भगवान विष्णु और देवगुरु बृहस्पति को समर्पित है इसलिए इसे बहुत शुभ दिन माना जाता है। हालांकि इस दिन से जुड़ी कुछ खास बातें हैं और कई लोग इसका पालन करते हैं। हिंदू मान्यताओं के अनुसार, गुरुवार को खिचड़ी और केले खाने से बचना चाहिए। आपने भी दादी-नानी को अक्सर कहते हुए सुना होगा कि वीरवार के दिन खिचड़ी और केले नहीं खाने चाहिए।
क्यों नहीं खाने चाहिए केले?
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, केले के वृक्ष में देव गुरु बृहस्पति का वास होता है। वहीं, केले आमतौर पर भगवान विष्णु को प्रार्थना के रूप में चढ़ाए जाते हैं इसलिए गुरुवार को केला खाने की मनाही होती है।
गुरुवार को खिचड़ी खाने से बचें
यह भगवान विष्णु की पूजा करने का दिन भी है, जिन्हें पीला रंग पहनना पसंद है। यही कारण है कि लोग मानते हैं कि खिचड़ी नहीं बनानी चाहिए और न ही खानी चाहिए क्योंकि इसे पीले मूंग दाल और चावल से बनाया जाता है। साथ ही ऐसा माना जाता है कि गुरुवार को खिचड़ी खाने से 'धन हानि' हो सकती है और गरीबी आती है। ऐसे में गुरुवार को खिचड़ी खाने या बनाने से हमेशा बचना चाहिए।
गुरुवार को क्या करें
हिंदू धर्म की मान्यता अनुसार, इस दिन केले, पीले लड्डू, पीली साड़ी आदि पीली चीजें दान करनी चाहिए। जो लोग समाज में सम्मान पाना चाहते हैं, उन्हें इस दिन व्रत रखना चाहिए और केले के पेड़ व भगवान विष्णु की पूजा करनी चाहिए। माना जाता है कि इससे भगवान बृहस्पति आपको बुद्धि प्रदान करते हैं।
गुरुवार को क्या न करें
- माना जाता है कि महिलाओं को इस दिन अपने बाल नहीं धोने चाहिए क्योंकि ऐसा करने से उनके पति और बच्चों का दुर्भाग्य होता है। इतना ही नहीं, गुरुवार को गंदे कपड़े धोने की भी मनाही होती है क्योंकि ऐसा करने से बुरे कर्म आकर्षित होते हैं।
- गुरुवार का एक और प्रचलित नियम यह है कि इस दिन बाल नहीं कटवाने चाहिए, दाढ़ी नहीं बनानी चाहिए और नाखून भी नहीं काटने चाहिए। जब लोग ऐसा करते हैं तो भगवान बृहस्पति नाराज हो जाते हैं, जिससे व्यापार में नुकसान या नौकरी छूट सकती है।
- इस दिन, यह भी माना जाता है कि व्यक्ति को अकेले देवी लक्ष्मी की पूजा नहीं करनी चाहिए और उनके साथ भगवान विष्णु की पूजा करनी चाहिए।
डिस्केलमनर: यह लेख/खबर धार्मिक व सामाजिक मान्यता पर आधारित है। dainiktribneonline.com इस तरह की बात की पुष्टि नहीं करता है।