मनोहर ने निकाला तोड़, फ्लोर टेस्ट में पास होंगे नायब!
10:38 AM May 13, 2024 IST
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दिनेश भारद्वाज/हप्र
चंडीगढ़, 12 मई
चंडीगढ़, 12 मई
हरियाणा की मौजूदा नायब सरकार तकनीकी रूप से अल्पमत में जरूर आ गई है, लेकिन सरकार काे किसी तरह का खतरा नहीं है। प्रदेश में एकाएक बदले राजनीतिक हालातों को भांपते हुए पूर्व सीएम मनोहर लाल ने मोर्चा संभाला और नायब सरकार की ‘रीढ़’ बनकर खड़े हो गए। इतना ही नहीं, अब विपक्ष की मांग पर सरकार फ्लोर टेस्ट के लिए भी राजी है। संभव है कि लोकसभा चुनाव के नतीजों के बाद विधानसभा का विशेष सत्र बुलाकर नायब सरकार नये सिरे से विश्वासमत हासिल करे।
पूर्व सीएम और नेता प्रतिपक्ष भूपेंद्र हुड्डा द्वारा खेले गए ‘गेम’ और विपक्ष के ‘दांव’ का तोड़ मनोहर लाल ने निकाल लिया है। जिस तरह के हालात अब मनोहर लाल ने पैदा कर दिए हैं, उससे लगता नहीं कि विपक्ष की ओर से अधिक समय तक नायब सरकार से विश्वासमत हासिल करने की मांग की जाएगी। दूसरी ओर, राज्यपाल की ओर से भी कांग्रेस द्वारा भेजे गए पत्र पर कांग्रेस विधायकों के हस्ताक्षर की मांग कर दी है। कांग्रेस खुद तो एकजुट हो सकती है, लेकिन जजपा का साथ उसे मिलने की उम्मीद कम है।
पूर्व डिप्टी सीएम दुष्यंत चौटाला की जजपा के चार विधायक मनोहर लाल के संपर्क में हैं। इनमें से तीन- टोहाना से देवेंद्र बबली, नरवाना से रामनिवास सुरजाखेड़ा और बरवाला से जोगीराम सिहाग के साथ उनकी बैठक हो चुकी है। नारनौंद विधायक रामकुमार गौतम ने अभी चुप्पी साधी हुई है, लेकिन बताया जा रहा है कि मनोहर लाल के साथ उनका भी संपर्क बना हुआ है। भाजपा इस बात को लेकर आश्वस्त है कि फ्लोर टेस्ट की नौबत आने पर भी सरकार को किसी तरह का खतरा नहीं होगा। 90 सदस्यों वाली विधानसभा में मनोहर लाल और रणजीत सिंह के इस्तीफे के बाद विधायकों की संख्या 88 है। नायब सरकार को बहुमत के लिए 45 विधायकों की जरूरत है। भाजपा के पास खुद के 40 विधायक हैं। पृथला से निर्दलीय नयनपाल रावत और बादशाहपुर से राकेश दौलताबाद का सरकार के पास लिखित समर्थन है। सिरसा से हलोपा विधायक गोपाल कांडा भी सरकार के साथ हैं। ऐसे में भाजपा का संख्या बल 43 है। वहीं, जजपा के कम से कम तीन विधायकों को जोड़ें तो आंकड़ा 46 हो जाता है।
राज्यपाल के पास पहुंच चुका विपक्ष
कांग्रेस अपने 30 विधायकों के अलावा जजपा भी 10 विधायकों के नाम पर राज्यपाल को पत्र लिख चुकी है। तीन निर्दलीय- सोमबीर सिंह सांगवान, धर्मपाल गोंदर और रणधीर सिंह गोलन सरकार से समर्थन वापस लेकर कांग्रेस को समर्थन कर चुके हैं। इनेलो विधायक अभय सिंह चौटाला तथा महम से निर्दलीय विधायक बलराज कुंडू भी राज्यपाल को पत्र लिखकर नायब सरकार को अल्पमत में बता चुके हैं। उन्होंने नायब सरकार को बर्खास्त करके राष्ट्रपति शासन लगाने और चुनाव करवाने की मांग की है।
भाजपा का दावा, कांग्रेस विधायक संपर्क में
भाजपा ने यह दावा करके नयी चर्चाओं को जन्म दे दिया है कि जजपा के ही नहीं, कांग्रेस के भी पांच से छह विधायक उसके संपर्क में हैं। पूर्व सीएम मनोहर लाल ने राजनीतिक चर्चाओं और विपक्ष के दावों को सिरे से नकारते हुए दो टूक कहा-पहली बात तो बहुमत साबित करने की मांग नहीं होनी चाहिए थी। अगर कर ही दी है तो हम इसके लिए भी तैयार हैं। जजपा को फूट की शिकार बताते हुए पूर्व सीएम का कहना है कि उनके कई विधायक हमारे संपर्क में हैं। इतना ही नहीं, उन्होंने कांग्रेस के भी पांच से छह विधायक भाजपा के संपर्क में होने का दावा किया।
कार्यालय सचिव के हस्ताक्षर से भेजा पत्र
कांग्रेस की ओर से राज्यपाल को जो मांग-पत्र भेजा गया है, उस पर कांग्रेस विधायक दल के नेता भूपेंद्र हुड्डा और विधायकों के हस्ताक्षर नहीं हैं। उस पर हुड्डा के कार्यालय सचिव शादीलाल कपूर के साइन हैं। शायद, इसीलिए राज्यपाल ने कांग्रेस को कहा है कि वह अपने 30 विधायकों के हस्ताक्षर करवाने के बाद ही पत्र भेजें। इसके बाद राजभवन की ओर से फैसला किया जाएगा।
भाजपा सरकार को किसी तरह का संकट नहीं है। भाजपा के पास बहुमत से भी ज्यादा विधायकों का समर्थन है। सरकार को किसी तरह का खतरा न पहले था और न ही अब है। जजपा पूरी तरह से बिखर चुकी है। कांग्रेस में आपसी गुटबाजी इस कदर हावी है कि कांग्रेस विधायक वहां बेचैनी महसूस कर रहे हैं। यदि जरूरत पड़ी तो भाजपा अपना फ्लोर टेस्ट देने को तैयार है।
-सुभाष बराला, चेयरमैन, चुनाव प्रबंधन समिति
प्रदेश में अल्पमत की सरकार है। नायब सरकार के पास पूरा संख्याबल नहीं है। हम जजपा के साथ मिलकर सरकार नहीं बनाएंगे। कांग्रेस बिल्कुल भी इस पक्ष में नहीं है। राज्यपाल को चाहिए कि अल्पमत में आई सरकार को बर्खास्त किया जाए। प्रदेश में राष्ट्रपति शासन लगाकर विधानसभा चुनाव करवाए जाने चाहिएं।
-दीपक बाबरिया, प्रभारी, हरियाणा कांग्रेस
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