प्राकृतिक संपदा संरक्षण
कई सरकारें आयी-गयी लेकिन हरियाणा में खनन माफिया का अवैध धंधा प्रशासन की आंखों तले फलता-फूलता रहा है जिसे रोकने का प्रयास करने के दौरान एक कर्तव्यनिष्ठ डीएसपी की हत्या कर दी गई। वह अपराधियों को अवैध खनन से रोक रहा था। लेकिन अवैध खनन रोकना अकेले प्रशासन की जिम्मेवारी नहीं है अपितु इसके लिए जन जागरूकता की जरूरत है। वहीं अवैध खनन में लिप्त लोगों की सूचना पुलिस प्रशासन तक पहुंचाने वाले व्यक्तियों को सम्मानित किया जाना चाहिए। प्राकृतिक संपदा के रखरखाव के लिए आम आदमी का सहयोग जरूरी है। पर्याप्त पुलिस बल की मदद से कानून सख्ती से लागू करना चाहिए।
अनिल कौशिक, क्योड़क, कैथल
हम सदियों से पहाड़ों, नदियों वृक्षों आदि प्राकृतिक संपदा की पूजा-अर्चना और संरक्षण करते आए हैं, क्योंकि इनकी वजह से ही हमारा जीवन-प्राण कायम हैं। मगर अनेक वर्षों से हम विकास के नाम पर एवं स्वार्थवश अपने इन जीवन के आधारों का विनाश करने में लगे हैं, जिसके परिणाम आज भिन्न-भिन्न त्रासदियों के रूप में भुगत रहे हैं। इसलिए सरकारी एजेंसियों की ओर न देखते हुए हमें अपना दायित्व निभाने के लिए इनके संरक्षण की जिम्मेदारी स्वयं संभालनी होगी।
एमएल शर्मा, कुरुक्षेत्र
पौधरोपण करें
प्रकृति में संतुलन के लिए प्रत्येक व्यक्ति का दायित्व है कि घर, मोहल्ले, शहर के बाग-बगीचों में पौधरोपण करे। हर घर में पानी का रिचार्ज प्लांट लगाना चाहिए जिससे जमीन में पानी संगृहीत हो सके। ड्रेनेज लाइन सड़कों के आसपास होनी चाहिए जिससे पानी बह कर नालों एवं नदियों में मिल सके। नदी-नालों की गाद समय-समय पर निकलती रहे, जिससे पानी गहराई तक संचित रहे। वहीं सोलर ऊर्जा का भरपूर इस्तेमाल किया जाए ताकि पानी की ऊर्जा से बिजली बनाने में खर्च कम हो। लोगों को घरों में सोलर एनर्जी उपकरण लगाने के लिए प्रोत्साहित किया जाए।
भगवानदास छारिया, सोमानी नगर, इंदौर
देश की प्राकृतिक संपदा की सुरक्षा की जितनी जिम्मेदारी सरकार, पुलिस तथा कोर्ट की है उतनी ही देश के प्रत्येक नागरिक की भी है। इस संबंध में सभी नागरिकों को सरकार के साथ मिलकर काम करने की आवश्यकता है। इसके अतिरिक्त यह भी जरूरी है कि सरकारी तंत्र भी सजग रह कर इस दिशा में कार्य करे ताकि माफिया मजबूत न हो सके। माफिया तंत्र पर अंकुश लगाने के लिए कानून को और अधिक सख्त बनाया जाए तथा इस प्रकार के अपराधियों के विरुद्ध अविलंब सख्त कार्रवाई की जाए, तभी प्राकृतिक संपदा का संरक्षण हो सकेगा।
सतीश शर्मा, माजरा, कैथल
प्राकृतिक संपदा के संरक्षण के लिए हमें उतना ही गंभीर होना चाहिए, जितना कि हम अपनी सुख-सुविधाओं और खानपान के लिए होते हैं। हम भौतिकतावाद और आधुनिकता की चकाचौंध में सही दृष्टि गंवा चुके हैं, और अपने स्वार्थ के लिए प्राकृतिक संपदा को भी नुकसान पहुंचा रहे हैं। हमें यह नहीं भूलना चाहिए कि हमारी गलतियों का खमियाजा हमें आज नहीं तो कल भुगतना पड़ेगा। अगर भविष्य में प्राकृतिक आपदाओं से बचना है तो अभी से प्राकृतिक संपदा के संरक्षण के लिए गंभीर प्रयास करने होंगे। इसके लिए सरकारों का मुंह नहीं ताकना चाहिए।
राजेश कुमार चौहान, जालंधर
अवैध खनन का कारोबार देश के हर कोने में धड़ल्ले से चल रहा है। देश का एक वर्ग जिसे राजनीतिक दलों का संरक्षण भी प्राप्त है, विभिन्न प्राकृतिक संपदाओं को दोनों हाथों से लूटने पर लगा है। कानून का खौफ इस माफिया को नहीं है। तावड़ू हत्याकांड से पूर्व भी कई पुलिस अधिकारियों की जानें जा चुकी हैं लेकिन सरकारों सब कुछ देखते हुए भी अनदेखी कर देती हैं। लकड़ी, रेत और पहाड़ों की इस लूट में कई विभागों के कुछ लोग भी लिप्त हैं। कुछ दिन सुर्खियां बनने के बाद सब कुछ सामान्य हो जाता है। वहीं प्राकृतिक संपदा के संरक्षण में आम आदमी मूकदर्शक है।
सुरेन्द्र सिंह ‘बागी’, महम
पुरस्कृत पत्र
सरकारी तंत्र की खामियों के चलते देश में खनन माफिया मजबूत होता जा रहा है। दशकों से जारी अवैध खनन पर तंत्र की उदासीनता के चलते नकेल नहीं कसी जा सकी। अवैध खनन को रोकने के लिए पर्याप्त सुरक्षा बलों के साथ ही छापेमारी की जानी चाहिए। आधुनिक तकनीक जैसे ड्रोन आदि का सहारा लेकर निगरानी की जानी चाहिए। दरअसल, जनसंख्या वृद्धि और भौतिक जरूरतों के लिए हम अपने प्राकृतिक संसाधनों का तेजी से दोहन करते जा रहे हैं, जिससे पर्यावरण संतुलन बिगड़ने लगा है। प्रकृतिक संपदा हमारी पूंजी है जिसका लाभकारी कार्यों में सुनियोजित ढंग से उपयोग होना चाहिए।
पूनम कश्यप, नयी दिल्ली