NSM Controversy : विधानसभा में हंगामे का असर... नसीबपुर शहीद स्मारक के लिए एकजुट हुआ अहीरवाल
चंडीगढ़, 27 मार्च (ट्रिब्यून न्यूज सर्विस)
NSM Controversy : महेंद्रगढ़ (नारनौल) के नसीबपुर में 1857 के शहीदों की याद में बनने वाले शहीद स्मारक को लेकर राजनीति शुरू हो गई है। स्मारक की मांग को लेकर पूरा अहीरवाल एकजुट हो गया है। पूर्व शिक्षा मंत्री व भाजपा प्रदेशाध्यक्ष रहे प्रो. रामबिलास शर्मा ने इस मुद्दे पर मोर्चा संभालते हुए दक्षिण हरियाणा के विधायकों को साथ लेकर बृहस्पतिवार को विधानसभा में मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी से मुलाकात की।
इससे पहले बुधवार को विधानसभा में प्रश्नकाल के दौरान पूर्व मंत्री व नारनौल विधायक ओमप्रकाश यादव ने यह मुद्दा उठाया था। सैनिक एवं अर्द्ध-सैनिक कल्याण विभाग के मंत्री राव नरबीर सिंह ने सदन में स्पष्ट तौर पर कहा था कि सरकार का नसीबपुर में शहीद स्मारक बनाने का कोई प्रस्ताव नहीं है। यहां बता दें कि पूर्व मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर द्वारा नसीबपुर में शही स्मारक बनाने की घोषणा की गई थी। यहां बता दें कि अहीरवाल एरिया में भाजपा नेताओं के बीच भी पुरानी आपसी खींचतान है।
प्रो़ रामबिलास शर्मा ने बृहस्पतिवार को सीएम से मुलाकात करके शहीद स्मारक निर्माण की मांग उठाई। इस दौरान स्वास्थ्य मंत्री आरती सिंह राव, नारनौल विधायक ओमप्रकाश यादव, महेंद्रगढ़ के विधायक कंवर सिंह यादव, पटौदी विधायक बिमला चौधरी, बावल विधायक डॉ़ कृष्ण कुमार, कोसली विधायक अनिल यादव ढहीना भी उनके साथ मौजूद रहे। नसीबपुर में 1857 की क्रांति के अग्रदूत कहे जाने वाले स्वतंत्रता सेनानी तथा शहीद राव तुलाराम का स्मारक बनाने की मांग बरसों से चली आ रही है।
ओपी यादव का कहना है कि 2016 में उस समय मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर ने अंबाला छावनी और नसीबपुर में राष्ट्रीय स्तर के शहीद समारक बनाए जाने का ऐलान किया था। अंबाला कैंट में तो 550 करोड़ की लागत से शहीद स्मारक बन रहा है लेकिन नसीबपुर के ‘नसीब’ अभी तक नहीं खुले हैं। सूत्रों का कहना है कि नसीबपुर में प्रस्तावित ‘राव तुलाराम शहीद स्मारक’ की फाइल एक विभाग से दूसरे विभाग में गेंद की भांति लुढ़क रही है।
समझें नसीबपुर का इतिहास
स्वतंत्रता संग्राम में अहीरवाल क्षेत्र के राव तुलाराम सहित बड़ी संख्या में लोगों ने भाग लिया। नसीबपुर (नारनौल) के मैदान में अंग्रेजों से युद्ध हुआ। इसमें पांच हजार से अधिक क्रांतिकारी सैनिक मारे गए थे। राव तुलाराम की सेना ने ब्रिटिश सेना को कड़ी टक्कर दी। ब्रिटिश सेना के कमांडर जेरार्ड और कप्तान वालेस को मौत के घाट उतार दिया था। इस लड़ाई में नसीबपुर की भूमि खून से लाल हो गई थी।