Maha Kumbh 2025 : पिछले 100 साल से हर कुंभ में शामिल हो रहे हैं पद्मश्री से सम्मानित स्वामी शिवानंद, एक ही चिता में मां-बाप का किया था दाह संस्कार
महाकुभं नगर, 16 जनवरी (भाषा)
पद्मश्री से सम्मानित योग साधक स्वामी शिवानंद बाबा पिछले 100 साल से हर कुंभ (प्रयागराज, नासिक, उज्जैन, हरिद्वार) में शामिल हो रहे हैं। यह जानकारी उनके शिष्य संजय सर्वजाना ने दी।
भिखारी परिवार में हुआ था बाबा का जन्म
सेक्टर 16 में संगम लोअर मार्ग पर स्थित बाबा के शिविर के बाहर लगे बैनर में छपे उनके आधार कार्ड में जन्मतिथि 8 अगस्त, 1896 दर्ज है। हर रोज की तरह बृहस्पतिवार को सुबह वह अपने कक्ष में योग ध्यान में लीन थे और उनके शिष्य बाबा के बाहर आने का इंतजार कर रहे थे। बाबा के शुरुआती जीवन के बारे में पूछने पर बेंगलुरु से उनके शिष्य फाल्गुन भट्टाचार्य बहुत भावुक हो गए।
बाबा का जन्म एक भिखारी परिवार में हुआ था। चार वर्ष में इनके मां बाप ने इन्हें गांव में आए संत ओंकारानंद गोस्वामी को सौंप दिया ताकि इन्हें खाना पीना तो मिल सके। छह साल की उम्र में बाबा को संत ने घर जाकर अपने मां-बाप के दर्शन करने को कहा। घर पहुंचने पर त्रासदीपूर्ण घटनाएं हुईं। घर पहुंचने पर बहन का देहांत हो गया और एक सप्ताह के भीतर एक ही दिन मां बाप दोनों चल बसे।
एक ही चिता में मां-बाप का दाह संस्कार
भट्टाचार्य ने बताया, ‘‘बाबा ने एक ही चिता में मां-बाप का दाह संस्कार किया। उसके बाद से संत ने इनका पालन पोषण किया।'' बाबा ने 4 साल की उम्र तक दूध, फल, रोटी नहीं देखा। इसी के चलते उनकी जीवनशैली ऐसी बन गई कि वह आधा पेट ही भोजन करते हैं। बाबा रात नौ बजे तक सो जाते हैं। सुबह तीन बजे उठते हैं। शौच आदि से निवृत्त होकर योग करते हैं। वह दिन में बिल्कुल नहीं सोते।
दिल्ली से आए हीरामन बिस्वास ने बताया कि वह बाबा के संपर्क में 2010 में चंडीगढ़ में आए थे। वह उनकी फिटनेस से बहुत प्रभावित हैं। बाबा किसी से दान नहीं लेते, उबला हुआ खाना खाते हैं जिसमें तेल और नमक नहीं होता। बाबा वाराणसी के कबीर नगर, दुर्गाकुंड में रहते हैं और मेले में प्रवास पूरा कर वापस बनारस चले जाएंगे।
बाबा शिवानंद ने युवा को पीढ़ी को दिए अपने संदेश में कहा कि युवाओं को सुबह जल्दी उठकर आधा घंटा योग करना चाहिए, संतुलित जीवनशैली अपनानी चाहिए और स्वस्थ रहने के लिए प्रतिदिन टहलना चाहिए।