जींद में मिड्ढा परिवार ने बनाया लगातार पांच बार जीतने का रिकॉर्ड
जींद, 8 अक्तूबर (हप्र)
जींद से भाजपा प्रत्याशी डॉ. कृष्ण मिड्ढा ने कांग्रेस के महावीर गुप्ता को 17000 से ज्यादा मतों के अंतर से पराजित कर जहां अपने परिवार की राजनीतिक विरासत को आगे बढ़ाया है, वहीं उनके परिवार के नाम ऐसा रिकॉर्ड दर्ज हो गया है, जिसका टूटना लगभग नामुमकिन लगता है।
यह रिकॉर्ड जींद विधानसभा क्षेत्र से लगातार पांच विधानसभा चुनाव जीतने का है। 2009 और 2014 में डॉ. कृष्ण मिड्ढा के पिता जींद से विधायक बने थे। 2018 में उनके निधन के बाद जनवरी 2019 में हुए जींद उप चुनाव में उनके बेटे डॉ. कृष्ण मिड्ढा ने इनेलो छोड़ भाजपा की टिकट पर चुनाव लड़ा था और वह विजयी रहे थे। उन्होंने कांग्रेस के रणदीप सुरजेवाला और जजपा के दिग्विजय चौटाला को धूल चटाई थी। अक्तूबर 2019 में हुए विधानसभा चुनाव में फिर डॉ. कृष्ण मिड्ढा ने जीत हासिल की थी, और यह मिड्ढा परिवार की जींद से लगातार चौथी जीत थी।
अब डॉ. कृष्ण मिड्ढा ने जींद से कांग्रेस प्रत्याशी महावीर गुप्ता को भारी मतों के अंतर से पराजित कर अपने परिवार के नाम लगातार पांचवीं जीत का ऐसा रिकॉर्ड बना दिया है, जिसे तोड़ना लगभग नामुमकिन होगा। अभी तक जींद से कोई भी प्रत्याशी लगातार दो बार से ज्यादा चुनाव नहीं जीत पाया था। मिड्ढा परिवार ने लगातार पांच चुनाव जीत कर जींद की राजनीति पर अपना वर्चस्व कायम कर दिया है। जींद से डॉ. कृष्ण मिड्ढा ने लगातार 3 जीत दर्ज कर पूर्व मंत्री मांगेराम गुप्ता और पूर्व विधायक बाबू दयाकिशन को भी पीछे छोड़ दिया है, जो लगातार दो बार जींद से विधायक बने थे।
राजनीतिक विरासत को बढ़ाया आगे
जींद के चुनावी दंगल में आमने-सामने की टक्कर भाजपा के डॉ. कृष्ण मिड्ढा और कांग्रेस के महावीर गुप्ता के बीच थी। डॉ. कृष्ण मिड्ढा ने जींद में अपनी जीत के साथ अपने पिता पूर्व विधायक डॉ. हरिचंद मिड्ढा की राजनीतिक विरासत को और आगे बढ़ा दिया, जबकि कांग्रेस प्रत्याशी महावीर गुप्ता अपने पिता पूर्व मंत्री मांगेराम गुप्ता की राजनीतिक विरासत को आगे नहीं बढ़ा पाए। डॉ. कृष्ण मिड्ढा के पिता डॉ हरिचंद मिड्ढा 2009 और 2014 में जींद से इनेलो की टिकट पर विधायक बने थे, जबकि कांग्रेस प्रत्याशी महावीर गुप्ता के पिता पूर्व मंत्री मांगेराम गुप्ता जींद से चार बार विधायक और तीन बार प्रदेश सरकार में मंत्री रहे थे। यह दोनों प्रत्याशी अपने परिवारों की राजनीतिक विरासत को आगे बढ़ाने की जंग में उलझे हुए थे और इसमें जीत भाजपा के डॉ. कृष्ण मिड्ढा की हुई है।