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रेवाड़ी की तीनों सीटों पर धुरंधरों को नये चेहरों ने पटखनी दी

11:40 AM Oct 10, 2024 IST
रेवाड़ी की तीनों सीटों पर धुरंधरों को नये चेहरों ने पटखनी दी
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तरुण जैन/हप्र
रेवाड़ी, 9 अक्तूबर
जिला रेवाड़ी की तीन विधानसभा सीटों रेवाड़ी, बावल व कोसली में भाजपा ने एक नया प्रयोग करते हुए नये चेहरों को मैदान में उतारा। यह प्रयोग इतना कारगर साबित हुआ कि जनता ने तीनों सीटों पर कमल खिला दिया। या यूं कहे कि धुरंधरों को नये चेहरों ने पटकनी दे डाली।
बावल हलका में भाजपा ने डा. कृष्ण कुमार को स्वास्थ्य विभाग के निदेशक पद से त्यागपत्र दिलाकर एक भारी भरकम व राजनीति के पुराने खिलाड़ी कांग्रेस प्रत्याशी डा. एमएल रंगा के सामने खड़ा करके बड़ा रिस्क लिया था। भाजपा ने यहां से दो बार लगातार विधायक व मंत्री रहे डा. बनवारी लाल का टिकट काटकर डा. कृष्ण कुमार पर भरोसा किया था। उन्हें टिकट दिलाने में केन्द्रीय राज्य मंत्री राव इन्द्रजीत सिंह की अहम भूमिका रही। जिस समय पूर्व मंत्री डा. एमएल रंगा का चुनाव प्रचार चरम पर था, उस समय लोगों की धारणा थी कि डा. कृष्ण उनके समक्ष टिक नहीं पाएंगे। लेकिन जब राव इन्द्रजीत ने मोर्चा संभाला और दनादन गांवों के दौरे व सभाएं की तो लोगों की धारणा भी बदलती चली गई। जिस प्रत्याशी को सियासत की क ख ग का ज्ञान नहीं था, उसने धुरंधर खिलाड़ी डा. रंगा को 19891 मतों से पटखनी दे डाली। पहली बार विधानसभा में पहुंचे डा. कृष्ण ने कहा कि उन्हें अपनी मेहनत व जनता पर पूरा भरोसा था। उनकी जीत में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की नीतियों व राव इन्द्रजीत सिंह के परिश्रम ने अहम भूमिका निभाई।
इसी तरह कोसली हल्का में हेवीवेट कांग्रेस प्रत्याशी व पूर्व मंत्री जगदीश यादव के सामने भाजपा ने एकदम नये युवा चेहरे अनिल यादव डहीना को मैदान में उतारने का फैसला लिया। यहां भाजपा की टिकट पाने के लिए अनेक मजबूत दावेदार थे जिनमें पूर्व मंत्री बिक्रम यादव ठेकेदार भी शामिल थे। पार्टी ने सबकी टिकट काट दी और अनिल को लेकर नया प्रयोग किया। यह प्रयोग भी कामयाब रहा और उन्होंने जगदीश यादव को 17095 मतों के अंतर से पराजित किया। जगदीश यादव के तीन दशकों के लंबे सियासी कैरियर के आगे अनिल कहीं नहीं ठहरते थे। उन्हें टिकट दिलाने वाले राव इन्द्रजीत सिंह ने यहां भी मोर्चा संभाला और खासकर यादवों को भाजपा के पाले में लाकर खड़ा कर दिया। जिसके सुपरिणाम सामने आए। बता दें कि जगदीश यादव कुछ समय पूर्व भाजपा छोड़कर कांग्रेस में शामिल हुए थे। अनिल का कहना है कि वे जिला परिषद के सदस्य रह चुके हैं। जिसके चलते उनका जनता से निरंतर संपर्क बना रहा। राव के मिले आशीर्वाद पर जनता ने मोहर लगा दी।
रेवाड़ी हल्का के लिए लक्ष्मण सिंह यादव भी नये चेहरे थे। यह अलग बात है कि वे पिछली बार कोसली से भाजपा टिकट पर विधायक चुने गए थे। लेकिन इस बार उन्हें रेवाड़ी शिफ्ट कर दिया। शुरू में कहा जा रहा था कि भाजपा का यह प्रयोग रेवाड़ी में फेल साबित हो सकता है। क्योंकि उनके सामने कांग्रेस के दिग्गज नेता व पूर्व मंत्री कै. अजय सिंह यादव के पुत्र चिरंजीव राव कांग्रेस टिकट पर मैदान में थे। चिरंजीव राव ने पिछली बार कांग्रेस की हवा नहीं होते हुए भी भाजपा प्रत्याशी को शिकस्त दी थी। ऐसे में लक्ष्मण का पिता-पुत्र की जोड़ी से कड़ा मुकाबला था। लेकिन जनता ने चिरंजीव राव को रिकार्ड 28909 मतों से हरा दिया व उनके किले का ध्वस्त करते हुए दोबारा विधानसभा में जाने से रोक दिया।
कुल मिलाकर उक्त तीनों सीटों पर जो जनादेश निकला है, उसने सभी को चौंकाया है। तीनों सीटों पर कड़ा मुकाबला माना जा रहा था और हार-जीत का अंतर भी कुछ हजार मतों में बताया जा रहा था। लेकिन परिणाम बताते हैं कि भीतर खाने कांग्रेस की नहीं भाजपा की लहर चल रही थी। कांग्रेस व उसके प्रत्याशी आखिर तक जनता के मन की थाह नहीं ले पाये। रेवाड़ी जिला की तीनों सीटों पर 2014 के बाद भाजपा ने एक बार फिर कब्जा किया है।

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