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एकदा

07:55 AM Jul 16, 2024 IST
एकदा
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एक बार तुलसीदास जी के पास एक गरीब युवक आया। वह प्रभु को कुछ विशेष भेंट देना चाहता था। मगर उसे संकोच था। उसके पास कीमती परिधान या सोना चांदी, रत्न की सामर्थ्य तो बिल्कुल भी नहीं थी। उसको पास बिठाकर तुलसीदास जी ने प्रेम से समझाया कि प्रभु को सबसे अनमोल भेंट है आपका सुर, आपका कंठ। अर्थात‍् आपका गायन। आपका भजन या जैसे भी आप उनको सुर में पुकारो। अगर आप गा सकते हो। ‘जी मैं गा सकता हूं।’ खुशी से ऐसा कहकर वह युवक गीत सुनाने लगा। उसने अनवरत कुछ स्वरचित गीत प्रभु के सामने सुनाये। परिणामस्वरूप वह युवक खुद ही आनंद से भर गया। गद‍्गद होकर आंखों में आंसू भरकर प्रभु के द्वार से लौटा। मानो उसे प्रभु के सामीप्य का आभास हो गया हो। प्रस्तुति : पूनम पांडे

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