एकदा
जेसी ओवेन्स दस भाई-बहनों में सबसे छोटे थे। उनका जन्म 12 सितम्बर, 1913 को अलबामा में हुआ था। उन्होंने अपने युवा काल में जूतों की मरम्मत से लेकर किराने तक के कार्य किए। लेकिन उनका इन कार्यों में मन नहीं लगता। जेसी बहुत तेज उछल-कूद करते थे और दौड़ते थे। वे अपने कामकाज के दौरान भी कूदते हुए कार्य करते थे। एक दिन उन्होंने महसूस किया कि उन्हें दौड़ने एवं कूदने का जुनून है। आखिर उन्होंने इसका अभ्यास करना प्रारंभ कर दिया। उनकी मेहनत रंग लाई। जल्दी ही वे राष्ट्रीय स्तर पर प्रसिद्ध हो गए। उन दिनों वे ईस्ट टेक्निकल हाई स्कूल के विद्यार्थी थे। उनका खेल कई खिलाड़ियों से श्रेष्ठ था। फिर भी उन्हें बार-बार दरकिनार कर दिया जाता था। इसका प्रमुख कारण उनका अफ्रीकी अमेरिकी नागरिक होना था। उन दिनों इस खेल में नाजीवादी जर्मनी के जर्मन खिलाड़ियों को बेहद सम्मान दिया जाता था जबकि अश्वेत होने के कारण जेसी के साथ पक्षपातपूर्ण व्यवहार किया जाता था। यह देखकर जेसी ने दृढ़ निश्चय किया कि वे अपने खेल में उत्कृष्टता की ऐसी मिसाल कायम करेंगे जहां पूरा विश्व उन्हें उनके श्रेष्ठ खिलाड़ी होने के कारण याद रखेगा। अब उनका केवल एक ही लक्ष्य रह गया था, ओलम्पिक का चैम्पियन बनना। वर्ष 1936 के ओलम्पिक बर्लिन में प्रारंभ हुए। उसमें नाजी खिलाड़ियों को बेहद प्रोत्साहित किया गया जबकि जेसी एवं अन्य अश्वेत खिलाड़ियों के साथ फिर से पक्षपातपूर्ण व्यवहार किया गया। जब भी जेसी मैदान पर आते तो दर्शक हूटिंग करने लगते। उनका ध्यान भटका और वह तीन बार ‘फुट फॉल्ट’ हुए। जेसी का पदक जीतने का संकल्प दृढ़ होता गया। आखिर हूटिंग पर संकल्प की विजय हुई। इस ओलम्पिक में जेसी ओवेन्स ने चार स्वर्ण पदक अपने नाम कर इतिहास रच दिया। प्रस्तुति : रेनू सैनी