100 से ज्यादा भूमिहीन गृहिणियां मशरूम उत्पादन कर बनी दूसरी महिलाओं के लिए मिसाल
बिजेंद्र सिंह/हप्र
पानीपत, 8 जनवरी
बागवानी विभाग प्रदेश में अनुसूचित जाति के किसानों, विशेषकर भूमिहीन एवं एससी वर्ग की महिलाओं की आमदनी बढ़ाने को लेकर एससीएसपी स्कीम के तहत मशरूम का उत्पादन करने के लिये 85 प्रतिशत अनुदान दे रहा है। इसमें पराली व बांसों से झोपड़ी बनायी जाती है और झोपड़ी की 30 हजार की लागत पर विभाग 25500 रुपये अनुदान देता है। एक झोपड़ी में 100 मशरूम ट्रे रखी जाती हैं और उनमें मशरूम के 300 बैग होते हैं। इन मशरूम ट्रे की लागत भी 30 हजार है और उस पर भी 85 प्रतिशत यानि 25500 रुपये अनुदान मिलता है। इसके तहत सर्दी के मौसम में बटन मशरूम का उत्पादन होता है।
सितंबर व अक्तूबर में झोपड़ी बनाकर मशरूम के बीज सहित ट्रे रखी जाती है और डेढ़-दो माह में मशरूम का उत्पादन शुरू हो जाता है, जोकि करीब दो माह फरवरी व मार्च में सर्दी रहने तक चलता है। एससी वर्ग के भूमिहीन व्यक्ति व महिलाएं और गृहिणियां मात्र 15 प्रतिशत लागत लगा कर चार माह में अच्छी आमदनी अर्जित कर सकते हैं। हालांकि अन्त्योदय परिवार योजना के तहत 15 प्रतिशत का बैंक लोन भी मिल जाता है। झोपड़ी बनाने में ज्यादा जमीन की जरूरत नहीं होती और खाली प्लाट व मकान में भी मशरूम का उत्पादन हो सकता है। जिला में काफी संख्या में किसान एवं महिलाएं विशेषकर गृहिणियां मशरूम का उत्पादन करके अच्छा मुनाफा प्राप्त कर रहे हैं।
पानीपत के विभिन्न गांवों सिठाना, इसराना, मांडी, गवालड़ा, चमराड़ा व शहर मालपुर आदि में एससी वर्ग की 100 से भी ज्यादा भूमिहीन गृहिणियां मशरूम का उत्पादन करके दूसरी महिलाओं के लिये आत्मनिर्भर बनने की एक मिसाल बन रही हैं। इसमें एससी वर्ग के अलावा कुछ कामगार महिलाएं भी हैं, जोकि सर्दी के मौसम में तो मशरूम उगाती हैं और बाकी के महीनों में मेहनत मजदूरी करती हैं। बागवानी विभाग जिला के सभी ब्लाकों में अभियान चलाकर एससी वर्ग के किसानों, भूमिहीनों व महिलाओं विशेषकर गृहिणियों को जागरूक कर रहा है ताकि इस स्कीम का ज्यादा लोग लाभ उठा सकें।
पानीपत में मशरूम उत्पादन का बढ़ाया 4 गुना टारगेट
विभाग द्वारा इस स्कीम के तहत पिछले वर्ष मशरूम उत्पादन का सिर्फ 18 झोपड़ी व 1800 मशरूम ट्रे का लक्ष्य रखा गया था, लेकिन इस साल इसका टारगेट चार गुणा ज्यादा बढ़ाकर 74 झोपड़ी व 7500 मशरूम ट्रे का किया गया है। पराली से बनी झोपड़ी में बांस लगाकर उनके उपर ट्रे रखी जाती है और एक झोपडी में 100 ट्रे आती है, एक ट्रे में तीन बैग होते हैं। एक बैग से औसतन 1.5 किलो के करीब मशरूम का उत्पादन होता है।
विभाग की योजना का लाभ उठायें : डीएचओ
डीएचओ डा. शार्दूल शंकर ने बताया कि इस स्कीम के तहत पानीपत जिला में पिछले वर्ष मशरूम उत्पादन का 18 सीजनल झोपड़ी का लक्ष्य था, पर इस बार उसे बढ़ाकर 74 झोपड़ी व 7500 मशरूम ट्रे का किया गया है। इसके तहत एससी वर्ग के भूमिहीन व्यक्ति या गृहिणियां भी मशरूम का उत्पादन कर सकते हैं। विभाग झोपड़ी व मशरूम ट्रे पर 85 प्रतिशत अनुदान देता है।