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प्रदेश की राइस मिलर एसोसिएशन के सदस्यों ने निकाले अलग-अलग सुर

09:49 AM Oct 08, 2024 IST
प्रदेश की राइस मिलर एसोसिएशन के सदस्यों ने निकाले अलग अलग सुर
गुहला चीका में सोमवार को राइस मिलरों की बैठक को संबोधित करते प्रदेशाध्यक्ष अमरजीत छाबड़ा। -निस
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जीत सिंह सैनी/निस
गुहला चीका, 7 अक्तूबर
हरियाणा प्रदेश के राइस मिल मालिकों की एक बैठक अग्रवाल धर्मशाला चीका में बुलाई गई। बैठक में धान खरीद को लेकर चल रही हड़ताल खोलने को लेकर विचार-विमर्श किया लेकिन काफी जद्दोजहद के बावजूद भी एसोसिएशन के पदाधिकार कोई ठोस निर्णय नहीं ले पाए।
बैठक में मौजूद कुछ सदस्य हड़ताल खोलने की मांग कर रहे थे तो कुछ सदस्य दस अक्तूबर तक हड़ताल जारी रखने पर अड़े थे।
बैठक में हरियाणा की दोनों राइस मिल एसोसिएशन के प्रधान अमरजीत छाबड़ा व हंस राज सिंगला, राम स्वरूप जिंदल, ज्वैल सिंगला, महासचिव राजेंद्र ढांड, उत्तरी हरियाणा प्रधान सतपाल, मनीष बंसल, नरेश बंसल सहित दर्जनों मिलर शामिल थे। हंसराज सिंगला ने कहा कि पूरे प्रदेश के राइस मिल मालिक एकजुट होकर हड़ताल पर हैं ताकि सरकार से अपनी मांगें मनवा सकें। उन्होंने कहा कि हड़ताल के बावजूद कुछ मिलर धान खरीद रहे हैं, जो ट्रेड के नियमों के खिलाफ है। ऐसे मिलरों के खिलाफ कार्यवाही की जाएगी। हंस राज ने कहा कि  पंजाब सरकार की तर्ज पर हरियाणा सरकार भी राइस मिलरों की मांगें तुरंत माने, क्योंकि प्रदेश का  राइस मिल उद्योग पूरी तरह ठप हो चुका है।
अमरजीत छाबड़ा ने कहा कि जो मिलर एसोसिएशन से बाहर जाकर धान खरीद रहे हैं, उन्हें भी हड़ताल में शामिल करने का प्रयास करेंगे।

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चीका की एक एसोसिएशन नहीं हुई हड़ताल में शामिल
चीका में राइस मिलर एसोसिएशन की दो यूनियनें बनी हुई हैं। एक यूनियन से जुड़े मिलर अभी तक हड़ताल पर चल रहे हैं जबकि दूसरी यूनियन से संंबधित मिलर मंडी में धान खरीद का कार्य धड़ल्ले से कर रहे हैं। चीका राइस मिल एसोसिएशन के प्रधान महावीर मटोरिया ने बताया कि आज की बैठक के बारे में उन्हें काई जानकारी नहीं है। उनकी यूनियन की कोई हड़ताल नहीं हैं।

ये हैं राइस मिलरों  की मुख्य मांगें
प्रदेश के राइस मिलरों की मांग है कि ठेकेदारी प्रथा बंद कर लोडिंग, अनलोडिंग व स्टैकिंग का पैसा मिलरों को दिया जाए। क्रेट व तिरपाल का किराया दिया जाए, होल्डिंग चार्ज न वसूला जाए, चावल लगाने के लिए जगह देना, एक क्विंटल धान के बदले 60 किलो चावल लेना, मिलिंग चार्ज 200 रुपये देना शामिल है। मिलरों का कहना है कि जब केंद्र सरकार एफआरके के नाम पर 73 रुपए प्रति क्विंटल दे रही है तो सरकार इसका टेंडर न कर मिल मालिकों को एफआरके का अधिकार दे।

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