प्रगति का प्रतीक
चंद्रयान-3 मिशन की सफलता भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान में एक महत्वपूर्ण कदम है। इस सफलता ने सिद्ध कर दिया है कि भारत स्वयं के अंतरिक्ष मिशनों को सफलतापूर्वक लॉन्च करने में माहिर है। यह मिशन न केवल वैज्ञानिक और तकनीकी प्रगति का प्रतीक है, बल्कि यह दुनियाभर में भारतीय अंतरिक्ष की काबिलियत को दर्शाता है। भारत ने अन्य देशों को ये संदेश दिया है कि कम खर्चे में भी उच्च कोटि का यान बनाने में यहां के वैज्ञानिक सक्षम हैं। संकल्प, धैर्य, लगन, अनुशासन और स्वयं पर विश्वास को चंद्रयान-3 की सफलता ने सिद्ध किया है।
भगवानदास छारिया, इंदौरनयी संभावना के द्वार
किसी भी देश के वैज्ञानिकों के लिए चांद या अन्य ग्रहों के बारे में जानकारी जुटाना बड़े गौरव की बात है। इसी कड़ी में चांद के दक्षिणी ध्रुव पर भारत के चंद्रयान-3 का पहली मर्तबा पहुंचना भी मील का पत्थर साबित होगा। इसरो के वैज्ञानिक अपने कठिन परिश्रम व मेधा से आज अमेरिका, रूस और चीन से भी आगे निकल रहे हैं। मिशन चंद्रयान के रोवर प्रज्ञान की फोटोग्राफी वहां के वातावरण के अध्ययन में मददगार साबित होगी, जो संपूर्ण मानवता के लिए जीवन की नई संभावनाओं के द्वार खोलेगी।
देवी दयाल दिसोदिया, फरीदाबादवैज्ञानिक वातावरण बनेगा
चंद्रयान-3 की सफलता ने दुनिया में भारत के दमखम को दिखाया है। इससे दुनिया में यह संदेश गया है कि देश के पास वो क्षमता है जो कम बजट और कम संसाधनों में भी कार्य कुशलतापूर्वक कर सकता है। इसने भारत की विश्वसनीयता को और ज्यादा बढ़ा दिया है। इसके साथ ही चंद्रयान-3 की सफलता के बाद इसरो का नाम दुनिया की सबसे बड़ी स्पेस एजेंसियों में शामिल होगा। चंद्रयान-3 की कामयाबी के बाद विज्ञान और प्रौद्योगिकी क्षेत्र को प्रोत्साहन मिलेगा। निश्चित ही इस क्षेत्र में स्टार्टअप की गुंजाइश बढ़ेगी। देश में नए स्टार्टअप स्थापित हो सकते हैं। इसके अलावा कई देश यहां मौजूद स्टार्टअप से कनेक्ट हो सकते हैं।
अनिल गुप्ता ‘तरावड़ी’, करनाल
चांद पर तिरंगा
भारतीय वैज्ञानिकों की सफलता का परिणाम चंद्रयान-3 चंद्रमा की तलहटी पर खासी मशक्कत के बाद परचम फहराना विश्व में गौरव का विषय है। दूरसंचार प्रणाली द्वारा चंद्रयान के माध्यम से भेजी गई तस्वीरें वैज्ञानिक पृष्ठभूमि का महत्वपूर्ण पक्ष है। भारत दुनिया के उन देशों के एलीट क्लब में भी शामिल हो गया है, जो चंद्रमा पर अपना मिशन उतारने में कामयाब रहे हैं। ऐसा करने वाला भारत चौथा देश है। चंद्रयान-3 की सफलता ने संदेश दिया है कि भारत कम बजट और कम संसाधनों में भी काम कर सकता है, जो बड़े देश नहीं कर सकते।
अनिल कौशिक, क्योड़क, कैथलवैज्ञानिकों का अथक परिश्रम
भारतीय वैज्ञानिकों के अथक परिश्रम और अपूर्व मेधा ने भारत को चंद्र पर विजय हासिल करवाई। यह उपलब्धि एक शानदार उपलब्धि है। पहले भी भारत एक मजबूत अर्थव्यवस्था के साथ विश्व बाजार में अपनी धाक जमा चुका है। यह मिशन राष्ट्रीय एकता की डोर को मजबूत करने वाला था। हर भारतीय ने हर मतभेद भुलाकर मिशन की कामयाबी की प्रार्थना की। मिशन की कामयाबी से विश्व में भारत की एक नई पहचान बनी है। चंद्रयान-3 की सफलता के बाद इसरो का नाम दुनिया की सबसे बड़ी स्पेस एजेसियों में शामिल होगा।
श्रीमती केरा सिंह, नरवानाराष्ट्रीय गौरव
भारत का चांद पर पहुंचना इसरो के वैज्ञानिकों की कार्यकुशलता का परिणाम है। चांद पर पहुंचने के लिए चंद्रयान-3 पर लगभग 615 करोड़ रुपए का खर्च आया है जो कि इस काम के लिए विश्व का न्यूनतम खर्चा है। हमारे चंद्रयान के चांद पर भेजने का उद्देश्य यह पता करना है कि चांद पर कौन-कौन सी धातुओं के भंडार हैं, वहां जीवन है या नहीं, पानी और ऑक्सीजन है या नहीं, वायुमंडल कैसा है, चांद से धरती तथा दूसरे ग्रह कैसे दिखाई देते हैं। चांद पर तिरंगा लहराना भारत का राष्ट्रीय गौरव है।
शामलाल कौशल, रोहतकपुरस्कृत पत्र
मेधा का प्रस्फुटन
चंद्रयान-3 मिशन की कामयाबी को देखकर दुनिया समझ गई होगी कि भारत अब 1950 के दशक वाला भारत नहीं रहा। यहां अंतरिक्ष अन्वेषण संबंधी बड़े विचार जन्म ही नहीं लेते, फलीभूत भी होते हैं। मिशन चन्द्रयान की कामयाबी से एक तथ्य यह भी उजागर हुआ है कि प्रतिभाएं सिर्फ़ कान्वेंटों या आक्सफोर्डों से ही नहीं निकलती, ग्रामीण स्कूलों की मृदा से भी मेधा का प्रस्फुटन होता है। चंद्रयान-3 में स्वदेशी कम्पनियों द्वारा निर्मित कलपुर्जों के उपयोग ने यह स्पष्ट संदेश दिया है कि भारतीय तकनीक अंतर्राष्ट्रीय मानकों पर खरा उतरने में किसी से पीछे नहीं है।
ईश्वर चन्द गर्ग, कैथल