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समुद्र के तल में रहस्यमयी शार्क

07:23 AM Jul 26, 2024 IST
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के.पी.सिंह
मुनि मछली एक वास्तविक शार्क है। अंग्रेजी में इसे मोंक फिश कहते हैं। यह अन्य शार्कों के समान खतरनाक नहीं होती। मुनि मछली की 11 जातियां हैं। सभी जातियों की मुनि मछलियां एक-दूसरे से बहुत मिलती-जुलती है। मुनि मछली विश्व के अधिकांश उष्णकटिबंधीय, उप-उष्णकटिबंधीय और समशीतोष्ण सागरों एवं महासागरों में पायी जाती है। यह अटलांटिक महासागर के दोनों ओर तथा भूमध्यसागर में बहुतायत से मिलती है। दक्षिण अफ्रीका, ऑस्ट्रेलिया, जापान तथा उत्तर और दक्षिण अमरीका के प्रशांत महासागर के तटों पर भी इसकी संख्या बहुत अधिक है। मुनि मछली सागर तट के उथले पानी में रहना अधिक पसंद करती है। इसकी कुछ जातियां गहरे पानी में रहती हैं। इन्हें 1260 मीटर की गहराई तक के भागों में देखा जा सकता है। मुनि मछली की गहरे सागर में रहने वाली जातियां भी प्रायः गर्मी के मौसम में सागर तट के निकट के उथले पानी में आ जाती हैं।
मुनि मछली की शारीरिक संरचना सागर की सामान्य मछलियों तथा शार्कों से पूरी तरह भिन्न होती है। वास्तव में यह शार्क और रे का मिश्रण है। मुनि मछली की लंबाई 1.2 मीटर से लेकर 2.4 मीटर तक होती है। सबसे बड़ी मुनि मछली स्क्वाटीना है। इसकी लंबाई लगभग 2.4 मीटर और शरीर का वजन 73 किलोग्राम तक होता है। मुनि मछली की पीठ और शरीर के ऊपर का रंग पीले से लेकर काला तक होता है। ग्रे अथवा कत्थई रंग की पीठ वाली मुनि मछलियां भी बहुत हैं। मुनि मछली के पेट और नीचे का भाग पूरी तरह सफेद होता है। इसकी पीठ और शरीर के ऊपर के भाग पर सफेद रेखाएं होती हैं और काले एवं सफेद रंग के धब्बे होते हैं।
मुनि मछली प्रायः सागर के तल में भोजन करती है। इसका प्रमुख भोजन विभिन्न प्रकार के क्रस्टेशियंस, मोलस्क, कृमि तथा इसी प्रकार के जीव-जंतु है। इनके साथ ही यह बहुत बड़ी संख्या में मछलियों का भी शिकार करती है। मुनि मछली का सागर तल के जीवों को खाने का ढंग भी बड़ा रोचक होता है। यह भोजन के लिए सागर के उथले पानी में तल के निकट पहुंचती है और सागर तल की रेत अथवा कीचड़ को अपने मीनपंखों से हिलाती है। इससे तल में पड़े हुए मोलस्क, क्रस्टेशियंस तथा विभिन्न प्रकार के कृमि बाहर आ जाते हैं और इसका आहार बन जाते हैं। मुनि मछली एक ऐसी मछली है, जिसमें आंतरिक समागम और आंतरिक निषेचन पाया जाता है, अर्थात इसमें मादा के शरीर में नर के शुक्राणु पहुंचते हैं तथा मादा के शरीर के भीतर ही मादा के अंडों का निषेचन हो जाता है और यह जीवित बच्चों को जन्म देती है। मुनि मछली का प्रजनन काल जून से आरंभ होता है और जुलाई के अंत तक चलता है। प्रजनन काल में नर और मादा के शरीर में अनेक परिवर्तन होते हैं, जिनकी सहायता से इन्हें सरलता से पहचाना जा सकता है।
मादा मुनि मछली समागम तो सागर तट से दूर गहरे पानी में करती है, किंतु बच्चों को जन्म देने के लिए यह हमेशा सागर तट के पास के उथले पानी में आ जाती है। गहरे पानी में पायी जाने वाली, मुनि मछली की जातियां भी प्रजनन हेतु हमेशा उथले पानी में आ जाती हैं तथा जून-जुलाई के महीनों में जीवित बच्चों को जन्म देती हैं। मुनि मछली एक बार में लगभग 25 बच्चों को जन्म देती है, किंतु इसके 4-5 बच्चे ही वयस्क होने तक शेष बचते हैं। वयस्क मुनि मछली को तो केवल कुछ मछलियों से ही खतरा रहता है, किंतु मुनि मछली के नवजात बच्चों को सागर तट के उथले पानी में भोजन करने वाले अनेक मांसाहारी जीव अपना आहार बनाते हैं।

इमेज रिफ्लेक्शन सेंटर

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