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सुख का स्रोत ध्यान

07:48 AM May 27, 2024 IST
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अनीता

एक बार एक व्यक्ति किसी संत के पास गया और दुख से मुक्ति का मार्ग पूछा। संत ने कहा, ध्यान। उसने कहा कुछ और कहें, संत ने दो बार और कहा, ध्यान! ध्यान। जब हम स्कूल में पढ़ते थे, अध्यापकगण हर घंटे में कहते थे, ध्यान दो, ध्यान से पढ़ो। घर पर मां बच्चे को कोई सामान लाने को कहे तो पहले कहेंगी, ध्यान से पकड़ो। सड़क पर यदि कोई ड्राइवर गाड़ी ठीक से न चलाये, तो कहेंगे, उसका ध्यान भटक गया। इसका अर्थ हुआ ध्यान में ही सब प्रश्नों का हल छिपा है। ध्यान हमारी बुद्धि की सजगता की निशानी है। जब बुद्धि सजग हो तो भूल नहीं होती। इसी तरह जब मन ध्यानस्थ होता है तो सहज स्वाभाविक प्रसन्नता तथा उजास चेहरे पर स्वयंमेव छाये रहते हैं, उनके लिए प्रयास नहीं करना पड़ता, मन से सभी के लिए सद्-भावनाएं उपजती हैं। यह दुनिया तब पहेली नहीं लगती न ही कोई भय रहता है।
दरअसल, ध्यान से उत्पन्न शांति सामर्थ्य जगाती है और सारे कार्य थोड़े से ही प्रयास से होने लगते हैं। कर्तव्य पालन यदि समुचित हो तो अंतर्मन में एक अनिवर्चनीय अनुभूति होती है, ऐसा सुख जो निर्झर की तरह अंतर्मन की धरती से अपने आप फूटता है, सभी कुछ भिगोता जाता है, जीवन एक सहज-सी क्रिया बन जाता है, कहीं कोई संशय नहीं रह जाता। संतजन कहते हैं, जो अपने लिये सत्यं, शिवं और सुन्दरं के अलावा कुछ नहीं चाहता, प्रकृति भी उसके लिये अपने नियम बदलने को तैयार हो जाती है। जो अपने ‘स्व’ का विस्तार करता जाता है, जैसे-जैसे अपने निहित स्वार्थ को त्यागता जाता है, वैसे-वैसे उसका सामर्थ्य बढ़ता जाता है।
नि:संदेह हम अस्तित्व पर निर्भर रहें तो कोई फ़िक्र वैसे भी नहीं रह जाती क्योंकि वह हर क्षण हमारे कुशल-क्षेम का भार वहन करता है। जैसे एक नन्हा बालक अपनी सुरक्षा के लिये मां पर निर्भर करता है, हमारे सभी कार्य यदि हम उस पर निर्भर रहते हुए करेंगे तो उनके परिणाम से बंधेंगे नहीं। एकमात्र ईश्वर ही हमारे प्रेम का केन्द्र हो, जो कहना है उसे ही कहें। अन्यों से प्रेम हो भी तो उसी के प्रति प्रेम का प्रतिबिम्ब हो। परमात्मा की कृपा जब हम पर बरसती है तो अपने ही अंतर से बयार बहती है। तब अंतर में तितलियां उड़ान भरती हैं। अंतर की खुशी बेसाख्ता बाहर छलकती है। ऐसा प्रेम अपनी सुगन्धि अपने आप बिखेरता है। दुनिया का सौंदर्य जब उसके सौंदर्य के आगे फीका पड़ने लगे, उस ‘सत्यं शिवं सुन्दरं’ की आकांक्षा इतनी बलवती हो जाये, उसके स्वागत के लिए तैयारी अच्छी हो तो उसे आना ही पड़ेगा।
अमृता-अनीता डॉट ब्लॉगस्पॉट डॉट कॉम

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