भाजपा के ‘कृष्ण’ को मोदी का सहारा, महेंद्र दिखा रहे ‘छवि’ का ‘प्रताप’
दिनेश भारद्वाज/ट्रिन्यू
फरीदाबाद, 22 मई
फरीदाबाद लोकसभा क्षेत्र पर इस बार पूरे प्रदेश की नजरें लगी हुई हैं। यह भी राज्य की हॉट सीट है। ऐसा इसलिए क्योंकि मोदी के करीबी और केंद्रीय मंत्री कृष्णपाल गुर्जर इस सीट से जीत की हैट्रिक लगाने के लिए चुनावी मैदान में डटे हैं। कांग्रेस उम्मीदवार और पूर्व मंत्री महेंद्र प्रताप सिंह से उन्हें कड़ी टक्कर मिल रही है। मुकाबला बिल्कुल आमने-सामने का है। ब्रज, मेव और दिल्ली से सटे इस क्षेत्र में भाजपा के ‘कृष्ण’ को मोदी नाम का सहारा है तो महेंद्र प्रताप सिंह अपनी छवि को मुद्दा बना रहे हैं।
यह लगातार तीसरा चुनाव है, जब गुर्जर दिग्गज आमने-सामने डटे हैं। हालांकि, इस बार कांग्रेस ने चेहरा बदला है। फरीदाबाद संसदीय क्षेत्र का एक रोचक पहलू यह भी है कि पिछले चार चुनावों से इस सीट पर गुर्जर ही सांसद बनते आ रहे हैं। इस बार भी गुर्जर बिरादरी से ही कोई संसद पहुंचेगा। 2009 में कांग्रेस टिकट पर अवतार सिंह भड़ाना ने भाजपा के रामचंद्र को चुनाव हराया था। इसके बाद, 2014 में भाजपा ने उस समय तिगांव से विधायक कृष्णपाल गुर्जर को पहली बार चुनाव में उतारा।
गुर्जर ने उस समय 6 लाख 52 हजार 516 मत लेकर कांग्रेस के मौजूदा सांसद अवतार सिंह भड़ाना को 4 लाख 66 हजार 873 मतों के बड़े अंतर से शिकस्त दी। भड़ाना को मात्र एक लाख 85 हजार 643 वोट मिले थे। चुनावी नतीजों के कुछ दिनों बाद भड़ाना ने कांग्रेस छोड़ दी और वे भाजपा में शामिल हो गए। भाजपा टिकट पर वे यूपी में विधायक बने। 2019 के लोकसभा चुनाव से पहले भड़ाना भाजपा छोड़कर फिर कांग्रेस में लौट आए। कांग्रेस ने भड़ाना को हाथों-हाथ लिया और आते ही उन्हें फरीदाबाद से लोकसभा की टिकट दे दी। 2019 के चुनाव में भी फरीदाबाद में कांग्रेस का शर्मनाक प्रदर्शन रहा। कृष्णपाल गुर्जर ने दूसरी बार 9 लाख 13 हजार 322 वोट लिए और भड़ाना को केवल 2 लाख 68 हजार 327 वोट नसीब हुए। यानी गुर्जर इस चुनाव में भड़ाना को 6 लाख 44 हजार 895 मतों के अंतर से हराने में कामयाब रहे। चुनावों में हार के बाद भड़ाना ने फिर कांग्रेस छोड़ दी।
अब भाजपा ने लगातार तीसरी बार कृष्णपाल गुर्जर पर भरोसा जताया है। मोदी कैबिनेट में लगातार दस वर्षों से राज्य मंत्री कृष्णपाल गुर्जर को पीएम नरेंद्र मोदी और पूर्व सीएम मनोहर लाल के करीबियों में गिना जाता है। कांग्रेस ने गुर्जर के मुकाबले पूर्व मंत्री महेंद्र प्रताप सिंह को चुनाव में उतार कर चुनाव को रोचक बना दिया। महेंद्र प्रताप दो बार कैबिनेट मंत्री रहे हैं और वे पांच बार विधायक बन चुके हैं। 20 साल पहले भी महेंद्र प्रताप और कृष्णपाल गुर्जर आमने-सामने चुनाव लड़ चुके हैं। 2004 में महेंद्र प्रताप ने मेवला महाराजपुर हलके में भाजपा के कृष्णपाल गुर्जर को शिकस्त दी थी।
कांग्रेस प्रधान की भी परीक्षा
इस चुनाव में कांग्रेस प्रदेशाध्यक्ष चौ़ उदयभान की भी परीक्षा होगी। यह पहला चुनाव है, जो उनके नेतृत्व में लड़ा जा रहा है। फरीदाबाद उनका गृह क्षेत्र है। वे होडल से विधायक भी रहे हैं। पूर्व सीएम भूपेंद्र हुड्डा के नजदीकियों में शामिल उदयभान इस क्षेत्र में भी काम कर रहे हैं। हालांकि, वे दूसरे लोकसभा क्षेत्रों में भी कांग्रेस प्रत्याशियों के प्रचार के लिए जा रहे हैं, लेकिन फरीदाबाद की हार-जीत से उनकी राजनीति पर भी असर पड़ सकता है।
कांग्रेस-भाजपा का रहा दबदबा
दिल्ली से सटा यह ऐसा लोकसभा क्षेत्र है, जिसमें कांग्रेस और भाजपा का दबदबा रहा है। भाजपा के रामचंद्र जांगड़ा यहां से जीत की हैट्रिक लगाने वाले पहले नेता रहे। उन्होंने 1996, 1998 और 1999 यानी लगातार तीन बार चुनाव जीता। पूर्व सांसद अवतार सिंह भड़ाना ने भी हैट्रिक लगाने की कोशिश की, लेकिन वे कामयाब नहीं हो सके। भड़ाना 2004 और 2009 में सांसद रहे लेकिन 2014 में वे हार गए। मौजूदा सांसद कृष्णपाल गुर्जर भी हैट्रिक लगाने की जुगत में है। 2014 और 2019 में वे सांसद बन चुके हैं।
दोनों ही हेवीवेट नेता
कृष्णपाल गुर्जर और महेंद्र प्रताप सिंह दोनों को ही हेवीवेट नेता माना जाता है। कृष्णपाल भाजपा के प्रदेशाध्यक्ष भी रहे हैं और भाजपा विधायक दल के नेता भी रह चुके हैं। वे लगातार दस वर्षों तक केंद्र में मंत्री हैं। कृष्णपाल 1996 में हविपा-भाजपा यानी बंसीलाल के नेतृत्व वाली गठबंधन सरकार में परिवहन मंत्री रह चुके हैं। वहीं, महेंद्र प्रताप सिंह भजनलाल सरकार में मंत्री रहे हैं और हुड्डा सरकार में हेवीवेट मंत्री रह चुके हैं। महेंद्र प्रताप एक बार कांग्रेस विधायक दल के नेता रहे चुके हैं। दोनों ही पार्टियों की ओर से कद्दावर गुर्जर नेता मैदान में होने की वजह से इस बार गुर्जर वोट बैंक निर्णायक भूमिका में आ गया है।
भाजपाई दिग्गजों की प्रतिष्ठा दांव पर
फरीदाबाद सीट पर कृष्णपाल गुर्जर के सामने तीसरी बार जीत हासिल करने की बड़ी चुनौती है। वहीं, भाजपा के कई दिग्गज नेताओं की प्रतिष्ठा दांव पर है। इस संसदीय सीट को सरकार में भी पूरा शेयर मिला हुआ है। गुर्जर खुद केंद्र में मंत्री हैं। बल्लबगढ़ विधायक मूलचंद शर्मा, नायब सरकार में उद्योग एवं वाणिज्य मंत्री हैं और बड़खल विधायक सीमा त्रिखा राज्य की शिक्षा मंत्री हैं। दोनों ही नेता कृष्णपाल गुर्जर के लिए पूरी गंभीरता से काम कर रहे हैं। सीएम के पूर्व राजनीतिक सचिव अजय गौड़ फरीदाबाद क्षेत्र में मोर्चाबंदी किए हुए हैं। यहां से विधायक नरेंद्र गुप्ता, पलवल विधायक दीपक मंगला, होडल विधायक जगदीश नायर, तिगांव विधायक राजेश नागर, हथीन विधायक प्रवीन डागर के सामने भी कृष्णपाल का चुनाव बड़ा चैलेंज हैं। पृथला से निर्दलीय विधायक नयनपाल रावत भी सरकार के साथ हैं। पूर्व उद्योग एवं वाणिज्य मंत्री विपुल गोयल भी फरीदाबाद से टिकट मांग रहे थे, लेकिन उन्हें टिकट नहीं मिला। ऐसे में उनकी परफोरमेंस पर भी नजर रहेगी।
कांग्रेसी दिखा रहे एकजुटता
गुटबाजी की शिकार कांग्रेस के नेता इस क्षेत्र में एकजुटता दिखा रहे हैं। लंबे समय के बाद यह पहला मौका है कि कांग्रेसी आपसी मतभेद मिटाकर एकजुट होकर चुनाव लड़ रहे हैं। पूर्व मंत्री करण सिंह दलाल टिकट मांग रहे थे। महेंद्र प्रताप को टिकट मिलने के बाद उन्होंने विरोध किया, लेकिन बाद में वे चुनावी प्रचार में जुट गए। एनआईटी विधायक नीरज शर्मा, पूर्व मुख्य संसदीय सचिव शारदा राठौर, पूर्व विधायक हर्ष कुमार, सुभाष चौधरी, रघुबीर सिंह तेवतिया व ललित नागर, वरिष्ठ नेता लखन सिंगला, जेपी नागर, तरुण तेवतिया इसराइल खान सहित अधिकांश नेताओं ने अपने-अपने एरिया में महेंद्र प्रताप के चुनाव की कमान संभाली हुई है। नेताओं में एकजुटता इसलिए भी है, क्योंकि चार महीने बाद विधानसभा के चुनाव होने हैं। सभी ये जानते हैं कि चुनाव के नतीजों का असर विधानसभा चुनाव पर भी पड़ेगा। हालांकि पार्टी को संगठन नहीं होने की वजह से परेशानी भी उठानी पड़ रही है। कांग्रेस नेता बूथ की प्लानिंग करने में जुटे हैं।
कौन कब रहा सांसद