एकदा
जीवन की सच्चाई
प्रभु यीशु एक बार झील किनारे उपदेश दे रहे थे कि एक किसान बहुत सारे बीज लेकर खेत में बोने के लिए निकला। बीज कुछ रास्ते में गिर गए तो कुछ पक्षियों ने चुग लिए। कुछ पथरीली जमीन पर गिरे तो कुछ नम जमीन पर गिरकर अंकुरित हो गए। चट्टान होने के कारण कुछ बीजों की जड़ें ज्यादा परिपक्व नहीं हो पाईं। इसलिए वो जल्द ही सूख गए। शेष बीज उपजाऊ जमीन पर गए और उनकी बालियों में दाने भर आए। इतना कहने के बाद प्रभु यीशु शांत हो गए। फिर थोड़ी देर रुककर वह बोले, प्रभु का उपदेश देने वाला गुरु बीज बोने वाले किसान की तरह है। वह भक्त के हृदय में परमात्मा का संदेश रूपी बीज बोता है। लेकिन कुछ भक्त पथरीली धरती की तरह होते हैं। जिन्हें गुरु पर तुरंत विश्वास होता है और तुरंत नष्ट हो जाता है। उन्हें सांसारिक चिंताओं ने वशीभूत किया हुआ होता है। शेष भक्तों का हृदय बेहद उपजाऊ होता है। ऐसे भक्त संदेश को श्रद्धापूर्वक ग्रहण करते हैं। वे स्वयं इस आनंद की वर्षा में भीगते हैं और औरों को भी भिगो देते हैं। यह जीवन की सच्चाई है। प्रस्तुति : देवेंद्र शर्मा