मिड्ढा परिवार से अपनी और पिता की हार का बदला लेना होगा महावीर गुप्ता का प्रयास
जसमेर मलिक/हप्र
जींद, 13 सितंबर
प्रदेश की राजनीति का सबसे बड़ा केंद्र जींद हलका राजनीति का ‘बदलापुर’ बनेगा। कांग्रेस ने पूर्व मंत्री मांगेराम गुप्ता के बेटे महावीर गुप्ता को प्रत्याशी बनाकर जींद को बदलापुर बनाया है। 5 अक्तूबर को होने वाले विधानसभा चुनाव में कांग्रेस प्रत्याशी महावीर गुप्ता जींद के निवर्तमान विधायक डॉ कृष्ण मिड्ढा और उनके परिवार से अपनी और अपने पिता पूर्व मंत्री मांगेराम गुप्ता की हार का बदला लेने के लिए चुनावी दंगल में उतरे हैं। चुनावी नतीजे तय करेंगे कि महावीर गुप्ता मिड्ढा परिवार से अपने परिवार की हार का बदला ले पाते हैं या फिर जींद की राजनीति पर पंजाबी वर्चस्व कायम रहता है।
जींद से कांग्रेस पार्टी ने पूर्व मंत्री मांगेराम गुप्ता के बेटे महावीर गुप्ता को प्रत्याशी बनाया है। महावीर गुप्ता को जींद से कांग्रेस टिकट मिलने के दो बड़े आधार रहे।
उन्हें टिकट मिलने का पहला आधार उनका पूर्व सीएम भूपेंद्र हुड्डा और सांसद दीपेंद्र हुड्डा के खेमे में होना रहा। उनकी टिकट के लिए भूपेंद्र हुड्डा और दीपेंद्र हुड्डा ने लड़ाई लड़ी। प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष उदयभान के साथ महावीर गुप्ता के पिता पूर्व मंत्री मांगेराम गुप्ता के नजदीकी रिश्तों ने भी जींद से महावीर गुप्ता को कांग्रेस की टिकट दिलवाने में मदद की। महावीर गुप्ता को जींद से कांग्रेस की टिकट मिलने का दूसरा बड़ा आधार 2019 के विधानसभा चुनाव में महावीर गुप्ता को जजपा प्रत्याशी के तौर पर जींद से लगभग 46000 वोट मिलना रहा। उनके पिता पूर्व मंत्री मांगेराम गुप्ता ने जींद से 1970 से 2009 तक लगातार 8 चुनाव लड़े। वह 4 बार विधायक बने। भजनलाल और भूपेंद्र हुड्डा सरकार में मंत्री रहे।
सिंगला परिवार लड़ाई से बाहर
जींद की राजनीति की जब भी चर्चा होती है, तो इसमें पूर्व मंत्री बृजमोहन सिंगला का नाम बहुत आदर और सम्मान के साथ लिया जाता है। बृजमोहन सिंगला 1982 और 1996 में जींद से विधायक बने। वह भजनलाल, बंसीलाल तथा ओमप्रकाश चौटाला सरकार में कैबिनेट मंत्री रहे।
उन्होंने 1982, 1996,2005, 2009 और 2014 में लगातार विधानसभा चुनाव लड़े। 2019 में कांग्रेस पार्टी ने उनके बेटे अंशुल सिंगला को जींद से प्रत्याशी बनाया था, लेकिन वह अपनी जमानत तक नहीं बचा पाए थे। इस बार अंशुल सिंगला को कांग्रेस की टिकट नहीं मिल पाई। माना जा रहा है कि इसका कारण यह रहा कि अंशुल सिंगला कभी पूर्व सीएम भूपेंद्र हुड्डा और सांसद दीपेंद्र हुड्डा के साथ खड़े नजर आए, तो कभी कांग्रेस के राष्ट्रीय महाशिव रणदीप सुरजेवाला और कुमारी सैलजा के साथ। उनका बार-बार स्टैंड बदलना टिकट के मामले में उनके लिए आतमघाती साबित हुआ। 2019 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस टिकट पर उनकी जमानत होना के कारण वह कांग्रेस टिकट और जींद की चुनावी दौड़ से बाहर हो गए।
भाजपा ने मिड्ढा को बनाया है प्रत्याशी
जींद विधानसभा सीट को कांग्रेस पार्टी ने राजनीतिक बदलापुर बना दिया है। भाजपा ने जींद से निवर्तमान विधायक डॉ. कृष्ण मिड्ढा को प्रत्याशी बनाया है। डॉ. कृष्ण मिड्ढा के पिता पूर्व विधायक डॉ. हरिचंद मिड्ढा ने 2009 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस प्रत्याशी मांगेराम गुप्ता को पराजित किया था। 2019 के विधानसभा चुनाव में खुद डॉ कृष्ण मिड्ढा ने जजपा प्रत्याशी महावीर गुप्ता को लगभग 12000 मतों के अंतर से हराया था। इस तरह जींद के चुनावी दंगल में मिड्ढा परिवार दो बार जींद के सबसे बड़े राजनीतिक परिवार गुप्ता परिवार को धूल चटा चुका है। अब जिस तरह कांग्रेस पार्टी ने महावीर गुप्ता को जींद से चुनावी दंगल में उतारा है, उसमें अब महावीर गुप्ता का पूरा प्रयास रहेगा कि वह मिड्ढा परिवार के हाथों अपने पिता और खुद अपनी हार का बदला लेने की कोशिश करें।
कायम रहेगा पंजाबी वर्चस्व..?
जींद विधानसभा सीट पर 1967 से 2005 तक ज्यादातर समय महाजन समुदाय के विधायक बने। इनमें 1967 और 1968 में महाजन समुदाय के बाबू दया किशन विधायक बने, तो 1977 में मांगेराम गुप्ता, 1982 में बृजमोहन सिंगला, 1991 में मांगेराम गुप्ता, 1996 में बृजमोहन सिंगला, 2000 और 2005 में मांगेराम गुप्ता विधायक बने। केवल 1987 में पिछड़ा वर्ग के प्रोफेसर परमानंद जींद से विधायक बने थे। जींद विधानसभा सीट पर महाजन समुदाय के इस राजनीतिक वर्चस्व को इनेलो सुप्रीमो ओमप्रकाश चौटाला ने 2009 के विधानसभा चुनाव में पंजाबी समुदाय के डॉ हरिचंद मिड्ढा को प्रत्याशी बनाकर तोड़ा था। तब डॉ हरिचंद मिड्ढा ने कांग्रेस के मांगेराम गुप्ता को पराजित किया था। 2014 में डॉ हरिचंद मिड्ढा जींद से फिर इनेलो टिकट पर विधायक बने थे। जनवरी 2019 में हुए जींद उप- चुनाव और अक्तूबर 2019 में हुए आम चुनाव में डॉ हरिचंद मिड्ढा के बेटे डॉ कृष्ण मिड्ढा जींद से विधायक बने। पिछले 15 साल से जींद पर पंजाबी वर्चस्व कायम है।