लुधियाना की पूजा अरोड़ा दुनिया से विदा होते-होते 4 लोगों को दे गयीं नयी जिंदगी
ट्रिब्यून न्यूज सर्विस
चंडीगढ़, 30 जून
अंगदान से कई लोगों को नयी जिंदगी मिल सकती है और यह बात एक बार फिर सच साबित हुई है। लुधियाना की रहने वाली पूजा अरोड़ा बेशक इस दुनिया से विदा हो गईं, लेकिन वो चार लोगों को नया जीवनदान दे गईं। इनमें से किडनी की बीमारी से जूझ रहे दो मरीजों को जीवन का उपहर मिला। इसी तरह 2 कॉर्नियल ब्लाइंड रोगियों को ‘दृष्टि का उपहार’ मिला है।
पूजा अरोड़ा के बहादुर परिवार ने अंगदान का निर्णय लेकर उन्हें अमर बना दिया। पूजा अरोड़ा को इंट्रावेंट्रिकुलर विशाल ट्यूमर के कारण गंभीर हालत में 18 जून, 2024 को पीजीआईएमईआर में भर्ती कराया गया था। चिकित्सा टीम के अथक प्रयासों के बावजूद, उसे बचाया नहीं जा सका और 26 जून को ब्रेन स्टेम डेथ कमेटी द्वारा उन्हें ब्रेन डेड घोषित कर दिया गया। इस बीच, पीजीआईएमईआर में प्रत्यारोपण समन्वयकों ने मृतक के रिश्तेदारों को गंभीर रूप से बीमार अंग विफलता रोगियों के प्रत्यारोपण के लिए दान के माध्यम से उसके अंगों का उपयोग करने की संभावनाओं से अवगत कराया। अपने गहरे दुःख के बावजूद पूजा अरोड़ा के पीड़ित पति जगदीश अरोड़ा ने उनके अंगों को दान करने का साहसी निर्णय लिया, जिस कारण चार लोगों को नया जीवन मिला।
पीजीआईएमईआर के निदेशक प्रोफेसर विवेक लाल ने कहा कि ऐसे कठिन समय के दौरान पूजा अरोड़ा के परिवार द्वारा उनके अंग दान करने का निर्णय दयालुता का एक अकल्पनीय कार्य है, जो अंगदान के प्रभाव और महत्व पर प्रकाश डालता है। अंगदान के लिए सहमति देने के बाद लुधियाना के कपड़ा व्यापारी जगदीश अरोड़ा ने कहा कि यह एक बहुत ही कठिन निर्णय था, लेकिन फिर भी हमें लगा कि यही सही है। पीजीआई के चिकित्सा अधीक्षक और रोटो (उत्तर) के नोडल अधिकारी प्रोफेसर विपिन कौशल ने बताया कि राजस्थान के गंगानगर की एक 23 वर्षीय महिला मरीज को एक साथ किडनी और अग्नाश्य प्रत्यारोपित किए गए। दूसरी किडनी हिमाचल प्रदेश के मंडी के एक 25 वर्षीय युवा को प्रत्यारोपित की गई। प्रत्यारोपण से पहले, दोनों मिलते जुलते प्राप्तकर्ता गुर्दे की दुर्बल बीमारी के अंतिम चरण से पीड़ित थे और लंबे समय से डायलिसिस पर निर्भर थे।
परिवार का दिल थीे हमारी मां
पूजा अरोड़ा की सबसे बड़ी बेटी मान्या अरोड़ा, अपने छोटे भाई-बहनों, बहन आरवी और भाई अनहद ने अपनी भावनाएं व्यक्त करते हुए कहा कि हमारी मां हमारे परिवार का दिल थीं। हम उन्हें हर मिनट याद करेंगे। कोई भी चीज़ उस खालीपन को नहीं भर सकती। उनकी दयालुता और उदारता की कोई सीमा नहीं थी।