खेलों में कामयाबी का मंत्र
योग्यता का आधार
एशियाड खेलों में बेटियों ने साबित कर दिया कि पदक जीतने में वो लड़कों से किसी प्रकार से पीछे नहीं हैं। लेकिन वैश्विक स्तर पर प्रतिनिधित्व करने वाले सभी खिलाड़ियों का चयन प्रशिक्षण और मेरिट आधार पर होना चाहिए। खिलाड़ियों का चयन होने पर उन्हें कोच, प्रशिक्षण, तकनीकी सपोर्ट मिलना चाहिए। कोच, प्रशिक्षक भी वैश्विक स्पर्धाओं के पदक विजेता हों तो बेहतर होगा। उन्हें खिलाड़ियों की परेशानियों को समझने की ज्यादा समझ होती है। वहीं नौकरशाहों और राजनेताओं का दखल बिल्कुल बंद होना चाहिए। महिला और पुरुषों की अलग-अलग अकादमी हो। खासकर महिला खिलाड़ी बिना किसी संकोच और अवसाद के सही प्रशिक्ष्ाण ले सकें।
रामभज गहलावत, रोहतक
संबल जरूरी
हैंगजाऊ एशियाई खेलों में भारतीय महिला खिलाड़ियों की सफलता सामाजिक बदलाव को रेखांकित करती है। सरकार का खेलों के प्रति अतिरिक्त प्रोत्साहन का ही नतीजा है कि खिलाड़ियों ने पूरा दमखम दिखाया। इस बार 50 पुरुष वर्ग में और 47 महिला वर्ग में तथा 10 मिश्रित वर्ग में मेडल मिलना भारत का गौरव है। पुरुष-महिला खिलाड़ियों के लिए अनुभवी कोच का साथ हो तो ऊर्जा चमत्कार दिखाती है। देश के पास विश्वस्तरीय प्रशिक्षण से मिलने वाला अनुभव तकनीकी सपोर्ट, मानसिक व आर्थिक संबल भी जरूरी है।
शिवरानी पुहाल, पानीपत
बहुआयामी पहल हो
एशियाड के खेलों में भारत ने 107 पदक जीतकर चौथा स्थान प्राप्त किया है। इन खेलों में बेटियों का योगदान भी सराहनीय है। अगर अंतर्राष्ट्रीय खेल प्रतियोगिताओं में भारत की स्थिति सुधरे तो उसके लिए खिलाड़ियों का चुनाव उनके बचपन में ही कर लेना चाहिए। पर्याप्त सुविधाएं तथा प्रशिक्षण देना चाहिए। क्रिकेट की तरह अन्य खेलों को भी प्रोत्साहित करना चाहिए। मेडल जीतने वालों को सम्मानित करने के साथ-साथ बाद में भी आजीविका चलाने के लिए नौकरियां मिलनी चाहिए। खेलों में नई-नई तकनीक का इस्तेमाल करना चाहिए। अनुभवी तथा प्रशिक्षित कोच नियुक्त करने चाहिए।
शामलाल कौशल, रोहतक
राजनीति से दूरी
खेल प्रतिभाओं को स्तरीय प्रशिक्षण के साथ आर्थिक सुरक्षा मुहैया करवाना वैश्विक खेलों में कामयाबी का मंत्र है। खेल प्रतिभाओं को दूर-दराज के इलाकों में तलाश कर अच्छे प्रशिक्षण के साथ आर्थिक मदद करना आवश्यक है, जिससे खिलाड़ियों को संसाधनों का अभाव महसूस न हो और अच्छी डाइट का प्रबंध सुनिश्चित हो सके। खिलाड़ियों की आर्थिक सुरक्षा के लिए नौकरियां निर्धारित की जाएं। इससे खेल प्रतिभाओं में स्वस्थ प्रतियोगिता विकसित होगी। देश के खेल संघों को राजनेताओं से दूर रखा जाये।
जयभगवान भारद्वाज, नाहड़
आर्थिक सुरक्षा भी
हैंगजाऊ में संपन्न हुए एशियाई खेलों में भारतीय खिलाड़ियों ने अब की बार सौ के पार की बात को सिद्ध करते हुए विश्व में देश के गौरव को बढ़ाया है। इस सफलता में बेटियों का योगदान भी प्रशंसनीय रहा। भविष्य में वैश्विक स्तर पर विशेष रूप से अगले साल पेरिस में होने वाले ओलंपिक खेलों में श्ाानदार प्रदर्शन करने के लिए जरूरी है कि हम उन खेलों की ओर विशेष ध्यान दें जिनमें हमारे खिलाड़ी हैंगजाऊ एशियाई खेलों में अच्छा प्रदर्शन नहीं कर पाए। यह भी जरूरी है कि खिलाड़ियों को उचित प्रशिक्षण व आर्थिक संबल प्रदान किया जाए।
सतीश शर्मा, माजरा, कैथल
पारदर्शिता
हाल में एशियाई गेम्स, आईसीसी विश्व कप के साथ पूर्व में ओलंपिक खेलों में भी खिलाड़ियों ने वैश्विक स्तर पर उम्दा प्रदर्शन किया। इस बार पदकों की संख्या की भरमार के साथ न केवल रिकॉर्ड तोड़े बल्कि रिकॉर्ड भी बनाए हैं। स्पष्ट है कि यदि खिलाड़ियों को स्तरीय प्रशिक्षण सुविधा और प्रोत्साहन मिलता रहे, चयन में पारदर्शिता बरती जाए और लड़कियों को भी उक्त सुविधा से नवाजते रहें, तो निश्चित रूप से खेल प्रतिभाएं भविष्य में भी भारत का नाम बेहतर रूप में रोशन करेंगी, वे तभी भारतीयों की अपेक्षाओं पर खरे उतरेंगे।
बीएल शर्मा, तराना, उज्जैन
पुरस्कृत पत्र
हरफनमौला हों खिलाड़ी
देश के लिए हर्ष की बात है कि एशियाड खेलों में 107 पदक मिले। लेकिन हर देशवासी के जहन में एक ही सवाल उठता है कि दूसरे देशों की तुलना में हमारे खिलाड़ियों को पदक कम क्यों मिलते हैं। इसका सिर्फ एक ही कारण है कि हमारे देश के खिलाड़ी एक ही खेल के पीछे दौड़ते हैं। वो अन्य खेलों की तरफ बिल्कुल भी नहीं जाते। जबकि दूसरे देशों के खिलाड़ी अन्य खेलों को भी चुनते हैं और पदकों की संख्या बढ़ जाती है। हमारे देश के खिलाड़ियों को भी अन्य खेलों का चुनाव करना चाहिए तभी हमारे देश के खिलाड़ी भी ज्यादा पदक लेकर आएंगे।
सतपाल, कुरुक्षेत्र