चांद को तो सिर्फ चांद रहने दो
सहीराम
इधर एक स्वामीजी ने मांग कर दी है कि चांद को हिंदू राष्ट्र घोषित कर दिया जाए और शिव शक्ति प्वाइंट को इसकी राजधानी। चांद पर जहां विक्रम लैंडर की लैंडिंग हुई, उसे हमारे प्रधानमंत्रीजी ने शिव शक्ति प्वाइंट नाम दिया है। वह राजधानी के लिए इसलिए एकदम उपयुक्त रहेगा क्योंकि बाद में कभी इसका नाम नहीं बदलना पड़ेगा। खैरजी, इस पर वह कहावत तो बिल्कुल भी लागू नहीं होती है कि गांव बसा नहीं और मंगते पहले पहुंच गए। भाई साहब वहां महंगाई और बेरोजगारी पहले से ही मौजूद हैं। सुना नहीं कि वे सातवें आसमान हैं। चांद कौन से पर है? कहीं महंगाई और बेरोजगारी आगे तो नहीं निकल गयी। महंगाई अगर आगे भी निकल गयी होगी तो गैस सिलेंडर की कीमत दो सौ रुपये घटाने से अब वह वापस फिर वहीं आ जाएगी। अभी कोई बहुत ज्यादा वक्त भी नहीं हुआ है कि कोई चांद पर प्लॉट भी बेच रहा था। फिर जब कश्मीर में प्लॉट खरीदने का अवसर नजर आने लगा तो लोग चांद को भूल गए। कश्मीर पर वो क्या कहावत है कि गर बर रुए जमीं अस्त, हमी अस्त, हमी अस्त। अगर जमीन पर कहीं जन्नत है तो यहीं है-यहीं है। तो यार प्लाट ही खरीदना होगा तो जन्नत में खरीदेंगे, बंजर चांद पर क्यों खरीदेंगे, जहां न हवा है और न ही पानी। हां, अलबत्ता रोवर ने बताया है कि वहां सल्फर जरूर मिल गया है।
वैसे तो जी, गपोड़ियों की यह गप्प चल ही रही कि वहां एलियनों की बस्ती मिल गयी है। पता नहीं उन्होंने कौन-सा राष्ट्र बना रखा होगा। फिर भी स्वामीजी ने मांग कर दी है कि चांद को हिंदू राष्ट्र घोषित कर दिया जाए। अभी तक तो कोशिश इंडिया को हिंदू राष्ट्र घोषित कराने की ही हो रही थी। लेकिन जब से विपक्ष ने अपने गठबंधन का नाम इंडिया रखा है, राष्ट्रवादी और देशभक्त अचानक भारत के दीवाने हो गए हैं। वैसे जमीन तो खूब तैयार की जा रही थी। मोनू मानेसर टाइप मेहनत भी खूब कर रहे थे। खाद-पानी भी खूब दिया जा रहा था। अगर अलनीनो से बचे तो फसल अच्छी आ सकती थी। लेकिन उनकी समस्या यह है कि वे तो अभी तक गौमाता को ही राष्ट्रीय पशु नहीं घोषित करा पा रहे। लेकिन जी, अगर चांद, चांद ही रहे तो कैसा रहे। इसका फायदा यह होगा कि चांद से प्यारे-प्यारे मुखड़े भी बने रहेंगे और प्रेमीजन अपने प्रियतम के लिए चांद-तारे तोड़कर लाने के वादे भी करते रहेंगे। इश्क में कुछ शायरी बनी रहेगी और शायरी में कुछ लुत्फ बना रहेगा। अगर कभी हंसी-मजाक की जरूरत पड़ी तो किसी यार की निकल आयी चांद पर टपली भी मारी जा सकती है। नहीं क्या! बाकी विज्ञान तो तरक्की करता ही रहेगा।