For the best experience, open
https://m.dainiktribuneonline.com
on your mobile browser.

पक्का इरादा ही मुक्त  कराएगा नशे के जंजाल से

08:57 AM Jun 26, 2024 IST
पक्का इरादा ही मुक्त  कराएगा नशे के जंजाल से
Advertisement

जाने-अनजाने में नशीली दवाओं की गिरफ्त में आये युवा न केवल शारीरिक-मानसिक सेहत गंवा देते हैं बल्कि परिवार-समाज के लिए समस्या बन जाते हैं। नशे की लत लगने के कारणों, दुष्प्रभावों और उपचार आदि के बारे दिल्ली स्थित सर गंगा राम अस्पताल के जनरल फिजीशियन डॉ. मोहसिन वली से रजनी अरोड़ा की बातचीत।

नशा आज की बदलती जीवन-शैली में मकड़जाल की तरह समाज में व्याप्त है। खासकर युवावर्ग में नशा करना तो जैसे स्टेटस सिम्बल बन गया है। नशीले पदार्थ दोस्तों के उकसाने, मजा लेने,एक बार ट्राई करने भर के लिए या फिर बतौर फैशन लिए जाते हैं। लेकिन धीरे-धीरे वे नशे की तरफ खिंचे चले जाते हैं। उन्हें पता ही नहीं चल पाता कि कब उन्हें लत के रूप में जकड़ लिया। नशीले पदार्थ दिमाग की कोशिकाओं में डोपामिन हार्मोन के स्राव को बढ़ावा देता है। जो नशीले पदार्थों की इच्छा को और प्रबल करता है। आपूर्ति न होने पर व्यक्ति परेशान रहता है। नशीले पदार्थ उनका शरीर और जिंदगी ही बर्बाद नहीं करते, परिवार और समाज को भी नुकसान पहुंचाते हैं। नशीले पदार्थ मूलतः दो तरह से लिए जाते हैं। आदतन नशीली दवाओं के दुरुपयोग यानी ड्रग एब्यूज और नशे की तलब की पूर्ति या लत यानी ड्रग एडिक्शन भी कहा जाता है।

Advertisement

इन पदार्थों का नशे के लिए दुरुपयोग

नशा शरीर के लिए नुकसानदायक होता है, कई बार तो जानलेवा भी। सबसे बड़ा ड्रग एल्कोहल है जिसकी शुरुआत एनर्जी ड्रिंक्स से करते हैं, बढ़ते-बढ़ते बियर , फिर हार्ड ड्रिंक एल्कोहल के आदी हो जाते हैं। गलत संगति के दोस्तों के साथ गुटखा, सिगरेट, शराब, गांजा, भांग, अफीम के साथ-साथ चरस, स्मैक, कोकिन, ब्राउन शुगर जैसे घातक नशीली दवाओं का सेवन भी करने लगते हैं। ड्रग्स में स्मैक, कोकीन और मेरिजोआना बहुत कॉमन हैं। ड्रग एब्यूज में ऐसी कई दवाइयां आती हैं जिन्हें डॉक्टर को कंसल्ट किए बिना इस्तेमाल किया जाता है जो व्यक्ति को फील गुड का अहसास कराती हैं। इनमें सबसे आम है- कफ सिरप। इसमें कोडीन फॉस्फेट, सडेटिव मेडिसिन होती है जिससे नींद और सुस्ती आती है, ओवरडोज लेने से नशा होता है। कई लोगों को पेन किलर का एडिक्शन होता है। ब्रूफिन जैसी टेबलेट सालोंसाल खाते रहते हैं। इससे मौजूद स्टेरॉयड से उन्हें टेंपरेरी आराम मिलता है लेकिन ओवरडोज से उनके जाइंट्स खराब हो जाते हैं। एंटासिड एब्यूज भी बहुत कॉमन है। एसिडिटी के कई मरीज दिन भर में डाइजीन की आधी बोतल पी जाते हैं। कई युवा ऑयोडेक्स व हैंड सैनिटाइजर का सेवन करते हैं।

Advertisement

ये हैं कारण

वर्तमान व्यस्ततम जीवनशैली के चलते पेरेंट्स के पास बच्चों से बात करने, उनकी फीलिंग्स को समझने के समयाभाव के कारण बच्चे डिप्रेशन का शिकार हो जाते हैं और गलत राह पर पर बढ़ जाते हैं। पेरेंट्स को उनकी लत का पता काफी टाइम बाद पता चलता है। वहीं परिवार में अगर कोई नशा करता है तो बच्चों में भी इसकी आदत पड़ सकती है। फैमिली फंक्शन, फेस्टिवल या खुशी के मौकों पर एल्कोहल या अन्य ड्रिंक्स लेने वाले लोग भी नशे के जाल में फंस जाते हैं। गलत संगति के दोस्तों के पियर प्रेशर में एक बार ट्राई करने में वे नशे की लत का शिकार हो जाते हैं। टेंशन या प्रेम में असफलता में भी नशीले पदार्थों का सहारा लेते हैं।
पहचानें इन संकेतों से
पेरेंट्स को इन बातों के लिए सतर्क रहना पड़ेगा- अगर स्कूल या कॉलेज में बच्चे की परफॉर्मेन्स पहले की अपेक्षा कम हो रही हो। डेली रूटीन गड़बड़ाया है यानी दिन में सोते हैं, रात को जागते हैं। वहीं घबराहट, बैचेनी हो या सिरदर्द व चिड़चिड़ापन हो। नशे के जंजाल में फंसे युवा की आंखें ज्यादातर लाल रहेंगी, मूड स्विंग व तनाव भी एडिक्शन की एक निशानी है।

दुष्प्रभाव

नशे की लत के शिकार व्यक्ति दोस्तों और नाते-रिश्तेदारों से कट जाते हैं। घर में कलह रहती है। लत पूरा करने के लिए हिंसा, चोरी भी करने लगते हैं। ड्रग्स खत्म होने और तलब लगने पर घर से चोरी करके भी लेकर आते है। नशा व्यक्ति के तंत्रिका तंत्र को प्रभावित करता है जिससे वह उत्साह और ऊर्जा-ताकत का संचार होता महसूस करता है। लेकिन वे डिप्रेशन का शिकार हो जाते हैं। पढाई और दूसरी एक्टिविटी में पिछड़ जाते हैं। लंबे समय तक ड्रग्स लेने से शरीर के विभिन्न ऑर्गन पर असर पड़ता है। भूख कम लगती है, वजन कम हो जाता है। कोडीन युक्त कफ सिरप पीकर वे नशे के कारण सारा दिन सुस्त पड़े रहते हैं। इंजेक्शन से ड्रग्स लेने पर एड्स, हेपेटाइटिस बी होने की संभावना रहती है। ओवरडोज से श्वसन प्रणाली में समस्या आ सकती है, व्यक्ति कोमा में जा सकता है। एंटासिड दवाओं के ज्यादा सेवन से शरीर में एल्यूमीनियम बढ़ जाता है, किडनी खराब हो जाती है। कैंसर होने की आशंका हो जाती है।

उपचार यानी कैसे छूटे लत

नशे की लत छुड़ाने के लिए मरीज को एंटी-डिप्रेशन मेडिसिन दी जाती हैं व मनोवैज्ञानिक काउंसलिंग की जाती है। सुधार नहीं आता तो उसे नशा मुक्ति केंद्र भेजा जाता है। काउंसलर उन्हें नशे की लत छोड़ने का अटल निर्णय लेने और पसंदीदा एक्टिविटी में बिजी होने के लिए प्रोत्साहित करते हैं। मरीज यदि मन में ठान ले कि नशा छोड़ना है तो अंतत: सफल हो जाता है। डॉक्टर उन्हें नशीली दवा के सेवन की तलब उठने व खुद को रोक न पाने की स्थितियों में च्यूइंग-गम, सौंफ, इलायची जैसी चीजें व मेडिटेशन-योगाभ्यास करने की सलाह देते हैं। काउंसलर पेरेंट्स या अन्य परिजनों व संंबंधियों को ड्रग के मायाजाल मे फंसे व्यक्ति को टाइम देने, दिनचर्या पर नजर रखने, उनकी फीलिंग्स और जरूरतों को समझने-पूरा करने व सपोर्ट देने के लिए भी कहते हैं।

Advertisement
Advertisement
Advertisement
×