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महिला महावत, वेंकैया और बिंदेश्वरी को पद्म सम्मान

06:19 AM Jan 26, 2024 IST

नयी दिल्ली, 25 जनवरी (ट्रिन्यू)
सरकार द्वारा 2024 पद्म पुरस्कारों की घोषणा बृहस्पतिवार देर रात कर दी गयी। इसके अनुसार पांच लोगों को पद्म विभूषण, 17 को पद्मभूषण और 110 को पद्मश्री पुरस्कार देने का ऐलान किया गया है। पद्म विभूषण और पद्म भूषण पाने वालों में पूर्व उपराष्ट्रपति एम वेंकैया नायडू, अभिनेत्री वैजयंतीमाला बाली, सुलभ इंटरनेशनल के संस्थापक दिवंगत बिंदेश्वर पाठक अभिनेता मिथुन चक्रवर्ती और चिरंजीवी के भी नाम शामिल हैं।
पद्मश्री पाने वालों में कारीगर, किसान, सामाजिक कार्यकर्ता, नृत्यांगना और लोक कलाकार शामिल हैं। इन लोगों में सिरसा के गुरविंदर सिंह (53) का नाम भी शामिल है। दिव्यांग सिंह बेघर, निराश्रित, महिलाओं की सेवा में अनवरत काम करते हैं। अपने अटूट समर्पण के साथ, उन्होंने बाल देखभाल संस्थान की स्थापना कर 300 बच्चों के सपनों को संजोया। इसका नाम नाम रखा गया बाल गोपाल धाम। सिंह ने 6,000 से अधिक लोगों को मुफ्त एम्बुलेंस सेवाएं प्रदान कीं।
एक ट्रक की चपेट में आने के बाद उनकी कमर से नीचे का हिस्सा लकवाग्रस्त हो गया था और उन्हें जीवनभर के लिए व्हीलचेयर पर ही रहना पड़ा, फिर भी उन्होंने अपने जीवन का मकसद ही परोपकार कर लिया।
पद्म सम्मान के लिए दूसरा नाम है असम की पारबती बरुआ का। वह भारत की पहली महिला महावत हैं। महावत हाथी को नियंत्रित करते हैं। उन्होंने पारंपरिक रूप से पुरुष प्रधान समाज में अपने लिए एक जगह बनाई। आमतौर पर पुरुषों का काम समझे जाने वाला महावत का काम पारबती ने बखूबी निभाया। वह बहुत प्रतिबद्धता से इस दिशा में खड़ी रहीं। पारबती ने जंगली हाथियों से निपटने और उन्हें पकड़ने में तीन राज्य सरकारों की सहायता की। 67 वर्षीय बरुआ को यह कौशल अपने पिता से विरासत में मिला था। एक संपन्न पृष्ठभूमि से आने के बावजूद उन्होंने इसी पेशे को चुना। एक सरल जीवन जीने वाली पारबती चंचल हाथियों को काबू करती हैं। इसके बाद केरल के सत्यनारायण बेलेरी का नाम आता है। वह 50 वर्ष के हैं। केरल के कासरगोड के एक चावल किसान। उन्होंने 650 से अधिक धान की किस्मों का संरक्षण किया और धान की फसल के संरक्षक के रूप में विख्यात हो गए। उन्होंने पारंपरिक चावल की किस्में ‘राजकायम’ के संरक्षण की दिशा में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। चावल की किस्मों के साथ-साथ उन्होंने सुपारी, जायफल और काली मिर्च के पारंपरिक बीज भी संरक्षित किए। उनके बाद मिजोरम की संगथंकिमा (63) का नाम इस सूची में है। वह सामाजिक कार्यकर्ता हैं, जो मिजोरम का सबसे बड़ा अनाथालय ‘थुतक नुनपुइटु टीम’ चला रही हैं। उन्होंने बच्चों के कल्याण, नशे की लत, एचआईवी-एड्स से संबंधित मुद्दों को मुखरता से उठाया और लोगों को जागरूक करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। संगथंकिमा अनाथों, नशा करने वालों और शराबियों के पुनर्वास की दिशा में अनवरत काम कर रही हैं। छत्तीसगढ़ के हेमचंद मांझी को पद्म पुरस्कार के लिए चुना गया है। 70 वर्षीय मांझी पारंपरिक औषधीय चिकित्सक हैं। वह किफायती स्वास्थ्य सेवा प्रदान करते हैं। उन्होंने 15 साल की उम्र से ग्रामीणों और जरूरतमंदों की सेवा शुरू कर दी। उन्हें अबूझमाड़ के सुदूर जंगलों में जड़ी-बूटियों के विशेष ज्ञान के लिए जाना जाता है। माझी विभिन्न बीमारियों से पीड़ित मरीजों के इलाज के लिए बहुत कम पैसे लेते हैं।
नक्सलियों द्वारा बार-बार धमकियों और व्यक्तिगत हमलों के बावजूद, वह ईमानदारी और उत्साह के साथ लोगों की सेवा कर रहे हैं। उनके अलावा केरल के बालाकृष्णन सदानम पुथिया वीथिल को भी इस सम्मान के लिए चुना गया। वह कथक नृत्य में पारंगत हैं।
बताया गया कि बालाकृष्णन ने 25 देशों में 30 राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय समारोहों में भाग लिया है। एक कोरियोग्राफर और निर्माता के रूप में, उन्होंने 35 से अधिक नए नाटक तैयार किए हैं और शेक्सपियर को कथकली नाटकों में रूपांतरित किया है।

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