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रोमांच के साथ जीवन की सीख

08:37 AM Jul 05, 2024 IST
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घूमना-फिरना स्वास्थ्य और जीवन में बहुत कुछ सीखने के लिहाज से भी महत्वपूर्ण है। नई जगहों को एक्सप्लोर करना, इन जगहों पर घूमना-फिरना अपने आप में रोमांच से भरा अनुभव होता है। इसके साथ ही भ्रमण से जो हम सीखते हैं वो आपको किसी स्कूल-कॉलेज में सीखने को नहीं मिलता।

राजेंद्र कुमार शर्मा

ट्रैवलिंग बहुत से लोगों की पसंदीदा हॉबी में शामिल है। युवा भविष्य में अपनी इसी हॉबी को अपना करिअर भी बना सकते हैं। जहां एक ओर टूरिज्म में करिअर की दृष्टि से अच्छी संभावनाएं हैं, वहीं दूसरी ओर घूमना-फिरना स्वास्थ्य और जीवन में बहुत कुछ सीखने के लिहाज से भी महत्वपूर्ण है। नई जगहों को एक्सप्लोर करना, इन जगहों पर घूमना-फिरना अपने आप में रोमांच से भरा अनुभव होता है। इसके साथ ही भ्रमण से जो हम सीखते हैं वो आपको किसी स्कूल-कॉलेज में सीखने को नहीं मिलता।

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सामाजिक दायरा बढ़ाने में मददगार

बस, ट्रेन या लोकल ट्रांसपोर्ट में सफर करने के दौरान नए लोगों से मुलाकात होती है। वे हमारी उन जगहों की संस्कृति और रीति-रिवाजों को समझने में मदद करते हैं जिसकी हमें जानकारी नहीं होती। यद्यपि ट्रैवलिंग के दौरान आंख मिचकर किसी भी अनजान व्यक्ति पर विश्वास नहीं करना चाहिए। व्यक्ति की परख करना आना चाहिए जो हम भ्रमण के दौरान सीख सकते है। आश्वस्त होने पर, नई जगहों के स्थानीय लोगों से संपर्क कायम किए जा सकते है। समान की खरीदारी या लोकल ट्रांसपोर्ट हायर करने के समय मोलभाव करने में सहायक हो सकते हैं।

क्षमताओं का आकलन

अकेले यात्रा के दौरान सभी तरह के प्रबंध स्वयं करने पड़ते हैं और ऐसे में हमें अपनी मानसिक क्षमताओं का आकलन करने का अवसर मिलता है। जो हमें मानसिक रूप से मजबूत और स्वस्थ बनाता है। इन यात्राओं के दौरान मोलभाव करने की कला सीखते हैं। भ्रमण द्वारा आप में आत्मविश्वास आता है।

शारीरिक क्षमता पर प्रभाव

नई जगहों का वातावरण, मौसम, खान-पान सभी कुछ हमारे अपने कल्चर और रहन-सहन से अलग होता है। जैसे पहाड़ों पर ठंड, रेगिस्तानी क्षेत्रों में ग्रीष्म में गर्मी खूब पड़ती है। समुद्र तटीय क्षेत्रों में गर्मी के साथ नमी अधिक होती है और ऐसी जगहों का भ्रमण शरीर को अनुकूलन की क्षमता के साथ ही शरीर को मजबूती प्रदान करता है। अलग-अलग जगहों की यात्रा के दौरान जाने अनजाने हम विभिन्न प्रकार के सूक्ष्म जीवों के संपर्क में आते ही रहते हैं जो परोक्ष रूप से शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता में वृद्धि करने में मदद करता है।

आत्म-अवलोकन का अवसर

ट्रैवलिंग हमें आत्म-अवलोकन का भी अवसर उपलब्ध करवाता है। नई जगहों के भ्रमण के दौरान हमें स्वयं का आत्मनिरीक्षण करने का अवसर प्रदान करता है। हम स्वयं से साक्षात्कार कर, अपनी स्ट्रेंथ और अपनी वीकनेस का आंकलन कर, उनमें सुधार करने के विषय में विचार कर सकते है। मस्तिष्क की सृजन शक्ति में इजाफा करता है।

सकारात्मकता का संचार

प्रतिवर्ष अपने नियमित दिनचर्या से कुछ समय निकालकर, अपने शहर से बाहर कहीं घूमने-फिरने का शौक दैनिक जीवन के तनाव से मुक्त करवाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है। नई जगहों की रोमांचक यात्राएं एक नया विश्वास जगाती हैं जिससे मस्तिष्क सकारात्मकता से भर उठता है। जीवन में आगे बढ़ने का उत्साह बना रहता है।

अवसाद से मुक्ति

अक्सर देखा गया है कि लंबी बीमारी के बाद व्यक्ति डिप्रेशन के शिकार हो जाते हैं, जिसकी वजह बीमारी के दौरान निरंतर एक जैसे माहौल में रहना हो सकता है। ऐसे में जगह परिवर्तन या थोड़ा घूमना-फिरना अवसाद से मुक्ति में विशेष मदद कर सकता है। घूमने-फिरने से हम हल्का और रिलेक्स महसूस करते हैं तथा तनाव मुक्त रहते हैं। आयु तथा स्वास्थ्य संबंधी समस्याएं बढ़ने के साथ-साथ इस तरह के भ्रमण नियमित रूप संभव नहीं हो पाते हैं। फिर भी हो सके तो अच्छी, प्राकृतिक सौंदर्य से भरपूर, रमणीय स्थलों की यात्रा के अवसरों को खोना नहीं चाहिए। एक खुशहाल जीवन के लिए घूमना-फिरना बहुत जरूरी है।

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