पिता की तरह पुत्र को भी अपने पहले विधानसभा चुनाव में मिली हार
जसमेर मलिक/हप्र
उचाना (जींद), 13 अक्तूबर
उचाना कलां से कांग्रेस प्रत्याशी बृजेंद्र सिंह की भाजपा के देवेंद्र अत्री के हाथों 32 मतों के अंतर से हार ने बृजेंद्र सिंह और उनके पिता पूर्व केंद्रीय मंत्री बीरेंद्र सिंह को कुछ मामलों में एक समान स्थिति में लाकर खड़ा कर दिया है। दोनों के बीच समानता की यह स्थिति दोनों के अपने पहले विधानसभा चुनाव में हार का स्वाद चखने की है। इसके अलावा दोनों पिता-पुत्र के नाम उचाना कलां में सबसे कम मतों के अंतर से हार का रिकॉर्ड भी दर्ज हो गया है।
हाल में हुए विधानसभा चुनाव में उचाना कलां में कांग्रेस प्रत्याशी बृजेंद्र सिंह और भाजपा प्रत्याशी देवेंद्र अत्री के बीच कांटे का कड़ा मुकाबला हुआ, जिसमें भाजपा के देवेंद्र अत्री ने कांग्रेस के बृजेंद्र सिंह को 32 मतों के अंतर से पराजित किया। रिटायर्ड आईएएस अधिकारी बृजेंद्र सिंह का यह पहला विधानसभा चुनाव था, और उन्हें पहले विधानसभा चुनाव में ही हार का सामना करना पड़ा है। इस हार के साथ बृजेंद्र सिंह और उनके पिता पूर्व केंद्रीय मंत्री चौधरी बीरेंद्र सिंह के बीच एक अजीब राजनीतिक समानता कायम हुई है। 1972 में चौधरी बीरेंद्र सिंह ने अपना पहला विधानसभा चुनाव जींद जिले के नरवाना विधानसभा क्षेत्र से लड़ा था और वह इसमें पराजित हुए थे। चौधरी बीरेंद्र सिंह की तरह उनके बेटे बृजेंद्र सिंह को भी अपने पहले विधानसभा चुनाव में हार का सामना करना पड़ा है।
पिता-पुत्र को कम मतों के अंतर से हार का मिला दर्द
पूर्व केंद्रीय मंत्री चौधरी बीरेंद्र सिंह और उनके रिटायर्ड आईएएस बेटे बृजेंद्र सिंह के बीच एक और समानता बनी है। दोनों को उचाना कलां विधानसभा क्षेत्र में बहुत कम मतों के अंतर से हार के दर्द को सहन करना पड़ा है। 2009 में उचाना कलां में कांग्रेस प्रत्याशी के रूप में चौधरी बीरेंद्र सिंह का मुकाबला पूर्व सीएम इनेलो सुप्रीमो ओमप्रकाश चौटाला से हुआ था। इस कड़े मुकाबले में इनेलो सुप्रीमो ओमप्रकाश चौटाला ने चौधरी बीरेंद्र सिंह को लगभग 500 मतों के अंतर से हराया था। यह तब उचाना कलां विधानसभा क्षेत्र में उस समय तक का सबसे कम मतों के अंतर से हार का नया रिकॉर्ड था। 2009 में अपनी इतनी कम मतों के अंतर से हार के दर्द को चौधरी बीरेंद्र सिंह ने कई साल तक महसूस किया था, और उन्होंने कई बार उचाना के अपने लोगों के बीच अपने इस दर्द को साझा भी किया था। चौधरी बीरेंद्र सिंह ने कई मौकों पर कहा था कि जब उन्हें नई ताकत मिल सकती थी, तब उचाना के लोगों ने ही उनका साथ नहीं दिया। अब उनके बेटे बृजेंद्र सिंह को हाल में हुए विधानसभा चुनाव में उचाना कलां में महज 32 मतों के अंतर से हार मिली है, और यह हार बृजेंद्र सिंह तथा उनके परिवार को आने वाले कई साल तक राजनीतिक दर्द देती रहेगी। अपनी हार के बाद भले ही बृजेंद्र सिंह ने अपने समर्थकों से कहा है कि इस हार से उनके हौसले टूटने वाले नहीं है, लेकिन यह जरूर है कि बृजेंद्र सिंह महज 32 मतों के अंतर से अपनी हार को लाख चाहकर भी आसानी से नहीं भूल पाएंगे।