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मनवा तू मन के लड‍्डू फूटने से बचा

10:43 AM Dec 06, 2023 IST

राकेश सोहम‍्

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मसला अजीब है। लड्डू को मन में रखना है। शर्त ये है कि मन में लड्डू फूटना नहीं चाहिए! असंभव है मन में लड्डू को फूटने से बचाना। बाहर रखे असली लड्डुओं को फूटने से बचाने का यत्न किया जा सकता है, मन में लड्डू को नहीं। लड्डू मन में आए कि फूटे। वे मन में कभी साबुत नहीं बचते। फूट ही जाते हैं। लगभग हर एक व्यक्ति के मन में लड्डू फूटते हैं। शायद जानवरों के मन में भी फूटते हों। वे नहीं जानते कि लड्डू क्या बला है। यह मानवीय आविष्कार है। खाने के मामले में लड्डू मनुष्य का पहला पकवान माना जा सकता है। बहरहाल, मन बड़ा जिद्दी होता है। वह चाहे कितना भी व्यस्त हो, लड्डू फोड़ने का मौक़ा नहीं चूकता। गाहे-बगाहे मन में लड्डू फूटने लगते हैं।
मन में इतने लड्डू आते कहां से हैं? मौका चाहे कोई भी हो, वह लड्डू फोड़ने बैठ जाता है। आप चाट खाने गए हैं। चाट अभी हाथों में आई नहीं है। मन में लड्डू फूटे जा रहे हैं। सुंदर स्त्री देखते ही पुरुष मन धड़ाधड़ ढेरों लड्डू फोड़ने लगता है। मन के लड्डुओं की आवक खोज का विषय है। दुनिया का कड़वा सच यह भी है, जिन गरीबों को असली लड्डू नसीब नहीं होते, उनके मन में अक्सर लड्डू फूटते हैं। खराब किस्मत वालों के मन में लड्डू फूटने की गारंटी है।
असली लड्डू बनाने के कई तरीके और हज़ार सामग्री हो सकती है। मन के पास सामग्रियों की कमी नहीं है। वह बड़ा चालाक है। पता नहीं किस विधि, किसी भी चीज़ के लड्डू बना लेता है! और फिर फोड़ने लगता है। अपनी रचना को लेकर लेखक के मन में संपादक की स्वीकृति, प्रकाशन की सूचना और बड़ा मानदेय मिलने के लड्डू फूटते हैं। नेताओं के मन में जीत के लड्डू फूटते हैं। बीमार के मन में जीवन के लड्डू फूटते हैं। कुंवारों के मन में शादी के लड्डू फूटते हैं। चोर के मन में चोरी के और लंपट के मन में छोरी के लड्डू फूटते हैं।
बहरहाल, मन की बात कहने और मन में लड्डुओं के फूटने की आवाज़ से आवाम परिचित है। पिछले दिनों चुनावी जंग हुई। अब जीते हुए नेताओं के मन में पद और कुर्सी पाने के लड्डू फूटने लगे हैं। बेचारे हारे हुए प्रत्याशियों के असल लड्डू भी फूट गए। आध्यात्मिक जीवन का सूत्र है- जो व्यक्ति मन में लड्डू फूटने से बचा सके, वही सच्चा साधक हो सकता है। साधु भी वही है।

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