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प्रदूषण नियंत्रण में हमारी जिम्मेदारी

06:30 AM Nov 20, 2023 IST

ठोस पहल हो

स्वच्छ पर्यावरण मनुष्य जीवन का एक अहम हिस्सा है, जिसे मनुष्य द्वारा ही प्रदूषित एवं अस्वास्थ्यकर बनाया जा रहा है। अनुमान है कि 60 फीसदी तक प्रदूषण का कारण शहरी क्षेत्र हैं। प्रदूषण नियंत्रण के लिए हमारी जिम्मेदारी है कि हम सार्वजनिक परिवहन का अधिक उपयोग करें। वहीं सरकार को भी सार्वजनिक परिवहन जैसे रेल, मेट्रो, ई-बसों आदि की उपलब्धता में वृद्धि करनी होगी। इसके साथ ही सड़कों के किनारों पर अधिक पौधारोपण हों। सौर ऊर्जा का अधिक उपयोग और प्रदूषण रोकथाम के प्रति जागरूकता हो। प्रदूषण विभाग को केवल प्रचार ही नहीं बल्कि ठोस कदम उठाने की आवश्यकता है।
नैन्सी धीमान, अम्बाला शहर
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सामूहिक कर्तव्य

प्रदूषण से निजात पाने के लिए, पर्यावरण के रक्षकों को पेड़ों को न सिर्फ काटना बंद करना होगा अपितु पौधारोपण कार्यक्रमों की गति और बढ़ानी होगी। हम जानते हैं कि वायु प्रदूषण में सर्वाधिक भूमिका वाहन प्रदूषण की है। इस तथ्य के दृष्टिगत हमें निजी वाहनों का उपयोग कम से कम करके सार्वजनिक परिवहन से काम चलाना सीखना होगा। छोटी दूरी पैदल अथवा साइकिल से तय करके भी हम अपने स्वास्थ्य और पर्यावरण संरक्षण की जिम्मेदारी निभा सकते हैं। फसल अवशेष जलाने वालों की मुखबिरी के जरिए भी प्रदूषण नियंत्रण में हिस्सा लिया जा सकता है। आम नागरिकों का फ़र्ज़ बनता है कि राजनेताओं को प्रदूषण नियंत्रण के लिए ठोस कदम उठाने के लिए बाध्य करें।
ईश्वर चन्द गर्ग, कैथल

लोग आगे आएं

शासन-प्रशासन की जो असल में सक्रियता होनी चाहिए, प्रदूषण को लेकर वह विफलता की परिचायक प्रमाणित हुई है। अब लोकसभा चुनाव करीब हैं। राज्य सरकारें पराली जलाने वाले किसानों पर कार्रवाई कर उनका गुस्सा मोल नहीं लेना चाहती। स्वास्थ्य संबंधी चिंताओं पर चुनावी हितों को प्राथमिकता दी जा रही है। आम लोगों को भी आगे आकर ऐसे प्रयास करने चाहिए ताकि कम से कम धुआं पैदा हो, वायु प्रदूषण से घातक बीमारियां ही नहीं, बच्चों में एनीमिया भी हो रहा है, गर्भवती महिलाएं प्रभावित हो रही हैं, लोगों को आगे आना होगा।
कु. रिया पुहाल, पानीपत
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जिम्मेदार हो व्यवहार

सर्दी की दस्तक व वातावरण में नमी के कारण दिल्ली व राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र में बुरी तरह प्रदूषण फैल जाता है। विशेषकर दीवाली के बाद तो दिल्ली गैस का चैम्बर बन जाती है। आतिशबाजी पर प्रतिबंध के बावजूद लोगों ने जमकर पटाखे फोड़ कर वातावरण को दूषित करने में कोई कसर नहीं छोड़ी। इस आतिशबाजी से देश में एक्यूआई चार गुना बढ़ गया। प्रदूषण कम करने में सिर्फ प्रशासन ही नहीं देश के नागरिकों की भी महत्वपूर्ण भूमिका होनी चाहिए। इस संकट के समाधान के लिए सामूहिक प्रयासों की जरूरत है। जब तक नागरिक जिम्मेदार व्यवहार नहीं करेंगे यह संकट खत्म होने वाला नहीं है।
पूनम कश्यप, नयी दिल्ली

सबका दायित्व

प्रदूषण नियंत्रण दुनियाभर के देशों के लिए चिंता का विषय है। भारत में भी महानगरों की दशा शोचनीय है। भौतिकवाद की अंधाधुंध दौड़ ने आदमी को स्वार्थी बना दिया है। अब ज़हरीली हवा में सांस लेने को मजबूर होकर तिल-तिल मर रहे हैं। वाहनों की बढ़ती संख्या ने हमारा जीवन नारकीय बना दिया है। इसके अलावा औद्योगिक प्रदूषण, कूड़ा-कचरे का सही निस्तारण न होना अंधाधुंध वृक्षों व प्राकृतिक संसाधनों का दोहन व्यक्ति अपने भविष्य को अंधकारमय बना रहा है। आज का आदमी व्यक्तिवादी विकास के चक्कर में सार्वभौमिक संसाधनों का दुरुपयोग कर रहा है। सबको मिलकर पर्यावरण के प्रति अपनी-अपनी जिम्मेदारी निभानी होगी।
विजेन्द्र कुंडू, चंडीगढ़

भावी पीढ़ी की सोचें

प्रदूषण के लिए सरकारों की गलत नीतियां जिम्मेदार हैं लेकिन हमें यह मंथन करना चाहिए कि वायु प्रदूषण को बढ़ाने के लिए हम कितने जिम्मेदार हैं? बेवजह निजी वाहनों का प्रयोग, वाहनों का प्रदूषण समय रहते चेक न करवाना, पेड़-पौधों को बिना वजह काट देना, घर या दूसरा कोई निर्माण करने पर पेड़ लगाने के लिए जगह न छोड़ना आदि कारण हैं। हमें अगर अपनी भावी पीढ़ी को प्रदूषण मुक्त पर्यावरण देना है तो हमें आज से पर्यावरण को संभालने के प्रयास करने होंगे। वरना प्रदूषण भावी पीढ़ी का जीना दुश्वार कर देगा।
राजेश कुमार चौहान, जालंधर

पुरस्कृत पत्र
छोटे-छोटे प्रयास हों

हमारी दिनचर्या निर्धारित करती है कि हम प्रदूषक हैं कि नहीं। दैनिक कार्यकलापों में संसाधनों का दुरुपयोग या बर्बादी ही प्रदूषण है। हम कम उपयोग, पुन: उपयोग एवं पुनर्चक्रण के मंत्र को किताबों से निकाल कर जीने का सिद्धांत बनायें। जिम में कसरत से बेहतर है कि आस-पास का सफर पैदल या साइकिल से तय करें। रसोई के गीले कूड़े से खाद बनायें। ऊर्जा कुशल उपकरण अपनाएं। खरीदारी के लिए घर से कपड़े का थैला लेकर चलें। धूम्रपान से वायु और गुटखा, खैनी आदि से प्लास्टिक प्रदूषण होता है, इन्हें तुरंत छोड़ें। घर या दुकान में अवैध निर्माण एवं अतिक्रमण न करें। इससे सड़कों की चौड़ाई घटती है तथा ट्रैफिक जाम और प्रदूषण बढ़ता है।
बृजेश माथुर, गाजियाबाद, उ.प्र.

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