एक बार फिर विधानसभा पहुंचे ‘लाल परिवारों’ के चार लाल
दिनेश भारद्वाज/ट्रिन्यू
चंडीगढ़, 8 अक्तूबर
हरियाणा की 15वीं विधानसभा के लिए हुए चुनावों में ‘लाल परिवारों’ के कई दिग्गज भले ही चुनाव हार गए लेकिन इन परिवारों के चार ‘लाल’ विधानसभा पहुंचने में कामयाब रहे हैं। पूर्व मुख्यमंत्रियों - चौ़ देवीलाल, चौ़ बंसीलाल और चौ़ देवीलाल के परिवार के 11 लाल चुनावी रण में डटे थे। इतना ही नहीं, इन परिवारों के रिश्तेदार भी चुनाव लड़ रहे थे। लेकिन प्रदेश की जनता ने इस बार चार ही चेहरों को विधानसभा का मुंह देखने का मौका दिया है।
इनमें देवीलाल परिवार से अर्जुन सिंह चौटाला और आदित्य देवीलाल चौटाला शामिल हैं। वहीं भजनलाल के बड़े बेटे चंद्रमोहन बिश्नोई और बंसीलाल की पोती श्रुति चौधरी ने चुनाव में जीत हासिल की है। देवीलाल पुत्र चौ़ रणजीत सिंह, इनेलो सुप्रीमो ओमप्रकाश चौटाला के बेटे अभय सिंह चौटाला, उनके पोते दुष्यंत सिंह चौटाला व दिग्विजय सिंह चौटाला के अलावा देवीलाल परिवार की बहू सुनैना चौटाला चुनाव हार गईं। हैरानी की बात यह है कि पहली बार चुनाव लड़े रिटायर्ड आईएएस चंद्र प्रकाश ने आदमपुर हलके में भजनलाल के 56 वर्ष पुराने गढ़ को ढहा दिया। ऐलनाबाद में चौटाला का दुर्ग भी ढह गया। यहां से कांग्रेस के भरत सिंह बेनीवाल ने इनेलो प्रधान महासचिव अभय सिंह चौटाला को पंद्रह हजार मतों से शिकस्त दी है। यहां से भाजपा उम्मीदवार अमीर चंद मेहता जमानत भी नहीं बचा सके। उन्हें महज 13 हजार 320 वोट हासिल हुए। रानियां में अभय चौटाला के बेटे अर्जुन चौटाला ने इनेलो टिकट पर जीत हासिल की। उनके सामने निर्दलीय प्रत्याशी के तौर पर उनके दादा चौ़ रणजीत सिंह चुनाव लड़ रहे थे।
वहीं डबवाली में देवीलाल परिवार के तीन सदस्य आमने-सामने थे। देवीलाल के पोते आदित्य देवीलाल चौटाला ने इनेलो टिकट पर अपने ही परिवार के और कांग्रेस के मौजूदा विधायक अमित सिहाग को मामूली अंतर से शिकस्त दी। वहीं अजय सिंह चौटाला के छोटे बेटे दिग्विजय सिंह चौटाला यहां से जजपा के उम्मीदवार थे और वे तीसरे नंबर पर रहे। भाजपा-जजपा गठबंधन सरकार में साढ़े चार वर्षों तक डिप्टी सीएम रहे दुष्यंत सिंह चौटाला इस बार उचाना कलां में अपनी जमानत भी नहीं बचा सके। इसी तरह तोशाम हलके में बंसीलाल की पोती श्रुति चौधरी भाजपा और पोता अनिरुद्ध चौधरी कांग्रेस टिकट पर चुनाव लड़ रहे थे। दोनों भाई-बहनों का यह पहला ही विधानसभा चुनाव था और वे एक-दूसरे के खिलाफ डटे थे। लोकसभा चुनाव के नतीजों के बाद किरण चौधरी ने अपनी बेटी श्रुति चौधरी सहित कांग्रेस छोड़कर भाजपा ज्वाइन कर ली थी। श्रुति ने अनिरुद्ध चौधरी को शिकस्त दी है। वे भिवानी-महेंद्रगढ़ से सांसद रह चुकी हैं। श्रुति पहली बार विधानसभा में कदम रखेंगी। सबसे हैरानी के नतीजे आदमपुर हलके में आए हैं। भजनलाल परिवार के तीन सदस्य इस बार चुनाव लड़ रहे थे। उनके पोते भव्य बिश्नोई आदमपुर से भाजपा के प्रत्याशी थे। कांग्रेस के चंद्र प्रकाश ने उन्हें शिकस्त दी। वहीं भजनलाल के बड़े बेटे चंद्रमोहन बिश्नोई ने पंचकूला सीट पर भाजपा उम्मीदवार और विधानसभा अध्यक्ष ज्ञानचंद गुप्ता को पटकनी दी। भजनलाल परिवार के ही दूड़ाराम बिश्नोई फतेहाबाद से भाजपा उम्मीदवार थे। कांग्रेस के बलवान सिंह दौलतपुरिया ने दूड़ाराम बिश्नोई को 2252 मतों से चुनाव हराया।
भरत सिंह ने ढहाया चौटाला का गढ़
चौटाला परिवार का गढ़ कहे जाने वाले ऐलनाबाद हलके को कांग्रेस के भरत सिंह बेनीवाल ने ढहा दिया है। अभय चौटाला उनके मुकाबले पहले ही राउंड में पिछड़ना शुरू हो गए थे। यहां से इनेलो उम्मीदवार लगातार छह बार चुनाव जीतते आ रहे थे। खुद पूर्व सीएम ओमप्रकाश चौटाला भी यहां से विधायक रह चुके हैं। 2009 में चौटाला ने ऐलनाबाद और उचाना कलां से जीत हासिल की थी। ऐलनाबाद सीट खाली करने के बाद हुए 2010 में हुए उपचुनाव में अभय चौटाला ने जीत हासिल की। इसके बाद अभय 2014 और 2019 में भी यहां से विधायक बने। 2021 में अभय ने किसान आंदोलन के समर्थन में इस्तीफा दे दिया था। ऐसे में यहां हुए उपचुनाव में अभय ने चौथी बार जीत हासिल की। लेकिन इस बार वे भरत सिंह बेनीवाल के हाथों चुनाव हार गए।