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आइये ट्रेकिंग करें इन गर्मियों में

07:52 AM Apr 05, 2024 IST

रमेश पठानिया
शहर की भागदौड़ भरी ज़िंदगी से जब मन उकता जाता है तो मन करता है किसी पहाड़ पर जाकर कुछ दिन बिताएं जाएं। शांत और शुद्ध वातावरण और स्वस्थ जलवायु अब भी पहाड़ों में सुरक्षित है। गर्मियों ने दस्तक दे दी है। अगर आप के पास समय है तो आप पहाड़ पर आ सकते हैं कुछ दिन बिताने। अगर आप हाइकिंग, ट्रेकिंग में रुचि रखते हैं तो हिमाचल एक खूबसूरत विकल्प है। कुल्लू मनाली में कई खूबसरत ट्रेक हैं जो अप्रैल, मई और जून के महीने में किये जा सकते हैं। यह सब इतने कठिन भी नहीं हैं। जैसे कुल्लू से बिजली महादेव, थार्ट से माहुट या माहुटी नाग। कोठी से भृगु झील और चंद्रखनी से मलाणा के ट्रेक बहुत ही रोचक और प्रकृति की गोद में, पहाड़ों से घिरे हुए, चीड़-देवदार के घने जंगलों में से होकर गुजरते हैं। पगडंडियां इतनी मुश्किल नहीं हैं और इन ट्रेक की ऊंचाई भी ज्यादा नहीं है।
आज जिस ट्रेक पर आपको लेकर चल रहा हूं, वह माहुटी नाग मंदिर का ट्रेक है। कुल्लू से बिजली महादेव के रास्ते जाते हुए आप थार्ट से यह ट्रेक शुरू कर सकते हैं वाइल्ड एडवेंचर कैंप से एक पगडंडी जाती है। जो आपको एक खूबसूरत चरागाह, सारी पधर तक ले जाती है। चीड़, देवदार के पेड़ों के बीच के मनमोहक चरागाह देखते ही बनती है। बलखाती पगडंडी पुराने देवदार के गगनचुम्बी पेड़ों के बीच से होकर गुजरती है। बीच में विशालकाय चट्टाने हैं और कहीं कहीं गुफाएं हैं, जिनमें बारिश या मुसीबत के समय आप शरण ले सकते हैं। यह गुफायें कितनी पुरानी है इसका कोई अनुमान नहीं है। लिखणु जोत होते हुए आप पाहुरुआड़ पहुंचते हैं जहां इतनी बड़ी चट्टानें हैं कि आप उनका आकार देखकर हैरान हो जायेंगे। वहां से पार्वती घाटी का विहंगम दृश्य दिखता है। इसके आसपास कई गुफाएं हैं जिनमें जाना खतरे से खाली नहीं है। उनकी लम्बाई-चौड़ाई का कोई अनुमान भी नहीं लगाया जा सकता।

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इसकी ट्रेक खासियत यह है कि चारों और से घने पेड़ों से घिरा है और कई चट्टानों पर ब्रह्मी भाषा में कुछ शिलालेख भी हैं। बड़ी चट्टानों पर पानी के निशान हैं, जो कितने पुराने हैं इनका कोई अनुमान नहीं है। यहां पर जैसे-जैसे ऊंचाई बढ़ती जाती है, कोणधारी पेड़ों की संख्या और प्रकार भी बदलते जाते है। जैसे चीड़, देवदार, रई तोश, कायल और रखाल के बड़े पेड़ मिलते हैं। इन सब की लकड़ी भवन निर्माण में प्रयोग की जा सकती है। रखाल एक ऐसा पेड़ है जिसकी छाल और पत्तों से चाय बनती है, जो स्वास्थ्य के लिये बहुत लाभकारी है इसे ग्रीन-टी भी कह सकते हैं। फ्लाण बसंत में पहाड़ पर खिले वाला पहला फूल है। मार्च-अप्रैल में अगर आप भाग्यशाली हैं तो आप को बर्फ भी मिल सकती है। 6 किमी इस ट्रेक में जब आप बैरिंग टॉप पहुंच कर चारों और नज़र घुमाएंगे तो आपको सारी पहाड़ियां जो आपको कुल्लू से बहुत ऊंची लगती हैं बहुत बोनी दिखाई देंगी।
बैरिंग टॉप के बाद डेढ़ किमी चलने के बाद आप सीधे माहुटी नाग के मंदिर के पहले दर्शन करते हैं। छोटा-सा लकड़ी का मंदिर है नाग देवता का जिसके पास जाना मना है। देवभूमि में बहुत से मंदिरों में एक सीमा तक ही आप जा सकते हैं कुछ में प्रवेश ख़ास उत्सव के समय ही किया जा सकता है। धार्मिक मान्यताएं यहां की शैली और परम्परा में हैं। एक ढलानदार पहाड़ी पर एक बोर्ड लगा है जिस पर बड़े शब्दों में लिखा गया है की मंदिर के समीप न जाएं आपको 8000 रुपये का जुर्मना हो सकता है।
माहुटी नाग पहुंच कर आपकी सारी थकान दूर हो जाती है। इतना मनोहारी दृश्य शायद ही आपकी कल्पना में कभी रहा हो। आप यहां बैठकर साथ लाया हुआ खाना बड़े आराम से खा सकते हैं। गांव के लोग आपको इन पगडंडियों में मिल जायेंगे जो आपको अतिथि मान कर मुस्कान से आपका स्वागत करते हैं।
माहुटी नाग ट्रेक एक दिन में आसानी से किया जा सकता है। अप्रैल महीने में अगर आप ट्रैकिंग करते हैं तो हल्के ऊनी कपड़े चाहिए। प्लास्टिक का समान जितना कम ले जायेंगे उतना पर्यावरण के लिये अच्छा है। पानी के स्रोत हैं लेकिन अपनी बोतल में पानी रखें। ऐसे जूते पहने जो आरामदायक हों। अपने साथ एक ट्रैकिंग छड़ी रखें क्योंकि चीड़ और कायल की गिरी सूखी घास पर हल्की फिसलन रहती है। ट्रैकिंग पर हर पेड़, हर दृश्य, हर पहाड़ को देखें। प्रकृति के और नज़दीक जाने का मौक़ा मिलेगा।
कुल्लू से थार्ट आप बस से या अपने वाहन से भी जा सकते हैं वहां तक जहां से यह ट्रेक शुरू होता है। स्थानीय गाइड लेना उचित रहता है। ट्रेक आसान है। और आपको नई ऊर्जा प्रदान करने में एक अहम भूमिका निभा सकता है। अप्रैल मई और जून महीने ट्रैकिंग के लिए उपयुक्त हैं।

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