एकदा
एक बार रामकृष्ण परमहंस साधकों से संवाद कर रहे थे। उन्होंने वहां मौजूद भक्तों से पूछा, ‘तुम लोग भगवान से क्या-क्या मांगते हो?’ तदुपरांत भक्तों ने अपनी-अपनी इच्छाओं का जिक्र किया। वे तमाम संसार विषयक इच्छाएं थीं। परमहंस जी ने भक्तों को समझाया, ‘ईश्वर से कुछ नहीं मांगना चाहिए। उनका तो साथ तथा प्रेम ही अनमोल है।’ इस पर भक्तों ने कहा कि हम यदि ईश्वर से नहीं मांगेंगे तो और किसकी शरण में जाएंगे। इस पर रामकृष्ण परमहंस ने भक्तों को एक उदाहरण के जरिये समझाया। उन्होंने कहा कि ‘यदि तुम्हारे किसी संपन्न-प्रतिष्ठित व्यक्ति से संबंध हों तो वह तुम्हारे उसके पास जाने पर खूब मेहमाननवाजी करेगा। तुम्हें अपने साथ बैठाएगा। लेकिन जिस दिन तुम उससे निजी लाभ के लिये कुछ मांगोगे तो वह तुमसे कन्नी काटने लगेगा। उसके करीब जाने का जो सुख तुम्हें मिलता था, उससे तुम वंचित हो जाओगे। हो सकता है कभी सामने आने पर वह तुम्हें अनदेखा कर दे। निस्संदेह, ईश्वर दुनिया में सर्वशक्तिमान है। उसकी नि:स्वार्थ भक्ति कीजिए। वह कालांतर में तुम्हारी क्षमता-योग्यता के अनुरूप मनोकामना पूर्ण करेगा।’ प्रस्तुति : डॉ. मधुसूधन शर्मा