मुख्यसमाचारदेशविदेशखेलबिज़नेसचंडीगढ़हिमाचलपंजाब
हरियाणा | गुरुग्रामरोहतककरनाल
रोहतककरनालगुरुग्रामआस्थासाहित्यलाइफस्टाइलसंपादकीयविडियोगैलरीटिप्पणीआपकीरायफीचर
Advertisement

एकदा

07:27 AM Apr 11, 2024 IST
Advertisement

भगवान बुद्ध के पास सम्राट श्रेणिक ने आकर पूछा कि हमारे राजकुमार, हर तरह की सुविधाओं में रहते हैं, फिर भी वे प्रसन्न नहीं रहते। वहीं आपके इन भिक्षुकों के चेहरे पर बिना सुविधा के भी हमेशा प्रसन्नता रहती है। इसका कारण क्या है? भगवान बुद्ध ने उत्तर दिया, ‘प्रसन्नता खोजनी हो तो अकिंचन (जिसके पास कुछ भी न हो) में खोजो। जिसने संकल्प करके सब कुछ छोड़ दिया, वहीं प्रसन्न रह सकता है। भिखारी कभी प्रसन्न नहीं होगा, क्योंकि उसने छोड़ा नहीं है। वह तो अभाव में ही जीवन जी रहा है। अभाव का जीवन जीने वाला कभी प्रसन्न नहीं रह सकता। जिसने जानबूझ कर छोड़ा है, वह प्रसन्न रह सकता है। ये दो बातें हैं-एक छोड़ना और एक छूटना। जिसे पदार्थ प्राप्त नहीं है, वह त्यागी नहीं है। त्यागी वह होता है, जो अपने स्वतंत्र मन से त्याग कर दे। वहीं साधन, सुविधा-संपन्न व्यक्ति भी प्रसन्न नहीं रह सकता। उसे पैसे की सुरक्षा की चिंता सताती है। उसे खोने का, चोरी होने का डर तो सताता रहता है। अभय वही हो सकता है, जिसने स्वेच्छा से त्याग किया है। बिना किसी प्रकार के लोभ लालच के किया गया त्याग में ही सुख निहित है।

प्रस्तुति : अंजु अग्निहोत्री

Advertisement

Advertisement
Advertisement