एकदा
एक दिन जब उधम सिंह लंदन की सड़कों पर घूम रहे थे, उन्होंने एक छोटे से रेस्तरां में एक भूखे भारतीय छात्र को देखा। वह छात्र पैसों की कमी के कारण खाना नहीं खरीद पा रहा था। उधम सिंह के पास भी बहुत पैसे नहीं थे, क्योंकि वे खुद मुश्किल से गुजारा कर रहे थे। फिर भी उधम सिंह ने बिना किसी हिचकिचाहट के अपनी जेब से कुछ सिक्के निकाले और उस छात्र को दे दिए। उन्होंने कहा, ‘भाई, अपना ख्याल रखना। हमें अपने देश के प्रति दृढ़ रहना है।’ छात्र ने पूछा, ‘आप कौन हैं? मैं आपको कैसे धन्यवाद दूं?’ उधम सिंह ने मुस्कुराते हुए जवाब दिया, ‘मैं भी तुम्हारी तरह एक भारतीय हूं। मेरा नाम जानने की जरूरत नहीं है। बस याद रखना कि हम सब एक हैं और हमें एक-दूसरे की मदद करनी चाहिए।’ जब उस छात्र ने अखबार में उधम सिंह की तस्वीर देखी, तो वह हैरान रह गया। उसने पहचान लिया कि यह वही व्यक्ति था जिसने उसकी मदद की थी। प्रस्तुति : देवेन्द्रराज सुथार