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वैश्य, पंजाबी और ब्राह्मण के फेर में उलझी पंचकूला विधानसभा सीट

07:48 AM Jul 31, 2024 IST
वैश्य  पंजाबी और ब्राह्मण के फेर में उलझी पंचकूला विधानसभा सीट
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दिनेश भारद्वाज/ एस. अग्निहोत्री
चंडीगढ़, 30 जुलाई
हरियाणा की ‘मिनी राजधानी’ यानी पंचकूला में कांग्रेस की टिकट को लेकर अभी से मारामारी शुरू हो गई है। इस सीट के अस्तित्व में आने से लेकर अभी तक यहां वैश्य बिरादरी के नेता विधायक बनते आ रहे हैं। अब पंचकूला की सीट वैश्य, पंजाबी और ब्राह्मण के फेर में उलझी दिख रही है। पूर्व केंद्रीय मंत्री और मूल रूप से चंडीगढ़ की राजनीति में एक्टिव पवन बंसल के बेटे मनीष बंसल पंचकूला सीट पर ‘पैराशूट एंट्री’ मारने की फिराक में हैं। मनीष बंसल द्वारा पंचकूला शहर और इस विधानसभा क्षेत्र के अंतर्गत आने वाले गांवों में बढ़ाई गई सक्रियता की वजह से स्थानीय कांग्रेसियों में अंदरखाने नाराजगी भी है। कालका से चार बार विधायक रहे पूर्व डिप्टी सीएम चंद्रमोहन बिश्नोई पंचकूला में अपना पहला ही चुनाव हार गए थे। 2008 के परिसीमन के बाद कालका को तोड़कर पंचकूला को नई सीट बनाया गया। 2009 में अंबाला सिटी के डीके बंसल ने कांग्रेस टिकट पर पंचकूला से चुनाव लड़ा और जीत हासिल की।
2014 में डीके बंसल दूसरी बार भी पंचकूला से चुनावी रण में आए लेकिन भाजपा के ज्ञानचंद गुप्ता ने उन्हें पटकनी दे दी। इसके बाद 2019 में चंद्रमोहन बिश्नोई को पंचकूला से टिकट दिया गया लेकिन वे ज्ञानचंद गुप्ता के मुकाबले चुनाव हार गए। 2005 में कालका से चुनाव जीतने के बाद चंद्रमोहन बिश्नोई हुड्डा सरकार में उपमुख्यमंत्री भी रहे। हालांकि बाद में एक महिला के साथ संबंधों और विवाद के चलते उन्हें कुर्सी भी छोड़नी पड़ी थी। चंडीगढ़ से सांसद बनते रहे पवन बंसल लगातार दो बार 2014 और 2019 में लोकसभा चुनाव हार चुके हैं। इस बार पार्टी ने उनकी जगह मनीष तिवारी को चंडीगढ़ से टिकट दिया और वे भाजपा के संजय टंडन को शिकस्त देकर लोकसभा पहुंचने में कामयाब रहे। उम्रदराज हो चुके पवन बंसल अब अपने बेटे मनीष बंसल को राजनीति में स्थापित करना चाहते हैं।
पंचकूला में चंद्रमोहन बिश्नोई के अलावा आधा दर्जन से अधिक नेता कांग्रेस टिकट के लिए दावा ठोक रहे हैं। मनीष बंसल इस हलके के वैश्य वोट बैंक को देखते हुए सक्रिय हुए हैं। वहीं ब्राह्मण वोट बैंक के हिसाब से महिला कांग्रेस की प्रदेशाध्यक्ष सुधा भारद्वाज भी मजबूती के साथ अपना दावा ठोक रही हैं।
चुनाव लड़ने की तैयारियां कर चुकी सुधा भारद्वाज ने ‘पंडित हरिप्रकाश चैरिटेबल ट्रस्ट’ के जरिये लोगों को तरह-तरह की सुविधाएं प्रदान करना भी शुरू कर दी हैं। उनके पति व कांग्रेस के प्रदेश प्रवक्ता रहे संजीव भारद्वाज भी राजनीति में एक्टिव हैं। पूर्व केंद्रीय मंत्री व सिरसा सांसद कुमारी सैलजा के साथ भी उनकी नजदीकियां हैं।

पंजाबी कोटे से कई लाइन में इसी तरह से पंजाबी कोटे से टिकट मांगने वालों की भी कमी नहीं है। पंचकूला में नगर परिषद के चेयरमैन रह चुके वरिष्ठ कांग्रेस नेता रविंद्र रावल भी टिकट के लिए लॉबिंग कर रहे हैं। पूर्व सीएम भूपेंद्र सिंह हुड्डा के करीबियों में शामिल रावल इलाके में सामाजिक रूप से भी काफी एक्टिव हैं। इसी तरह से पंचकूला नगर निगम की मेयर रहीं उपेंद्र आहलूवालिया भी टिकट के लिए भागदौड़ कर रही हैं। वे कुमारी सैलजा के साथ भी संपर्क में हैं और हुड्डा के साथ भी उनके परिवार की काफी नजदीकियां हैं। कांग्रेस के वरिष्ठ नेता पवन जैन भी वैश्य कोटे से टिकट की मांग कर रहे हैं। उनकी गिनती भी हुड्डा खेमे में होती है।

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इसलिए भी होगा संग्राम

पंचकूला की सीट पर इस बार कांग्रेस दिग्गजों के बीच इसलिए भी ‘संग्राम’ होने के आसार हैं क्योंकि वर्तमान में अंबाला पार्लियामेंट से वरुण चौधरी सांसद हैं। वरुण चौधरी को हुड्डा कैम्प का नेता माना जाता है। कांग्रेस में विधानसभा की टिकट आवंटन के दौरान स्थानीय सांसद की पसंद-नापंसद का भी ध्यान रखा जाता है। नोट : इस समाचार के साथ मनीष बंसल, चंद्रमोहन बिश्नोई, सुधा भारद्वाज, उपेंद्र आहलूवालिया, रविंद्र रावल व पवन जैन के फोटो का इस्तेमाल करें।

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