एक देसी गाय से 30 एकड़ तक की जा सकती है प्राकृतिक खेती
सोनीपत, 27 नवंबर (हप्र)
कृषि विभाग ने रबी सीजन में अधिक से अधिक किसानों को प्राकृतिक खेती से जोड़ने की कवायद शुरू कर दी है। इस क्रम में आयोजित गोष्ठी में किसानों को विस्तार से बताया गया कि कैसे एक देसी गाय की मदद से 30 एकड़ तक प्राकृतिक खेती की जा सकती है। बुधवार को सोनीपत की नयी अनाज मंडी में स्थित खंड कृषि अधिकारी कार्यालय में किसान गोष्ठी का आयोजन किया गया जिसके अंतर्गत किसानों को अधिक से अधिक संख्या में प्राकृतिक खेती का पंजीकरण करवाने के लिए प्रोत्साहित किया गया। कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के रूप में कृषि उपनिदेशक डॉ. पवन शर्मा शामिल हुए। किसान गोष्ठी में 100 से अधिक किसान व कृषि अधिकारी मौजूद रहे। बता दें कि रसायनिक खेती की वजह से एक तरफ जहां फसल की गुणवत्ता पर असर पड़ रहा है, वहीं दूसरी तरफ फसल उत्पादन में किसान की लागत भी बढ़ती जा रही है। ऐसे में किसानों को आर्थिक तौर पर मजबूत करने और फसलों की गुणवत्ता को बढ़ाने के लिए कृषि विभाग ने प्राकृतिक खेती प्रोजेक्ट को शुरू किया है, जिसके अंतर्गत महज एक देसी गाय के माध्यम से ही 30 एकड़ तक की प्राकृतिक खेती की जा सकती है।
पंचामृत के बारे में किया गया जागरूक
किसान गोष्ठी में कृषि विभाग ने किसानों को प्राकृतिक खेती के गुर सिखाए। इस दौरान कृषि उपमंडल अधिकारी डॉ. संदीप वर्मा ने किसानों को पंचामृत के बारे में विस्तार से बताया गया। जिसके अंतर्गत जीवामृत, बीजामृत, आच्छादन, वापसा एवं सहफसल के बारे में विस्तार से बताया गया। डॉ. संदीप वर्मा ने किसानों को प्रोत्साहित करते हुए कहा कि प्राकृतिक खेती से नाममात्र के खर्च पर फसल का उत्पादन कर सकते हैं। शुरूआत में भले ही किसान को लगेगा कि खेत में उत्पादन कम हुआ है, लेकिन कुछ समय के बाद न सिर्फ फसल का उत्पादन बढ़ जाता है, बल्कि गुणवत्ता भी बेहतर होती है। किसान गोष्ठी के दौरान भूमि परीक्षण अधिकारी गोहाना डॉ. देवराज दलाल, भूमि परीक्षण अधिकारी सोनीपत डॉ. सत्यवान ग्रेवाल, डॉ. निरंजन सिंह, कपिल कुमार, डॉ. अजय देशवाल, विपिन कुमार सहित कई खंड से कृषि अधिकारी व किसान मौजूद थे।
सोनीपत जिले में प्राकृतिक खेती को बढ़ावा देने के लिए कदम उठाए जा रहे हैं। किसानों को जागरूक करने के लिए बुधवार को किसान गोष्ठी का आयोजन किया गया था। जिसमें 100 से अधिक किसान व कृषि अधिकारी मौजूद रहे। प्राकृतिक खेती से न सिर्फ किसान की आय में बढ़ोतरी होगी, बल्कि फसलों की गुणवत्ता भी बेहतर होगी।
-डॉ. पवन शर्मा, कृषि उपनिदेशक, सोनीपत