नये-नये स्वाद में पौष्टिक बाटी के व्यंजन
राजस्थान, मध्य प्रदेश व बिहार आदि राज्यों में अपनी-अपनी तरह से बाटी बनाई जाती है। हालांकि इसके मूल व्यंजन के साथ आजकल काफी प्रयोग किये जा रहे हैं। सादा बाटी के साथ ही इसके नये रूपों में भरवां, बाफला व मसाला बाटी आदि काफी लोकप्रिय हैं।
अनुराधा मलिक
सावन के सुहावने मौसम में दाल-बाटी का लजीज स्वाद लेने की परंपरा बहुत पुरानी है। शुरुआत में सादा बाटी खाने का ही चलन था, लेकिन बदलते वक्त, आधुनिकता और स्वाद के साथ कई तरह की बाटियां खाना आजकल लोग पसंद कर रहे हैं। दरअसल, ये बाटी न सिर्फ पौष्टिक भारतीय व्यंजन हैं, बल्कि इनमें अनेक प्रकार के विटामिन और मिनरल्स, जैसे कि विटामिन सी और आयरन पाए जाते हैं, जो सेहत के लिए बहुत फायदेमंद हैं। कभी बाटी खानाबदोशों का खाना माना जाता था, लेकिन आजकल संपन्न परिवारों और बड़े होटल-रिसॉर्ट्स में चाव से खाई जाती है।
राजस्थान और मध्य प्रदेश में जहां बाटी कई तरह की दाल और गट्टे की सब्जी के साथ खाई जाती है, वहीं पूर्वांचल खासकर बिहार में इसका स्वाद लिट्टी-चोखा के रूप में लिया जाता है। लिट्टी को भी बाटी की ही तरह ही गेहूं के आटे से सेंककर बनाया जाता है। हालांकि, इसमें सत्तू से बने मिश्रण की स्टफिंग की जाती है, जो इसे बाकी व्यंजनों से अलग बनाती है। बाटी को सीधे ओवन या कंडों पर सेंका जाता है। जानिये ओवन में बनने वाली तीन तरह की बाटी की रेसिपी।
भरवां बाटी
क्या चाहिए - गेहूं का आटा 500 ग्राम, नमक 1 छोटा चम्मच, देसी घी 150 ग्राम, घी मोयन के लिए 4 बड़े चम्मच। भरावन के लिए सामग्री- आलू 125 ग्राम, मटर के दाने 100 ग्राम, अदरक थोड़ा सा, हरी मिर्च 2, लाल मिर्च पिसी 1/2 छोटा चम्मच, अमचूर पिसा 1/2 छोटा चम्मच, धनिया पिसा 1 छोटा चम्मच, सौंफ 1 छोटा चम्मच, गरम मसाला पिसा 1/2 छोटा चम्मच, हींग चुटकी भर, नमक स्वादानुसार।
ऐसे बनाएं
पहले आटे को छान लें। उसमें नमक और मोयन मिलाएं। आटा गूंधकर गीले कपड़े से ढंक दें। आलू उबालकर छील लें और मटर को भी नर्म होने तक उबालें। अदरक और मिर्च को बारीक काटें। उसमें मटर मिलाकर मसल लें। सारे मसाले मिलाकर आटे की छोटी लोई बनाएं और छोटी पूरी जितना बेलकर भरावन भर लें। फिर चारों तरफ से बंद कर दें। इसी तरह सभी बाटियां बना लें। इन्हें ओवन में सेक लें तथा घी में डुबोकर परोसें।
मसाला बाटी
क्या चाहिए - मोटा पिसा आटा 1 किग्रा, काली मिर्च 50 ग्राम, सौंफ 50 ग्राम, साबुत धनिया 20 ग्राम, बेसन 250 ग्राम , हींग 1/4 छोटा चम्मच, लाल मिर्च1 छोटा चम्मच, मोटी इलायची 1-2, किशमिश-काजू 8-10, नमक स्वादानुसार, मोयन के लिए घी 200 ग्राम, बाटियों के लिए घी 500 ग्राम।
बनाने की विधि
आटे में बेसन मिलाएं और मसाले व काजू को दरदरा पीस लें। मोयन डालकर मसलें और पानी से थोड़ा कड़ा गूंध लें। ओवन में अलट-पलट कर सुनहरी होने तक सेंकें। सिकने पर बाहर निकालें। देसी घी में सादा बाटी की तरह ही डुबोते जाएं और थोड़ी देर बाद निकाल लें।
सादा बाटी
क्या चाहिए - गेहूं का मोटा आटा 1 किग्रा, नमक स्वादानुसार, मोयन के लिए घी 100 ग्राम, बाटी के लिए देसी घी 500 ग्राम।
ऐसे बनाएं
आटे में नमक मिलाएं। घी का मोयन डालकर अच्छी तरह मसलें। तब तक मसलें जब तक आटा एकसार न हो जाए। यदि आटे में गांठें रह गई तो बाटी अच्छी नहीं बनेंगी। अब पानी से आटे को कड़ा (रोटी के आटे से) गूंधें। इच्छानुसार साइज में लोइयां बनाएं और धीमी आंच पर ओवन में सेकें। थोड़ी-थोड़ी देर में बाटियों को पलटते रहें। जब बाटियां सुनहरी हो जाएं, तो इन्हें निकाल लें। एक बरतन में देसी घी पिघला लें व उनमें तैयार बाटियों को डुबो दें। थोड़ी देर बाद उन्हें घी से निकालकर गर्मागर्म दाल के साथ सर्व करें।
बाफला बाटी
क्या चाहिए- गेहूं का मोटा आटा 1 किग्रा, मोयन के लिए घी 100 ग्राम , बाटी के लिए घी 500 ग्राम, हल्दी चुटकीभर, नमक स्वादानुसार।
ऐसे बनाएं
बाफले के लिए सादा बाटी की तरह ही आटा गूंध कर लोइयां बना लें। एक बड़े बर्तन में पानी उबालें। उसमें थोड़ी सी हल्दी डाल दें। ताकि बाफलों पर रंग आ जाए। पानी उबलने पर लोइयों को डाल दें और उबलने दें। बाफले जब हल्के होकर ऊपर आने लगें तो नीचे उतार लें। सभी बाफलों को पानी से निकाल कर एक सूखे कपड़े पर रखते जाएं। 10-15 मिनट हवा लगने के बाद ओवन में बाटियों की तरह ही सेंक लें। घी में डुबोकर उड़द की दाल के साथ परोसें।
लेखिका खानपान संबंधी मामलों की यूट्यूबर हैं।