For the best experience, open
https://m.dainiktribuneonline.com
on your mobile browser.
Advertisement

एंटी-इन्कमबेंसी पर भारी पड़ीं मनोहर-नायाब नीतियां

08:47 AM Oct 11, 2024 IST
एंटी इन्कमबेंसी पर भारी पड़ीं मनोहर नायाब नीतियां
Advertisement

ट्रिब्यून न्यूज सर्विस
चंडीगढ़, 10 अक्तूबर
हरियाणा विधानसभा चुनावों में राज्य की मौजूद भाजपा सरकार के खिलाफ दिख रही एंटी-इन्कमबेंसी पर ‘मनोहर नीतियां’ और ‘नायब नीति’ भारी पड़ गई। करीब साढ़े नौ वर्ष के कार्यकाल के बाद मनोहर लाल को हटाने के पीछे कारण चाहे जो भी रहे हों, लेकिन उनकी दो टर्म के कार्यकाल में व्यवस्था परिवर्तन और सुशासन की दिशा में उठाए गए कदमों के दूरगामी नतीजे आए हैं। कांग्रेस ने मनोहर लाल को हटाए जाने को चुनावों में मुद्दा भी बनाया लेकिन मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी की नीति और उनकी मिलनसार छवि ने कांग्रेस के इस एजेंडे को भी सिरे नहीं चढ़ने दिया।
दरअसल, खुद ‘कंप्यूटर सेवी’ मनोहर लाल जब पहली बार अक्तूबर-2014 में हरियाणा के मुख्यमंत्री बने तो उन्होंने शुरुआती दौर में ही सुशासन और व्यवस्था परिवर्तन पर जोर दिया। नागरिक सेवाओं को ऑनलाइन करने की शुरूआत की गई। बेशक विपक्ष के अलावा पार्टी के खुद के नेताओं ने भी ऑनलाइन व्यवस्था और पोर्टल सिस्टम का विरोध किया, लेकिन मुख्यमंत्री रहते हुए मनोहर लाल अपने किसी फैसले से पीछे नहीं हटे। परिवार पहचान-पत्र को तो कांग्रेस ने सरकार में आने के बाद खत्म ही करने का ऐलान कर दिया था।
परिवार पहचान-पत्र के जरिये सरकार के पास राज्य के हर परिवार का डाटा पहुंच चुका है। इसका सबसे बड़ा फायदा यह हुआ कि जिन परिवारों की सालाना आय 1 लाख 80 हजार रुपये तक है, वे सभी ऑटोमेटिक तरीके से बीपीएल की कैटेगिरी में आ गए। इसी तरह जिन बुजुर्गों की उम्र 60 वर्ष हो जाती है, उनकी पेंशन भी ऑटोमेटिक तरीके से शुरू हो जाती है। हालांकि पीपीपी की कुछ खामियों की वजह से लोगों ने नाराजगी भी दिखाई, लेकिन चुनावी नतीजों ने साफ कर दिया है कि ग्राउंड पर मनोहर लाल की योजनाओं ने असर दिखाया है। 8 अक्तूबर को जब हरियाणा विधानसभा के चुनावी नतीजे घोषित हुए और भाजपा ने 48 सीटों के साथ तीसरी बार सरकार बनाने का रिकार्ड कायम किया तो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी के साथ-साथ मनोहर लाल की नीतियों की भी खुलकर प्रशंसा की। मनोहर लाल के करीब साढ़े नौ वर्षों के कार्यकाल और उनकी नीतियों को इस जीत में अहम बताते हुए मोदी ने यह भी स्पष्ट कर दिया कि तमाम विरोधों के बावजूद वे मनोहर लाल की नीतियों से खुश भी रहे हैं और संतुष्ट भी हैं। एकाध नहीं, दर्जनों ऐसे फैसले हैं, जो मनोहर लाल के समय हुए। इन फैसलों व योजनाओं को दूसरे राज्यों के अलावा केंद्र सरकार ने भी लागू किया।

Advertisement

पर्ची-खर्ची ने किया बड़ा खेल

हरियाणा में सरकारी नौकरियों के लिए मनोहर लाल द्वारा शुरू किए गए ‘मिशन मेरिट’ ने भी चुनावों में असर दिखाया है। भाजपा ने दस वर्षों के कार्यकाल में 1 लख 42 हजार से अधिक युवाओं को सरकारी नौकरी दी। बड़ी संख्या में गांवों व शहरों में गरीब परिवारों के बच्चे बिना किसी सिफारिश के घर बैठे नौकरी लगे हैं। इस बार के चुनाव में भाजपा ने अपने पांच वर्षों में दो लाख नौकरियां देने का ऐलान किया है। बेशक, दो लाख नौकरियों की घोषणा कांग्रेस द्वारा भी की गई, लेकिन कांग्रेस नेतृत्व और प्रदेश में पार्टी के प्रमुख उसके ही नेताओं के उस प्रचार को रोक नहीं सके, जिसमें वे ‘पर्ची’ के जरिये नौकरी देने का पब्लिक प्लेटफार्म पर ऐलान कर रहे थे। नौकरियों में पूर्व में भी भाई-भतीजावाद के आरोप कांग्रेस पर लगते रहे हैं। कांग्रेस पर्ची के आधार पर नौकरियों के प्रचार को रोकने में नाकाम रही। अलबत्ता युवाओं ने कांग्रेस नेताओं के उन बयानों को गंभीरता से लिया जिसमें वे ‘पर्चियों’ की बात कह रहे थे।

अब खुलकर बैटिंग करेंगे नायब

12 मार्च को मनोहर लाल की जगह मुख्यमंत्री बने नायब सिंह सैनी का वर्किंग स्टाइल एकदम अलग है। लोगों से सीधा संवाद और भीड़ में पब्लिक के बीच जाकर ही उनकी सुनवाई करने का उनका स्टाइल लोगों को पसंद आया। वे मिलनसार होने के साथ-साथ मृदभाषी भी हैं। पुराने कार्यकाल में उन्हें महज 56 ही दिन काम करने का मौका मिला लेकिन वे इस छोटी-सी अवधि में भी लोगों पर अपनी छाप छोड़ने में कामयाब रहे। अब सरकार के गठन के साथ ही वे खुलकर बैटिंग करते नज़र आएंगे। माना जा रहा है कि नायब सिंह सैनी अब ‘नई टीम’ के साथ सरकार चलाएंगे। सरकार के गठन के साथ ही सीएमओ सहित ब्यूरोक्रेसी में भी व्यापक स्तर पर बदलाव होंगे।

Advertisement

Advertisement
Advertisement