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सद्भावना का प्रतीक उत्तर भारत का प्रसिद्ध गोगामेड़ी मेला शुरू

08:49 AM Aug 20, 2024 IST
सद्भावना का प्रतीक उत्तर भारत का प्रसिद्ध गोगामेड़ी मेला शुरू

ऐलनाबाद, 19 अगस्त (निस)
हरियाणा की सीमा से सटे राजस्थान के सांप्रदायिक एवं सद्भावना के प्रतीक उत्तर भारत के प्रसिद्ध गोगामेड़ी मेला पुर्णिमा को पशुपालन, गोपालन, डेयरी एवं देवस्थान विभाग के कैबिनेट मंत्री जोराराम कुमावत ने पूजा-अर्चना के बाद राष्ट्रीय ध्वजारोहण कर शुभारम्भ किया। इस मौके पर स्कुली छात्राओं द्वारा राष्ट्रीय गान और गोगामेड़ी पुलिस थाने के पुलिसकर्मियों ने सशस्त्र सलामी दी। इसके बाद मंत्री ने गोगाजी महाराज मंदिर में गोगाजी की स्माधि पर चद्दर चढ़ा कर गोगामेड़ी मेला के सफल संचालन की प्रार्थना की। इस वर्ष 40 लाख से अधिक श्रद्धालुओं के आने की उम्मीद है। इस मौके पर भादरा विधायक संजीव बैनीवाल, जिला कलेक्टर काना राम, पुलिस अधीक्षक विकास सांगवान, नोहर प्रधान सोहन ढील आदि ने भी पूजा अर्चना की। शुभारम्भ अवसर पर देवस्थान मंत्री जोराराम कुमावत ने कहा कि श्रद्धालुओं को किसी भी तरह की दिक्कत ना आए इसके लिए प्रशासन लगातार प्रयासरत है।
सुरक्षा व्यवस्था की दृष्टि से पूरे मेला क्षेत्र में भारी संख्या में सीसीटीवी कैमरे लगाए गए हैं। मंदिर के चढ़ावे की निगरानी के लिए गोगाजी महाराज मंदिर में कैमरा लगाया गया है मेला क्षेत्र में गोगामेड़ी थानाप्रभारी अजय कुमार के नेतृत्व में महिला पुलिसकर्मी, आरएसी, होमगार्ड जवान, घुड़सवार पुलिसकर्मिर्यों सहित सादा वर्दी में पुलिस जवान चौबीसों घंटों तैनात रहेंगे। उधर गोगामेड़ी में हर वर्ष आयोजित होने वाले पशु मेला भी शुरू हो गया है। पशुपालन विभाग के संयुक्त निदेशक ने कहा कि ऊँटों की बिक्री का कार्य शुरू हो गया है। मेला 19 अगस्त से शुरू होकर 18 सितंबर तक चलेगा।

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हर वर्ग की आस्था का प्रतीक है मेला

हिन्दु, मुस्लिम, प्रत्येक वर्ग व धर्म के लोगों की आस्था के प्रतीक उत्तर भारत के प्रसिद्व मेले गोगामेडी़ में हरियाणा, राजस्थान, दिल्ली, पंजाब, उतरप्रदेश, मध्यप्रदेश, महाराष्ट्र, गुजरात व हिमाचल प्रदेश से लाखों लोग लोक देवता गोगा जी की समाधि पर धोक लगाने व सजदा करने लगे हैं। गोगा जी को हिन्दू लोग वीर के रूप में तथा मुस्लिम पीर के रूप में पूजते हैं। श्रद्धालु पहले गोगाजी के मंदिर से दो किलोमीटर दूर गोगाणा में पवित्र तालाब में स्नान कर गुरू गोरखनाथ के धूणे पर शीश नवाते हैं, बाद में गोगामेड़ी मंदिर में पूजा-अर्चना करते हैं।

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