स्वच्छ पर्यावरण में रहना मौलिक अधिकार : सुप्रीम कोर्ट
सत्य प्रकाश/ ट्रिन्यू
नयी दिल्ली, 23 अक्तूबर
पराली जलाने के कारण दिल्ली-एनसीआर में हवा की गुणवत्ता लगातार खराब होने के बीच, सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को केंद्र, पंजाब और हरियाणा की सरकारों को निष्िक्रयता के लिए दोषी ठहराते हुए उन्हें स्वच्छ पर्यावरण के नागरिकों के अधिकार की याद दिलाई। जस्टिस एएस ओका के नेतृत्व वाली तीन जजों की पीठ ने कहा, ‘समय आ गया है कि हम केंद्र और राज्य सरकारों को याद दिलाएं कि संविधान के अनुच्छेद 21 के तहत प्रदूषण मुक्त वातावरण में रहना प्रत्येक नागरिक का मौलिक अधिकार है। यह सिर्फ मौजूदा कानूनों को लागू करने का मामला नहीं, बल्कि मौलिक अधिकारों के उल्लंघन का मामला है।’
पीठ ने कहा, यह केवल आयोग (एनसीआर में वायु गुणवत्ता प्रबंधन) के आदेशों को लागू करने और कानून के उल्लंघन के लिए कार्रवाई करने का सवाल नहीं है, सरकार को इस सवाल का समाधान करना चाहिए कि वह नागरिकों के सम्मान के साथ और प्रदूषण मुक्त वातावरण में जीने के अधिकार की रक्षा कैसे करेगी। इसलिए, अब समय आ गया है कि सरकारें और सभी प्राधिकारी ध्यान दें कि यह मुकदमा यह सुनिश्चित करने के लिए है कि पर्यावरण से संबंधित कानूनों का सख्ती से अनुपालन किया जाए ताकि नागरिकों के संवैधानिक अधिकारों को बरकरार रखा जा सके।
सभी दोषी किसानों पर मुकदमा न चलाने और उन्हें मामूली जुर्माना लगाकर छोड़ने को लेकर पीठ ने पंजाब और हरियाणा की सरकारों की खिंचाई की। केंद्र ने कहा कि पर्यावरण संरक्षण अधिनियम, 1986 की धारा 15, जिसमें दंड का प्रावधान है, उसमें संशोधन किया गया है। इस पर पीठ ने कहा कि अधिनियम ‘दंतहीन’ हो गया है।
कोर्ट के निर्देश पर पंजाब और हरियाणा के मुख्य सचिव अदालत में उपस्थित हुए। हरियाणा के मुख्य सचिव ने कहा कि इस साल पराली जलाने की घटनाओं में काफी कमी आई है, लेकिन पीठ उनकी दलीलों से प्रभावित नहीं हुई। शीर्ष अदालत ने 2500 रुपये का मामूली जुर्माना वसूलने के लिए पंजाब सरकार को यह कहते हुए फटकार लगाई कि यह उल्लंघन करने का लाइसेंस देने के समान है। कोर्ट ने कहा, ‘यह अविश्वसनीय है। आप उल्लंघन करने वालों को संकेत दे रहे हैं कि उनके खिलाफ कुछ नहीं किया जाएगा।’
पंजाब के महाधिवक्ता गुरमिंदर सिंह ने कहा कि किसानों को दंडित करना समस्या का अंतिम समाधान नहीं है।
उन्होंने यह भी कहा कि फसल अवशेष प्रबंधन प्रोत्साहन के लिए फंड की मंजूरी के संबंध में राज्य के प्रस्ताव को केंद्र ने स्वीकार नहीं किया। फंड जारी करने का नया प्रस्ताव 19 अक्तूबर को भेजा गया था। इस पर अदालत ने कहा, ‘हम केंद्र सरकार को अतिरिक्त धनराशि जारी करने के लिए पंजाब के प्रस्ताव पर तुरंत गौर करने का निर्देश देते हैं, ताकि उन किसानों को ट्रैक्टर, डीजल उपलब्ध कराने का प्रावधान किया जा सके, जिनकी जोत 10 हेक्टेयर से कम है।’