जन संसद
जन संसद की राय है कि कोवैक्सीन को डब्ल्यूएचओ की मान्यता भारतीय वैज्ञानिकों के समर्पण व मेधा की वैश्विक स्वीकार्यता है। कोरोना काल में देश का आत्मविश्वास बढ़ाने में हमारे वैज्ञानिकों और चिकित्सा बिरादरी का योगदान प्रेरक है।
वाकई गौरव
देश सदियों से गणित, आयुर्वेद, खगोल, जीव, तथा रसायन विज्ञान जैसे अनेक महत्वपूर्ण क्षेत्रों में विश्व विख्यात रहा है। परन्तु गुलामी की अंधेरी छाया ने सब कुछ ढक दिया था। आजादी के बाद हमारे वैज्ञानिकों भाभा, रमण, वसु, खुराना तथा कलाम जैसे दिग्गजों ने उस अंधेरे को हटाकर नये आयाम तथा मूल्य स्थापित किए, जिनके मार्गदर्शन पर चलकर देश के वैज्ञानिक अपनी क्षमताओं, योग्यताओं का सफल प्रदर्शन कर रहे हैं। कोवैक्सीन इतने कम समय में देश-विदेश को दी गई महत्वपूर्ण सौगात है जो सचमुच राष्ट्रीय गौरव को बढ़ाती है।
एम.एल. शर्मा, कुरुक्षेत्र
देश का सम्मान
यह एक वैश्विक उपलब्धि है कि भारत बायोटेक द्वारा निर्मित कोवैक्सीन को आपातकालीन उपयोग सूची में मान्यता दी गयी है। एक तरफ तो डब्ल्यूएचओ ने चार सप्ताह में एस्ट्राजेनेका द्वारा निर्मित कोविशील्ड वैक्सीन को मंजूरी प्रदान कर दी थी किन्तु कोवैक्सीन को स्वीकृति देने में 20 सप्ताह से अधिक का समय लग गया| आशा है कि भारत बायोटेक कंपनी कोवैक्सीन की देश-विदेश में की जाने वाली आपूर्ति में सुधार करने के लिए युद्धस्तर पर काम करेगी। फिलवक्त कोवैक्सीन को डब्ल्यूएचओ से अंतर्राष्ट्रीय मान्यता मिलना स्वाभिमान की बात है।
युगल किशोर शर्मा, खाम्बी, फरीदाबाद
आत्मनिर्भरता परिलक्षित
स्वदेशी कोवैक्सीन को डब्ल्यूएचओ की मान्यता से राष्ट्र का गौरव एवं साख बढ़ी है। इसका श्रेय वैज्ञानिकों एवं स्वास्थ्य विशेषज्ञों की अभिनव प्रतिभा को ही जाता है। यह उपलब्धि उन देशों के लिए भी चुनौती है, जिनसे आपातकाल में स्वीकार्यता हेतु कोई प्रतिसाद नहीं मिला। यह उन लोगों के लिए भी राहतपूर्ण है, जिन्हें विदेश जाने पर मजबूर होकर पृथकवास में रहना पड़ता था। यह कोरोनारोधी टीका कम आय वाले देशों के लिए भी सुलभ है। वास्तव में इस उपलब्धि से देश की आत्मनिर्भरता ही परिलक्षित हुई है।
सतपाल मलिक, सींक, पानीपत
बड़ी उपलब्धि
भारत में निर्मित पहली कोरोना रोधक कोवैक्सीन को डब्ल्यूएचओ की मान्यता मिलना राष्ट्रीय गौरव का विषय है। इसके लिए देश के वैज्ञानिक, स्वास्थ्य विशेषज्ञ और इस मिशन से जुड़े सभी लोग बधाई के पात्र हैं। यह सफलता दर्शाती है कि हमारे देश के वैज्ञानिकों व स्वास्थ्य विशेषज्ञों की क्षमता को विश्व स्तर पर स्वीकार्यता मिली है। कोरोना महामारी के बाद बहुत ही कम समय में देश ने इस उपलब्धि को हासिल किया है। अब इससे विदेश जाने वाले भारतीयों को विशेष रूप से लाभ होगा।
सतीश शर्मा, माजरा, कैथल
क्षमताओं से परिपूर्ण
आज भारत की प्रतिभा का लोहा पूरी दुनिया मानती है। ऐसा कौन-सा क्षेत्र बचा है जहां भारत के वैज्ञानिकों, इंजीनियरों ने अपनी मेधा का परचम नहीं लहराया हो। चाहे स्पेस का क्षेत्र हो, मेडिकल का क्षेत्र हो, भारत दुनिया में कहीं भी पीछे नहीं है। अब कोरोना महामारी में भारत के विशेषज्ञों ने बहुत कम समय में स्वदेशी कोवैक्सीन का निर्माण कर पूरे विश्व में भारत का गौरव बढ़ाया है। विश्व स्वास्थ्य संगठन ने इसे स्वीकार कर लिया है। अब माना जाने लगा है कि भारत के वैज्ञानिक क्षमताओं से परिपूर्ण हैं।
सत्यप्रकाश गुप्ता, बलेवा, खलीलपुर
गर्व की बात
विश्व स्वास्थ्य संगठन द्वारा भारत की कोरोना वैक्सीन को मान्यता दिया जाना विश्वव्यापी गौरव की बात है। विकसित देशों को पीछे छोड़ते हुए वैज्ञानिकों ने भारत को एक विशेष उपलब्धि दिलायी है। भारत अपनी प्राकृतिक चिकित्सा पद्धति, योग शक्ति और आध्यात्मिक शक्ति की दिशा में आरंभ से ही अग्रणी रहा है। उसी क्रम में भारत की यह उपलब्धि न केवल देश के नागरिकों के लिए प्राणरक्षक साबित होगी बल्कि अन्य देशों में भी इसका प्रचार-प्रसार होगा। यह सफलता देश के लिए गर्व की बात है।
श्रीमती केरा सिंह, नरवाना
पुरस्कृत पत्र
जय विज्ञान
पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने पोखरण परमाणु परीक्षण के समय ‘जय जवान, जय किसान’ नारे में ‘जय विज्ञान’ को जो जोड़ा था, वह समय के साथ-साथ अपनी सार्थकता को सिद्ध कर रहा है। देश के वैज्ञानिकों द्वारा निर्मित कोवैक्सीन इसका ज्वलंत उदाहरण है, जिसे विश्व स्वास्थ्य संगठन ने मान्यता देकर मोहर लगा दी है। हमारी भावी पीढ़ी न केवल विज्ञान को उत्साह से अपना रही है बल्कि इसमें बेहतर प्रदर्शन भी कर रही है। यह रुचि नि:संदेह भारत के गौरवमय भविष्य की ओर इंगित कर रही है।
सुरेंद्रपाल वरी, गोहाना, सोनीपत