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तीर्थ स्थलों के विकास से समृद्धि की राह

09:03 AM Jan 09, 2024 IST

प्रमोद भार्गव

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पांच सौ साल पहले जब अयोध्या में विदेशी आक्रांता राम मंदिर ध्वस्त कर रहे थे, तब तुलसी और सूरदास राम एवं कृष्ण की लीलाओं को ब्रज, अवधी और भोजपुरी भाषाओं में रच रहे थे। जिससे हमलावरों के हमलों से आहत जनमानस जागरूक हो और अपनी सनातन सांस्कृतिक अस्मिता तथा देश की संप्रभुता के लिए बलिदानी भाव-बोध से जूझ जाए। निहत्था भक्त इसी थाती के बूते इस्लाम की तलवार और फिरंगियों की तोपों से पूरे पांच सौ साल युद्धरत दिखाई देता रहा। इसी युद्धरत आम भारतीय ने हमें 15 अगस्त 1947 को आजादी दिलाई। तत्पश्चात भी वामपंथी वैचारिकी कुछ इस तरह गढ़ी जाती रही कि हम अपनी ऐतिहासिक-सांस्कृतिक विरासत पर प्रश्न उठाने लग गए? यूपीए सरकार ने राम और रामसेतु के अस्तित्व को ही झुठलाने का काम कर दिया। अलबत्ता 2014 से नरेंद्र मोदी की सरकार के आरंभ से बदलाव की कुछ ऐसी हवा चली कि अयोध्या में भगवान राम के जन्म-स्थल पर तो रामलला के विग्रह की स्थापना 22 जनवरी को हो ही रही है, इस्लामिक देश संयुक्त अरब अमीरात की राजधानी अबूधाबी में राम मंदिर जैसा ही भव्य मंदिर बनकर तैयार है। आगामी 14 फरवरी को इस मंदिर के पट प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी खोलेंगे।
उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा जारी आंकड़ों के अनुसार, बीते वर्ष 2.39 करोड़, यानी प्रतिदिन करीब 70 हजार तीर्थयात्री अयोध्या नगरी पहुंचे। यात्रियों की यह आमद 2022 की तुलना में सौ गुना अधिक रही। अनुमान है कि भगवान राम के मंदिर की प्राण-प्रतिष्ठा के बाद अयोध्या देश का सबसे बड़ा धार्मिक पर्यटन स्थल हो जाएगा। यहां प्रतिवर्ष दस करोड़ पर्यटकों के आने की उम्मीद जताई जा रही है। एक पर्यटक औसतन 2700 रुपए खर्च करता है, अर्थात अयोध्या ही नहीं समूचे प्रदेश की अर्थव्यवस्था को इस पर्यटन से बल मिलेगा। इसी तर्ज पर सोमनाथ, वाराणसी, उज्जैन और केदारनाथ के मंदिरों में गलियारों का विस्तार हो गया है। इन तीर्थों के आधुनिक एवं सुविधाजनक हो जाने से पर्यटन का आकार बढ़ गया है। विश्वस्तरीय होटल, सड़क, हवाई और रेल सुविधाएं हो जाने से यात्रियों की संख्या उम्मीद से कहीं ज्यादा बढ़ी है। भारत में फिलहाल पर्यटन से जुड़ी जीडीपी का योगदान 5 से 6 प्रतिशत है, इसमें धार्मिक पर्यटन का हिस्सा अब तक आधा रहता है, जो अब निरंतर उछाल मार रहा है।
उत्तर प्रदेश में धार्मिक पर्यटन में बढ़ोतरी से प्रेरित होकर अन्य राज्य सरकारें भी धार्मिक स्थलों के संरचनात्मक विकास और ठहरने व आवागमन की सुविधाओं को बढ़ावा देने में लग गई हैं। असम के गुवाहाटी में कामाख्या मंदिर का 500 करोड़ रुपए की लागत से विकास हो रहा है। राजस्थान में गोविंद देव मंदिर, पुष्कर तीर्थ और बेनेश्वर धाम का विकास सौ-सौ करोड़ रुपए की लागत से किया जा रहा है। बिहार सरकार भारतमाला धार्मिक संपर्क योजना के अंतर्गत उच्चैठ भगवती मंदिर से महिषी तारास्थल को जोड़ने के लिए मधुबनी के उमगांव से सहरसा तक के मार्ग को विस्तृत कर रही है।
महाराष्ट्र सरकार कोल्हापुर में 250 करोड़ की लागत से महालक्ष्मी मंदिर गलियारा बना रही है। इसी प्रकार प्रसिद्ध तीर्थस्थल नासिक से त्र्यंबकेश्वर मंदिर तक चौड़ा रास्ता बनाया जा रहा है। तेलंगाना में 1300 करोड़ की लागत से ययादि मंदिर का निर्माण किया गया है। भगवान नृसिंह के इस मंदिर के गर्भगृह में 125 किलो सोना लगा है। मध्यप्रदेश के छिंदवाड़ा में 314 करोड़ रुपए से एक सौ एकड़ में लेटे हनुमान मंदिर-लोक और सलकनपुर श्रीदेवी महालोक बनाया जा रहा है। सागर में रविदास मंदिर धाम, दतिया में पीतंबरा माईलोक, ओरछा में रामराजा लोक, चित्रकूट में रामपथगमन लोक, ग्वालियर में शनिलोक और बड़वानी में नाग-लोक बनाए जाना प्रस्तावित हैं। मथुरा में मथुरा-वृंदावन गलियारा और यमुना नदी फ्रंट का विकास 250 करोड़ रुपए की लागत से किया जा रहा है।
हजारों साल पहले समुद्र में डूब चुकी भगवान कृष्ण की द्वारका के दर्शन पनडुब्बी से कराए जाने की तैयारी हो रही है। गुजरात सरकार श्रीमद् भागवत कथा और महाभारत में उल्लेखित द्वारका दर्शन के लिए अरब सागर में यात्री पनडुब्बी चलाने का अनूठा कार्य करेगी। एमओयू के तहत इस पनडुब्बी का संचालन मझगांव डॉक करेगा। इस यात्रा का आरंभ इसी साल श्रीकृष्ण जन्माष्टमी या दीपावली तक हो सकती है। इस रोमांचक इतिहास और पुरातत्व के अवशेषों से जुड़ी रोमांचक यात्रा में प्राचीन द्वारका तक पहुंचने में दो-तीन घंटे लगेंगे। यात्रा का किराया अधिक होगा, लेकिन आम आदमी के लिए सरकार छूट देगी।
35 टन वजनी यह पनडुब्बी वातानुकूलित होगी। दो कतारों में 24 यात्रियों को बैठने की सुविधा होगी। इस पनडुब्बी में प्राकृतिक उजाले का प्रबंध होगा। संचार और वीडियो वार्तालाप की सुविधाएं होंगी। पनडुब्बी में बैठे हुए स्क्रीन पर भीतर की हलचल और जीव-जंतुओं को देख व रिकॉर्ड कर सकेंगे। इस देव भूमि गलियारे के तहत बेट द्वारका समुद्री टापू को दुनिया के मानचित्र पर लाने की दृष्टि से सरकार सिग्नेचर पुल का निर्माण कर रही है। कुल 900 करोड़ की लागत से निर्माणाधीन यह पुल 2320 मीटर लंबा होगा। यह चार कतारों का केबल ब्रिज है। इस परियोजना में 12 ज्योतिर्लिंग में शामिल नागेश्वर मंदिर के अलावा हनुमान और उनके पुत्र मकरध्वज मंदिर का विकास भी हो रहा है। अयोध्या में भगवान राम की प्राण-प्रतिष्ठा के साथ ही देश का धार्मिक पर्यटन एक लाख करोड़ की अर्थव्यवस्था से ऊपर जाने की उम्मीद अर्थशास्त्री जता रहे हैं। यह पर्यटन व्यापार 10 से 15 प्रतिशत की वार्षिक दर से बढ़ रहा है।

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