मुख्य समाचारदेशविदेशखेलपेरिस ओलंपिकबिज़नेसचंडीगढ़हिमाचलपंजाबहरियाणाआस्थासाहित्यलाइफस्टाइलसंपादकीयविडियोगैलरीटिप्पणीआपकी रायफीचर
Advertisement

एकदा

06:34 AM Jan 10, 2024 IST

सन‍् 1942 में ‘भारत छोड़ो आन्दोलन’ के दौरान एक घटना घटी। 29 सितम्बर, 1942 के दिन प. बंगाल के मिदनापुर जिले में एक बड़ा जनसमूह भारत माता की जय कहता आगे बढ़ा। मातंगिनी नामक देशभक्त इसमें सबसे आगे थीं। जैसे ही जुलूस आगे बढ़ा, अंग्रेज़ सशस्त्र सेना ने बन्दूकें तान लीं और प्रदर्शनकारियों को रुक जाने का आदेश दिया। इससे जुलूस में कुछ खलबली मच गई और लोग बिखरने लगे। मातंगिनी हज़ारा सबसे आगे आ गईं। मातंगिनी ने तिरंगा झंडा अपने हाथ में लिया था। अंग्रेज़ी सेना ने चेतावनी दी और फिर गोली चला दी। पहली गोली मातंगिनी के पैर में लगी। जब वह फिर भी आगे बढ़ती गईं तो उनके हाथ को निशाना बनाया गया। लेकिन उन्होंने तिरंगा फिर भी नहीं छोड़ा। इस पर तीसरी गोली उनके सीने पर मारी गई और इस तरह मातंगिनी ‘भारत माता’ के चरणों में शहीद हो गई।

Advertisement

प्रस्तुति : मुग्धा पांडे

Advertisement
Advertisement