श्रद्धा और भक्ति
स्वामी प्रभुपाद भक्तिवेदांत के अमेरिकन शिष्य प्रयाग के कुंभ पर्व में नंगे पैर घूम-घूम कर ‘हरे कृष्ण हरे कृष्ण, कृष्ण कृष्ण हरे हरे’ के संकीर्तन से आसमान को गुंजा रहे थे। किसी व्यक्ति ने एक अमेरिकन श्रीकृष्ण भक्त से पूछा, ‘आप भीषण गर्मी में भी तपती रेत में नंगे पांव क्यों घूमते हो? जूते क्यों नहीं पहनते?’ ‘आप जब मंदिर जाते हैं तब क्या जूते पहने रहते हैं?’ विदेशी वक्त ने उससे पूछा। ‘नहीं, मंदिर में तो जूते पहन कर नहीं जाते’--उसने उत्तर दिया। अमेरिकन श्रीकृष्ण भक्त ने भाव विभोर होकर कहा, ‘हमारे इष्टदेव भगवान श्रीकृष्ण की लीलाभूमि, जन्मभूमि पूरा भारत हमारे लिए परम पावन मंदिर है, तीर्थ है। हम इस पावन तीर्थ में जूते पहनकर कैसे विचरण कर सकते हैं?’ पास खड़े अनेक व्यक्ति, विदेशी श्रीकृष्ण-भक्त की अनन्य भक्ति देखकर गद्गद हो उठे।
प्रस्तुति : डॉ. जयभगवान शर्मा