मुख्य समाचारदेशविदेशखेलपेरिस ओलंपिकबिज़नेसचंडीगढ़हिमाचलपंजाबहरियाणाआस्थासाहित्यलाइफस्टाइलसंपादकीयविडियोगैलरीटिप्पणीआपकी रायफीचर
Advertisement

एक बार फिर जलाई जाने लगी पराली, 280 मामले आए सामने

07:20 AM Oct 13, 2024 IST

ट्रिब्यून न्यूज सर्विस
चंडीगढ़, 12 अक्तूबर
हरियाणा की आबोहवा एक बार फिर बिगड़ने लगी है। धान कटाई के दौरान अवशेष जलाने से वातावरण में स्मॉग की परत गहराने लग गई है। जीटी बेल्ट पर पराली जलाने के मामलों में लगातार बढ़ोतरी हो रही है, जिनमें सबसे ज्यादा मामले कुरुक्षेत्र और करनाल में सामने आए हैं।
प्रदेश में 15 सितंबर से लेकर अब तक 280 जगहों पर धान के अवशेषों में आग लगाने के मामले दर्ज किए गए हैं। पिछले साल के मुकाबले धान के अवशेष जलाने के मामलों का ग्राफ जरूर लुढ़का है, लेकिन इस बार प्रशासनिक सख्ती की कमी के चलते धान के अवशेषों का प्रबंधन करने की बजाय उन्हें आग के हवाले किया जा रहा है। दरअसल, चुनावों में प्रशासनिक अमले की व्यस्तता होने के कारण निगरानी तंत्र कमजोर रहा, जिसके चलते इस बार धान के अवशेषों में आग लगाने के मामलों में बढ़ोतरी हुई है। प्रदेश में धान कटाई का कार्य जोरों पर है। मंडियां धान से अटी हुई हैं और किसान खेतों को रबी फसल की बुआई के लिए तैयार करने में जुटे हैं। खासकर पशुओं के लिए हरा चारा की बुआई करने के लिए धान कटाई के बाद खेतों को खाली किया जा रहा है, जिसके कारण किसान अवशेषों को जलाने को मजबूर हैं। विधानसभा चुनाव संपन्न होने के बाद अब प्रशासन ने धान के अवशेष जलाने पर रोक लगाने के लिए निगरानी तंत्र को मजबूत करने के निर्देश दिए हैं।
जिला उपायुक्तों की ओर से जिला कृषि अधिकारियों को निर्देश दिए गए हैं कि वे जिले में रेड, येलो और ग्रीन जोन के गांवों की सूची तैयार करें। जो गांव रेड जोन में हैं, उनमें गांवों के सरपंचों और नंबरदारों के साथ समन्वय बनाकर आग लगाने वालों पर निगरानी रखी जाएगी। इसके साथ ही ग्राम सचिव और पटवारियों को भी सख्त हिदायत दी गई है कि वे धान के अवशेषों में आग लगाने वालों की सूची तैयार करें।

Advertisement

इस माह के अंत में बढ़ेगा प्रदूषण

अक्तूबर माह में दशहरा और दिवाली नवंबर माह के पहले पखवाड़े में है। धान की कटाई भी शुरू हो चुकी है। अब त्योहारी सीजन में पटाखों और धान अवशेष का धुआं वातावरण की स्वच्छता को बिगाड़ेगा। हरियाणा और पंजाब में खेतों से उठने वाला पराली का धुआं हर साल की तरह इस बार भी हवा को जहरीला बनाएगा। पराली जलाने की सबसे ज्यादा घटनाएं 15 अक्तूबर से 25 नवंबर तक होती हैं।

Advertisement
Advertisement