एकदा
संकल्प से सफलता
डेबी मैकॉम्बर बचपन से ही लेखिका बनना चाहती थी। जब उसके चारों बच्चे स्कूल चले जाते तो वह अपने लेखिका बनने के स्वप्न को साकार करने में जुट जाती। उसने किराये पर लाए गए टाइपराइटर पर लेखन करना आरंभ किया। रात में जब बच्चे सो जाते तब वह फिर से अपने टाइपराइटर पर लिखने में जुट जाती। एक दिन डेबी के पति वैन ने कहा, ‘अब चारों बच्चों की िशक्षा और भोजन का इंतजाम वाकई दुष्कर है।’ डेबी बोली, ‘तुम चिंता मत करो। मुझे लगता है कि मैं एक अच्छी लेखिका बन सकती हूं।’ पति का आश्वासन पाकर उसने मुस्करा कर अपने टाइपराइटर की ओर देखा और लिखने में जुट गई। इसके बाद डेबी ने दिन-रात में अंतर करना बंद कर दिया। मां को दिन-रात कार्य करते हुए देखकर बच्चे भी अपने कार्यों को स्वयं करने लग गए। इस तरह पांच साल बीत गए। पांच साल के बाद डेबी की पहली पुस्तक प्रकाशित हुई। इसके बाद उनकी पुस्तकें आने का जो सिलसिला चल पड़ा तो वह थमा नहीं। डेबी की सौ से अधिक पुस्तकें प्रकाशित हुई। उनमें से कई पुस्तकें ‘न्यूयार्क टाइम्स’ की बेस्ट सेलर सूची में शामिल रहीं। वह विश्व की अमीर लेखिकाओं में गिनी जाती हैं। प्रस्तुति : रेनू सैनी